हाइलाइट्स
- मासिक धर्म से जुड़ी यह अनोखी चिकित्सीय समस्या छत्तीसगढ़ में पहली बार सामने आई।
- 14 साल की बच्ची को अब तक मासिक धर्म शुरू नहीं हुआ था, पेट में लगातार सूजन रहती थी।
- जांच के बाद पता चला कि बच्ची के शरीर में जन्मजात समस्या है, जिसकी वजह से मासिक धर्म का मार्ग बंद था।
- डॉक्टरों ने सर्जरी कर परत में छेद बनाया, जिसके बाद बच्ची को सामान्य मासिक धर्म आने लगे।
- विशेषज्ञों का मानना है कि इस तरह के केस बेहद दुर्लभ होते हैं और जागरूकता से ही समय पर इलाज संभव है।
मामला कैसे सामने आया
प्रकृति ने महिला के शरीर की संरचना इस तरह बनाई है कि वह आगे चलकर नई जिंदगी को जन्म दे सकती है। इस प्रक्रिया की शुरुआत किशोरावस्था में मासिक धर्म से होती है। यही कारण है कि हर लड़की में समय पर मासिक धर्म आना स्वास्थ्य का महत्वपूर्ण संकेत माना जाता है।
लेकिन छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले में 14 साल की एक बच्ची के साथ जो हुआ, उसने डॉक्टरों को भी चौंका दिया। बच्ची को कभी भी मासिक धर्म नहीं आया था। उसके पेट में लगातार दर्द और सूजन की शिकायत रहती थी। परेशान माता-पिता ने उसे 17 मार्च को चंदूलाल चंद्राकर मेडिकल कॉलेज अस्पताल में भर्ती कराया।
डॉक्टरों की जांच में हुआ बड़ा खुलासा
अस्पताल की गाइनोकॉलजिस्ट डॉ. अंजना चौधरी ने बताया कि जांच के दौरान पता चला कि बच्ची के शरीर में जन्म से ही एक दुर्लभ समस्या मौजूद थी। उसकी योनि की परत पूरी तरह बंद थी, जिसके कारण मासिक धर्म का रक्त बाहर नहीं निकल पा रहा था।
इस स्थिति को मेडिकल भाषा में “इपरफ़ोरेट हाइमन” कहा जाता है। यह एक जन्मजात स्थिति है, जिसमें झिल्ली पर प्राकृतिक रूप से खुला छेद नहीं होता और मासिक धर्म का प्रवाह रुक जाता है।
ऑपरेशन से बदली बच्ची की जिंदगी
डॉक्टरों ने बच्ची का अल्ट्रासाउंड और अन्य जरूरी टेस्ट कराए। रिपोर्ट से साफ हुआ कि उसके गर्भाशय और अंडाशय सामान्य रूप से काम कर रहे थे, लेकिन मासिक धर्म का मार्ग बंद था। ऐसे में डॉक्टरों ने तुरंत ऑपरेशन का निर्णय लिया।
सर्जरी के जरिए योनि की झिल्ली में छेद किया गया, जिससे अंदर जमा रक्त बाहर आ सका और बच्ची को पहली बार सामान्य मासिक धर्म आया। ऑपरेशन सफल रहा और बच्ची को अब नियमित मासिक धर्म आने लगा है।
विशेषज्ञों की राय
डॉ. अंजना चौधरी ने बताया कि यह मामला बेहद दुर्लभ है। उनके अस्पताल में अब तक ऐसा कोई केस सामने नहीं आया था। उनका कहना है कि अगर बच्ची को समय पर इलाज न मिलता तो उसके गर्भाशय और अंडाशय पर बुरा असर पड़ सकता था, जिससे भविष्य में उसकी प्रजनन क्षमता भी प्रभावित हो सकती थी।
उन्होंने कहा, “माता-पिता को चाहिए कि अगर बच्ची को 13-14 साल की उम्र तक मासिक धर्म शुरू न हो तो तुरंत डॉक्टर से सलाह लें। समय पर पहचान और सर्जरी से समस्या का समाधान संभव है।”
मासिक धर्म क्यों है ज़रूरी
हर महिला के शरीर में हर महीने गर्भाशय की परत मोटी होती है और अंडोत्सर्जन के बाद यदि गर्भधारण नहीं होता तो यह परत टूटकर रक्त के रूप में बाहर निकलती है। यही प्रक्रिया मासिक धर्म कहलाती है।
अगर यह प्रक्रिया रुक जाए या मार्ग बंद हो तो शरीर के अंदर रक्त जमा होने लगता है। इससे पेट दर्द, सूजन, संक्रमण और अन्य गंभीर समस्याएं हो सकती हैं। यही कारण है कि समय पर मासिक धर्म आना महिला के स्वास्थ्य का महत्वपूर्ण हिस्सा है।
इस समस्या के लक्षण
विशेषज्ञ बताते हैं कि “इपरफ़ोरेट हाइमन” जैसी स्थिति में कुछ प्रमुख लक्षण दिखाई देते हैं:
- उम्र 13-14 साल होने के बाद भी मासिक धर्म न आना
- पेट में लगातार सूजन और दर्द
- थकान और कमजोरी महसूस होना
- मानसिक तनाव और चिड़चिड़ापन
ऐसे लक्षण दिखने पर माता-पिता को तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।
सामाजिक दृष्टिकोण और जागरूकता
भारत में अब भी कई परिवारों में मासिक धर्म से जुड़ी बातों पर खुलकर चर्चा नहीं की जाती। यही वजह है कि कई बार बच्चियां अपनी समस्या बता नहीं पातीं और इलाज में देर हो जाती है। विशेषज्ञों का मानना है कि मासिक धर्म के बारे में जागरूकता बढ़ाना बेहद ज़रूरी है ताकि ऐसी समस्याओं का समय रहते समाधान हो सके।
छत्तीसगढ़ की यह घटना समाज के लिए एक संदेश है कि किशोरावस्था में बच्चियों के स्वास्थ्य पर बारीकी से नज़र रखना जरूरी है। मासिक धर्म केवल एक जैविक प्रक्रिया नहीं, बल्कि महिला के संपूर्ण स्वास्थ्य का आधार है। इस मामले ने यह साबित कर दिया कि समय पर चिकित्सा मिलने से असंभव लगने वाली समस्या का भी समाधान संभव है।