पुल से गूंजा मातृत्व का चीखता सवाल! मासूम को धकेलने वाली मां की हैरान कर देने वाली कहानी

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हाइलाइट्स

  • Juvenile Justice Act के तहत इस घटना पर कानूनी कार्रवाई संभव
  • पति की प्रताड़ना और घरेलू कलह से तंग आकर महिला ने उठाया खौफनाक कदम
  • प्रत्यक्षदर्शियों की तत्परता और पुलिस की समझाइश से बच गई मासूम की जान
  • सोशल मीडिया पर वीडियो वायरल होने से पूरे क्षेत्र में मची खलबली
  • IPC की विभिन्न धाराओं के तहत महिला पर केस दर्ज होने की संभावना

अमरावती का तिवासा शहर बना खौफनाक घटना का गवाह

महाराष्ट्र के अमरावती जिले के तिवासा शहर में 18 सितंबर की दोपहर घटित हुई एक घटना ने पूरे इलाके को हिला कर रख दिया। पिंगळाई नदी पुल पर एक महिला ने अपने लगभग एक साल के मासूम को नदी में फेंकने का प्रयास किया। यह घटना न केवल प्रत्यक्षदर्शियों के लिए बल्कि सोशल मीडिया पर इसे देखने वाले लाखों लोगों के लिए भी दिल दहला देने वाली साबित हुई।

स्थानीय सूत्रों के अनुसार, महिला अपने पति द्वारा लंबे समय से की जा रही प्रताड़ना और घरेलू विवाद से परेशान थी। गुस्से और तनाव में आकर उसने अपने ही बच्चे की जान खतरे में डालने का प्रयास किया।

प्रत्यक्षदर्शियों की सूझबूझ और पुलिस की त्वरित कार्रवाई

प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि घटना दोपहर लगभग 4 बजे की है। जैसे ही महिला ने बच्चे को पुल से नीचे फेंकने का प्रयास किया, वहां मौजूद लोगों ने जोर-जोर से शोर मचाना शुरू किया। देखते ही देखते मौके पर भारी भीड़ इकट्ठा हो गई।

सूचना पाते ही तिवासा पुलिस तुरंत पहुंची और लगभग 20 मिनट की मशक्कत और समझाइश के बाद महिला को शांत कराया गया। पुलिस ने न केवल बच्चे की जान बचाई बल्कि महिला को भी भावनात्मक रूप से संभाला।

तिवासा थाने के एपी गोपाल उपाध्याय ने बताया, “घटना को लेकर कोई औपचारिक शिकायत दर्ज नहीं हुई है। हमारी प्राथमिकता महिला को समझाना और बच्चे को सुरक्षित निकालना था। महिला को समझाकर घर भेज दिया गया है।”

सोशल मीडिया पर वायरल हुआ वीडियो

घटना का वीडियो कुछ ही घंटों में सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो गया। लोग इस वीडियो को देखकर स्तब्ध रह गए और महिला के इस कदम की निंदा करने लगे। वहीं कुछ लोगों ने यह भी कहा कि यदि महिला को समय रहते सही सहारा और परामर्श मिलता, तो वह इस तरह का खतरनाक कदम न उठाती।

कानूनी पहलू: Juvenile Justice Act और IPC की धाराएं लागू हो सकती हैं

कानूनी जानकारों के अनुसार, यदि इस मामले में शिकायत दर्ज होती है, तो महिला के खिलाफ कई गंभीर धाराओं में मामला बन सकता है।

IPC के संभावित प्रावधान

  • IPC 307 (हत्या का प्रयास): बच्चे की जान लेने की कोशिश को इस धारा के तहत कवर किया जा सकता है। इसमें 10 साल तक की सजा या आजीवन कारावास हो सकता है।
  • IPC 323 (चोट पहुंचाना): यदि बच्चे को चोट लगी होती, तो यह धारा भी लागू हो सकती थी।
  • IPC 506 (धमकी देना): महिला द्वारा जानबूझकर या डराने-धमकाने की स्थिति पैदा करने पर लागू।
  • IPC 34 (समान इरादे से अपराध): यदि अन्य लोग भी शामिल होते, तो यह धारा लगती।

Juvenile Justice Act के तहत कार्रवाई

Juvenile Justice Act के अंतर्गत बच्चे की सुरक्षा को खतरे में डालना एक गंभीर अपराध है। इसके तहत जेल की सजा और जुर्माना दोनों हो सकते हैं। चूंकि मामला नाबालिग की जान से जुड़ा है, इसलिए अदालत इस पर विशेष संज्ञान ले सकती है।

महिला की मानसिक स्थिति और घरेलू कलह

स्थानीय लोगों के अनुसार, महिला अपने पति के अत्याचार और पारिवारिक तनाव से लंबे समय से जूझ रही थी। कई बार वह पड़ोसियों के सामने भी अपनी पीड़ा व्यक्त कर चुकी थी। मानसिक दबाव और गुस्से के चलते उसने यह खतरनाक कदम उठाया।

मनोविज्ञान विशेषज्ञों का मानना है कि ऐसी घटनाएं परिवार और समाज दोनों की जिम्मेदारी को दर्शाती हैं। यदि समय पर महिला को परामर्श, सहयोग और सुरक्षा मिलती, तो वह इस हद तक कभी नहीं जाती।

सामाजिक और प्रशासनिक प्रतिक्रिया

इस घटना के बाद से पूरे अमरावती जिले में चर्चा का माहौल है। लोगों का कहना है कि घरेलू हिंसा और प्रताड़ना झेल रही महिलाओं के लिए ठोस कदम उठाना आवश्यक है।

कुछ सामाजिक संगठनों ने इस घटना के बहाने घरेलू हिंसा पीड़ित महिलाओं को काउंसलिंग और कानूनी सहायता देने की मांग उठाई है। वहीं प्रशासन ने भी ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए जागरूकता अभियान चलाने की बात कही है।

पिंगळाई नदी पुल की यह घटना समाज के सामने कई सवाल खड़े करती है। घरेलू कलह और अत्याचार के चलते जब एक मां अपने ही बच्चे की जान खतरे में डाल देती है, तो यह केवल कानून का मामला नहीं बल्कि सामाजिक चेतावनी भी है।

Juvenile Justice Act और IPC की धाराएं ऐसे मामलों में कठोर सजा का प्रावधान करती हैं, लेकिन उससे भी ज्यादा जरूरी है कि महिलाएं मानसिक और भावनात्मक रूप से अकेली महसूस न करें। समाज, परिवार और प्रशासन को मिलकर ऐसे कदम उठाने होंगे, ताकि भविष्य में कोई मां इस तरह का खौफनाक निर्णय न ले।

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