झांसी रेलवे स्टेशन पर गिरी महिला… और फिर जो किया छुट्टी पर जा रहे फौजी डॉक्टर ने, वो सुनकर कांप उठे लोग

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हाइलाइट्स

  •  Indian Army Doctor मेजर रोहित ने प्लेटफॉर्म पर करवाई सफल डिलीवरी
  • महिला को अचानक हुआ लेबर पेन, आसपास कोई मेडिकल सहायता नहीं थी
  • बिना ऑपरेशन थिएटर और टीम के, पॉकेट नाइफ से की नाल काटने की प्रक्रिया
  • Indian Army Doctor ने नवजात को स्थिर कर सुरक्षित कराया अस्पताल में भर्ती
  • आम जनता और रेलवे प्रशासन ने मेजर रोहित को कहा “रियल हीरो”

 जब कर्तव्य वर्दी से नहीं, संस्कार से निभाया जाता है

भारतीय सेना के अधिकारी सिर्फ सीमा पर ही नहीं, आम जनजीवन में भी मिसाल कायम करते हैं। इसका सजीव उदाहरण देखने को मिला झांसी रेलवे स्टेशन पर, जब एक गर्भवती महिला को अचानक प्लेटफॉर्म पर लेबर पेन शुरू हुआ और कोई मेडिकल सहायता पास में नहीं थी। तभी वहां मौजूद एक छुट्टी पर जा रहे Indian Army Doctor, मेजर रोहित, ने बिना किसी संसाधन के डिलीवरी करवाकर दो ज़िंदगियाँ बचा लीं।

 घटना का विवरण: झांसी स्टेशन बना इमरजेंसी वॉर्ड

 प्लेटफॉर्म नंबर 2 पर अचानक गिर गई महिला

यह घटना सुबह करीब 7:30 बजे की है। झांसी रेलवे स्टेशन के प्लेटफॉर्म नंबर 2 पर एक महिला, जिसकी पहचान कविता देवी (28 वर्ष) के रूप में हुई, अपने पति के साथ लखनऊ से नागपुर जा रही थी। ट्रेन आने से पहले ही महिला को अचानक लेबर पेन शुरू हुआ और वो ज़मीन पर गिर पड़ी।

 लोग घबरा गए, कोई मदद को आगे नहीं आया

प्लेटफॉर्म पर मौजूद लोग हक्के-बक्के रह गए। किसी को समझ नहीं आ रहा था कि क्या करें। रेलवे प्रशासन को सूचना दी गई, लेकिन मेडिकल टीम के आने में देर लग रही थी। तभी भीड़ में से एक व्यक्ति तेजी से आगे बढ़ा — वो थे Indian Army Doctor मेजर रोहित, जो सिविल ड्रेस में थे और छुट्टी पर घर जा रहे थे।

 “मैं डॉक्टर हूँ, मुझे करने दीजिए”: मेजर रोहित

 मेजर रोहित की तत्परता और साहस

जैसे ही मेजर रोहित ने हालात देखे, उन्होंने तुरंत अपना परिचय दिया और कहा, “मैं Indian Army Doctor हूँ, कृपया मुझे करने दीजिए।” उन्होंने महिला के पति को धैर्य बंधाया और प्लेटफॉर्म पर मौजूद यात्रियों से मदद मांगी।

 न्यूनतम साधनों में किया चमत्कारी कार्य

मेजर रोहित के पास ना तो स्टेथोस्कोप था, ना दस्ताने, ना कोई स्टरलाइज़्ड उपकरण। फिर भी उन्होंने पॉकेट नाइफ, एक हेयर क्लिप, और अपने अनुभव का इस्तेमाल करते हुए पूरी प्रक्रिया को संभाला। 15 मिनट के भीतर महिला ने एक स्वस्थ नवजात को जन्म दिया।

नवजात को सुरक्षित किया, मां भी स्वस्थ

 मेडिकल टीम के आने तक स्थिति को संभाला

मेजर रोहित ने डिलीवरी के बाद बच्चा और मां दोनों की स्थिति को स्थिर किया। उन्होंने अपने रुमाल और टिश्यू से नवजात को लपेटा और नाल काटकर उसे एक सुरक्षित स्थिति में रखा। कुछ देर बाद रेलवे मेडिकल टीम और एंबुलेंस मौके पर पहुंची और दोनों को नजदीकी सरकारी अस्पताल पहुंचाया गया।

 डॉक्टरों ने की तारीफ

अस्पताल पहुंचने पर डॉक्टरों ने कहा कि अगर समय रहते डिलीवरी नहीं होती, तो माँ और बच्चे की जान जा सकती थी। Indian Army Doctor मेजर रोहित की तत्परता और अनुभव ने दोनों की जान बचा ली।

 सोशल मीडिया पर मचा तहलका: ‘हीरो विदाउट केप’

 वायरल हुआ वीडियो

घटना का एक छोटा वीडियो एक यात्री ने सोशल मीडिया पर अपलोड किया, जिसमें Indian Army Doctor मेजर रोहित प्लेटफॉर्म पर घुटनों के बल बैठकर डिलीवरी कराते नजर आ रहे हैं। वीडियो देखते ही देखते वायरल हो गया और लाखों लोगों ने उन्हें सलाम किया।

 जन प्रतिक्रिया

  • एक यूजर ने लिखा: “Real life hero — salute to Indian Army Doctor.”
  • दूसरे ने कहा: “वर्दी पहने या नहीं, फौजी हमेशा ड्यूटी पर होता है।”

 रेलवे और सेना की ओर से आया सम्मान

 रेलवे अधिकारी ने किया सम्मानित

रेलवे की ओर से मेजर रोहित को प्रशंसा पत्र दिया गया। रेलवे DRM ने कहा, “ऐसे जांबाज़ों की वजह से ही भारत सुरक्षित है, चाहे वह सीमा हो या प्लेटफॉर्म।”

 सेना प्रमुख ने दी प्रतिक्रिया

भारतीय सेना के प्रवक्ता ने भी इस घटना की पुष्टि की और कहा कि मेजर रोहित का यह कदम Indian Army Doctor के साहस और मानवता का प्रतीक है। उनका यह कृत्य न सिर्फ प्रेरणादायक है, बल्कि यह दिखाता है कि भारतीय सेना के डॉक्टर केवल बॉर्डर पर ही नहीं, देश के हर कोने में जीवन रक्षक हैं।

 इंसानियत का सबसे बड़ा सबक

 बिना वर्दी पहने भी वर्दी वाला जज़्बा

यह घटना केवल एक मेडिकल इमरजेंसी नहीं थी, यह एक संदेश था—कि सेवा, संस्कार, और संवेदनशीलता अगर किसी में हो, तो वह कहीं भी, किसी भी परिस्थिति में इंसान की जान बचा सकता है।

 मेजर रोहित का बयान

जब मीडिया ने उनसे पूछा कि उन्होंने यह सब कैसे किया, तो उनका जवाब था:
“मैंने जो किया, वह मेरा कर्तव्य था। फौजी कभी छुट्टी पर नहीं होता।”

Indian Army Doctor मेजर रोहित की इस अद्वितीय सेवा भावना ने यह साबित कर दिया कि सैनिक हर परिस्थिति में देश और देशवासियों के लिए समर्पित रहता है। यह घटना हमें यह सिखाती है कि ज़िम्मेदारी सिर्फ प्रोफेशन की नहीं होती, यह इंसानियत की होती है।

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