दिल्ली की राजनीति में हाल ही में मुस्तफाबाद विधानसभा क्षेत्र का नाम बदलने को लेकर एक नया विवाद उभरकर सामने आया है। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नवनिर्वाचित विधायक मोहन सिंह बिष्ट ने मुस्तफाबाद का नाम बदलकर ‘शिवपुरी’ या ‘शिव विहार’ रखने का प्रस्ताव रखा है। इस प्रस्ताव के बाद आम आदमी पार्टी (आप) के पूर्व विधायक हाजी यूनुस ने कड़ा विरोध जताया है।
नाम बदलने का प्रस्ताव:
मोहन सिंह बिष्ट ने हाल ही में एक साक्षात्कार में कहा, “एक तरफ 58 फीसदी लोग हैं, दूसरी तरफ 42 फीसदी लोग हैं। विधानसभा का नाम 42 फीसदी वाले लोगों की पसंद का कैसे हो सकता है? यह 58 फीसदी लोगों के साथ अन्याय है। मैं इस विधानसभा का नाम बहुसंख्यकों के नाम पर करवाऊंगा।”
उन्होंने यह भी बताया कि विधानसभा के गठन के बाद जैसे ही पहला सत्र चालू होगा, वे प्रस्ताव लाएंगे कि मुस्तफाबाद विधानसभा का नाम बदलकर ‘शिवपुरी’ या ‘शिव विहार’ रखा जाए।
विरोध की प्रतिक्रिया:
इस प्रस्ताव के जवाब में आप के पूर्व विधायक हाजी यूनुस ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा, “जब तक मैं जिंदा हूं, मुस्तफाबाद का नाम नहीं बदला जाएगा। अगर उन्हें इतनी फिक्र थी तो एमसीडी इलेक्शन से पहले एलजी साहब ने शिव विहार का नाम बदलकर ईस्ट करावल नगर कर दिया। वे शिव विहार का नाम तो बचा नहीं सके, मुस्तफाबाद का नाम क्या बदलेंगे। अभी मुस्तफाबाद की अवाम ने चूड़ियां नहीं पहनी हैं। ऐसे कैसे नाम बदल जाएगा।”
हाजी यूनुस ने यह भी कहा कि मुस्तफाबाद में अब मुस्लिम आबादी 48.9 प्रतिशत है, और मोहन सिंह बिष्ट को अपनी जानकारी दुरुस्त करनी चाहिए। उन्होंने आगे कहा कि 2026 में परिसीमन होने वाला है, जिसमें विधानसभा की सीटें बढ़ेंगी। ऐसे में अगर वे चाहे तो ईस्ट करावल नगर का नाम शिवपुरी रखें या कुछ भी रखें, लेकिन मुस्तफाबाद का नाम मुस्तफाबाद ही रहेगा।
राजनीतिक प्रतिक्रियाएं:
आप नेता आदिल अहमद खान ने भी इस मुद्दे पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, “लोगों ने मोहन सिंह बिष्ट को मुस्तफाबाद निर्वाचन क्षेत्र के विकास के लिए जनादेश दिया है। उनको जनता के हितों को लेकर बात करनी चाहिए। उन्हें मुस्तफाबाद विधानसभा क्षेत्र को डेवलपमेंट की तरफ ले जाने के लिए बात करनी चाहिए।”
उन्होंने आगे कहा, “वो मुद्दों से लोगों का ध्यान भटका रहे हैं। वो खुद भी भटक रहे हैं और लोगों को भी भटका रहे हैं। मुझे लगता है कि उन्हें मुस्तफाबाद में अच्छी सड़कें, अच्छे अस्पताल, बच्चों के लिए अच्छे स्कूल, बुजुर्गों के लिए इलाज, महिलाओं और बुजुर्गों के सम्मान को लेकर बात करनी चाहिए। मेरी उनको सलाह है कि वो मुस्तफाबाद के अंदर काम की राजनीति पर ध्यान दें।”
विधायक मोहन सिंह बिष्ट का राजनीतिक सफर:
मोहन सिंह बिष्ट 1998 में करावल नगर से पहली बार विधानसभा चुनाव जीते थे और 2015 तक इस सीट पर विधायक रहे। हालांकि, 2015 में आप के टिकट पर लड़ रहे कपिल मिश्रा ने उन्हें हराया था। साल 2020 में बिष्ट ने कपिल मिश्रा को हराकर वापसी की। करावल नगर के मतदाता कपिल मिश्रा के हिंदुत्व वाली छवि की तरफ अधिक आकर्षित थे, जिसके कारण पार्टी ने बिष्ट को दूसरी सीट पर भेजने का फैसला किया। बिष्ट ने इस निर्णय को गलत बताया, लेकिन बाद में उन्हें मुस्तफाबाद से चुनाव लड़ने के लिए भेजा गया।
बिष्ट के जनता से नजदीकी संबंध थे और उनकी स्थानीय मुद्दों को उठाने और विकास कार्यों में भूमिका की सराहना की जाती है। हालांकि, 2020 में उन्हें विवादों का भी सामना करना पड़ा, जब एक महिला ने उन पर दिल्ली दंगों के दौरान भीड़ का नेतृत्व करने और उसकी दुकान जलाने का आरोप लगाया।
मुस्तफाबाद का नाम बदलने का प्रस्ताव दिल्ली की राजनीति में एक नया विवाद खड़ा कर रहा है। जहां भाजपा विधायक मोहन सिंह बिष्ट इसे बहुसंख्यक समुदाय के सम्मान के रूप में देख रहे हैं, वहीं आप के नेता इसे विकास के मुद्दों से ध्यान भटकाने की कोशिश मान रहे हैं। आने वाले समय में यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि यह विवाद किस दिशा में जाता है और इसका मुस्तफाबाद की जनता पर क्या प्रभाव पड़ता है।