बेहद शर्मनाक: सिवनी में आदिवासी छात्रावास में छोटी बच्चियों से पैरों की मालिश करवाती शिक्षिका का वीडियो वायरल

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मध्य प्रदेश के सिवनी जिले में एक आदिवासी छात्रावास की शिक्षिका का वीडियो वायरल होने के बाद राज्य में आक्रोश की लहर दौड़ गई है। वीडियो में शिक्षिका सुजाता मरके को छोटी बच्चियों से अपने पैरों की मालिश करवाते हुए देखा जा सकता है, जो न केवल नैतिकता के खिलाफ है, बल्कि बाल अधिकारों का भी उल्लंघन है।

वायरल वीडियो की घटना

हाल ही में सोशल मीडिया पर प्रसारित इस वीडियो में, सुजाता मरके, जो सिवनी जिले के एक आदिवासी छात्रावास में कार्यरत हैं, को नाबालिग छात्राओं से अपने पैरों की मालिश करवाते हुए देखा गया। इस घटना ने समाज में गहरा आक्रोश उत्पन्न किया है, विशेषकर आदिवासी समुदाय में, जहां बच्चियों के साथ इस प्रकार का व्यवहार अस्वीकार्य है।

शिक्षिका का पूर्व निलंबन और विवादास्पद प्रतिनियुक्ति

सूत्रों के अनुसार, सुजाता मरके पहले भी अपने कर्तव्यों में लापरवाही के कारण निलंबित हो चुकी हैं। इसके बावजूद, उन्हें नियमों का उल्लंघन करते हुए ट्राइबल विभाग में पुनः प्रतिनियुक्ति दी गई, जो विभाग की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े करता है। यह समझ से परे है कि एक बार निलंबित हो चुकी शिक्षिका को दोबारा नियुक्ति कैसे दी गई।

आदिवासी समुदाय की प्रतिक्रिया

आदिवासी समुदाय के नेताओं और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने इस घटना की कड़ी निंदा की है। उनका कहना है कि यह न केवल बच्चियों के अधिकारों का हनन है, बल्कि आदिवासी संस्कृति और मूल्यों का भी अपमान है। उन्होंने मांग की है कि दोषी शिक्षिका के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए और भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकने के लिए ठोस कदम उठाए जाएं।

मुख्यमंत्री से कार्रवाई की मांग

मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री से अपेक्षा की जा रही है कि वे इस मामले में त्वरित और सख्त कार्रवाई करें। सामाजिक कार्यकर्ताओं का कहना है कि दोषियों के खिलाफ कठोर कदम उठाए जाने चाहिए ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो। इसके साथ ही, उन्होंने ट्राइबल विभाग की कार्यप्रणाली की भी जांच की मांग की है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि भविष्य में नियमों का उल्लंघन न हो।

शिक्षा विभाग की जिम्मेदारी

इस घटना ने शिक्षा विभाग की जिम्मेदारियों पर भी सवाल खड़े किए हैं। बच्चों की सुरक्षा और उनके अधिकारों की रक्षा करना विभाग की प्राथमिकता होनी चाहिए। इस प्रकार की घटनाएं विभाग की निगरानी और नियंत्रण में कमी को दर्शाती हैं। आवश्यक है कि विभाग अपने कर्मचारियों की गतिविधियों पर कड़ी नजर रखे और समय-समय पर उनकी समीक्षा करे।

समाज की भूमिका

समाज के प्रत्येक सदस्य की जिम्मेदारी है कि वे बच्चों के अधिकारों की रक्षा करें और इस प्रकार की घटनाओं के खिलाफ आवाज उठाएं। बच्चे हमारे भविष्य हैं, और उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करना हम सभी का कर्तव्य है। यदि आप इस प्रकार की किसी घटना के साक्षी बनते हैं, तो तुरंत संबंधित अधिकारियों को सूचित करें और आवश्यक कार्रवाई में सहयोग करें।

सिवनी की यह घटना हमारे समाज के लिए एक चेतावनी है कि बच्चों की सुरक्षा और उनके अधिकारों की रक्षा के लिए हमें सतर्क रहने की आवश्यकता है। शिक्षा संस्थानों में इस प्रकार की घटनाएं अस्वीकार्य हैं, और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए। साथ ही, यह सुनिश्चित करना आवश्यक है कि भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो, जिसके लिए विभागीय प्रक्रियाओं की समीक्षा और सुदृढ़ीकरण आवश्यक है।

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