Boeing 787-8

उड़ान के कुछ ही मिनटों बाद बोइंग 787-8 में मची अफरा-तफरी! पायलट ने हवा में क्यों लगाया कई चक्कर? सच्चाई जान दंग रह जाएंगे आप

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हाइलाइट्स

  • Boeing 787-8 विमान ने लंदन से चेन्नई उड़ान भरते ही तकनीकी खराबी के कारण हवा में चक्कर लगाना शुरू कर दिया।
  • एयर इंडिया विमान हादसे के बाद दुनियाभर की एयरलाइंस की सतर्कता बढ़ गई है।
  • ब्रिटिश एयरवेज की फ्लाइट BA35 ने रनवे से टेकऑफ के बाद फ्लैप्स में खराबी दर्ज की।
  • विमान को सुरक्षित रूप से लंदन हीथ्रो एयरपोर्ट पर वापस लैंड कराया गया।
  • सभी यात्री और चालक दल सुरक्षित; एयरपोर्ट पर इमरजेंसी टीम अलर्ट पर थी।

एयर इंडिया हादसे के कुछ दिन बाद ही फिर एक बड़ा खतरा टला

एयर इंडिया के Boeing 787-8 विमान की भीषण दुर्घटना के ठीक बाद अब ब्रिटिश एयरवेज के इसी मॉडल के विमान में उड़ान के दौरान बड़ी तकनीकी खराबी आ गई। लंदन हीथ्रो हवाई अड्डे से चेन्नई के लिए उड़ान भरने वाली Boeing 787-8 विमान संख्या BA35 ने जैसे ही 15,000 फीट की ऊंचाई पकड़ी, फ्लैप्स में गड़बड़ी की सूचना मिली। इसके बाद पायलट ने होल्डिंग पैटर्न अपनाते हुए विमान को हवा में ही चक्कर लगाना शुरू कर दिया।

क्या होता है फ्लैप्स की खराबी और क्यों है ये जानलेवा?

फ्लैप्स विमान के पंखों पर लगे कंट्रोल सरफेस होते हैं जो टेकऑफ और लैंडिंग के दौरान लिफ्ट बढ़ाने का काम करते हैं। Boeing 787-8 जैसे भारी-भरकम विमान में फ्लैप्स की विफलता गंभीर स्थिति पैदा कर सकती है। इसलिए जैसे ही पायलट को यह सूचना मिली कि फ्लैप्स काम नहीं कर रहे, उन्होंने तत्काल विमान को होल्डिंग पैटर्न में डाल दिया, ताकि ईंधन खत्म करके वजन कम किया जा सके और इमरजेंसी लैंडिंग आसान हो।

 अंतरराष्ट्रीय स्तर पर फिर उठा Boeing 787-8 की सुरक्षा पर सवाल

एयर इंडिया की दुर्घटना और अब ब्रिटिश एयरवेज की घटना – क्या है संबंध?

कुछ ही दिन पहले एयर इंडिया का Boeing 787-8 विमान टेकऑफ के तुरंत बाद क्रैश हो गया था, जिसमें 241 यात्रियों सहित कुल 270 लोगों की मौत हो गई थी। हादसे के मलबे से जो साक्ष्य सामने आ रहे हैं, वे स्पष्ट कर रहे हैं कि विमान में टेक्निकल फेलियर की आशंका प्रबल है। अब ब्रिटिश एयरवेज की Boeing 787-8 में भी फ्लैप्स की गड़बड़ी ने इन विमानों की गुणवत्ता और सुरक्षा पर फिर से सवाल खड़ा कर दिया है।

 सुरक्षित लैंडिंग: कैसे बची 250 से अधिक ज़िंदगियां

1 घंटे 45 मिनट तक हवा में रहा विमान

जैसे ही Boeing 787-8 में फ्लैप्स की खराबी दर्ज हुई, विमान को जलडमरूमध्य (English Channel) के ऊपर होल्ड कराया गया। फ्लाइट रडार से मिली जानकारी के अनुसार, विमान ने लगभग 1 घंटा 45 मिनट हवा में चक्कर लगाए। इसके बाद जब वजन कम हो गया और इमरजेंसी गाइडलाइन्स के तहत अनुमति मिली, तो विमान को वापस हीथ्रो एयरपोर्ट पर सुरक्षित उतारा गया।

फ्यूल डंपिंग: ईंधन छोड़ने की ज़रूरत क्यों पड़ी?

Boeing 787-8 को लैंडिंग से पहले हवा में ही फ्यूल डंप करना पड़ा, क्योंकि फुल टैंक के साथ लैंडिंग करना खतरनाक हो सकता है। यह एक मानक सुरक्षा प्रक्रिया है जो केवल तब अपनाई जाती है जब लैंडिंग आवश्यक हो और विमान का वजन अधिक हो।

 पायलट की सतर्कता और ग्राउंड क्रू की तत्परता ने टाला बड़ा हादसा

लंदन हीथ्रो एयरपोर्ट पर जैसे ही पायलट ने आपात स्थिति की जानकारी दी, तत्काल सभी इमरजेंसी रिस्पॉन्स टीमें अलर्ट मोड पर आ गईं। एयरपोर्ट के रनवे पर अग्निशमन वाहन, एंबुलेंस और चिकित्सा टीम तैनात कर दी गईं। आखिरकार Boeing 787-8 को टर्मिनल 5 के स्टैंड C66 पर सुरक्षित खड़ा कर दिया गया।

 DGCA और यूरोपीय एविएशन एजेंसियों ने की जाँच शुरू

अब इस घटना के बाद यूरोपीय और भारतीय विमानन नियामकों ने Boeing 787-8 की सेफ्टी स्टैंडर्ड्स की गहन समीक्षा शुरू कर दी है। एयर इंडिया दुर्घटना में ब्लैक बॉक्स मिल चुका है और उसका विश्लेषण चल रहा है। ब्रिटिश एयरवेज की इस फ्लाइट में कोई जानमाल की हानि नहीं हुई, लेकिन यह घटना वैश्विक एयरलाइंस के लिए चेतावनी है।

Boeing 787-8 – टेक्नोलॉजी का चमत्कार या दुर्घटना की प्रतीक्षा?

इस विमान के फायदे

  • लंबी दूरी की उड़ानों के लिए डिज़ाइन
  • अधिक ईंधन दक्षता
  • बेहतर कैबिन प्रेशर और ह्यूमिडिटी
  • पर्यावरण अनुकूल इंजन

हाल की घटनाओं से उठे सवाल

हालांकि Boeing 787-8 को दुनिया के सबसे आधुनिक विमानों में गिना जाता है, लेकिन लगातार सामने आ रही तकनीकी गड़बड़ियां इसकी विश्वसनीयता को लेकर चिंता बढ़ा रही हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि इन विमानों की नियमित जांच और मॉड्यूल अपग्रेड बेहद जरूरी है।

 तकनीक पर अंधा भरोसा नहीं, सुरक्षा सर्वोपरि

Boeing 787-8 ने आधुनिक एविएशन की दिशा में क्रांति जरूर की है, लेकिन हालिया घटनाएं बता रही हैं कि टेक्नोलॉजी के साथ-साथ सतर्कता और मानवीय हस्तक्षेप भी आवश्यक हैं। एयर इंडिया हादसा हो या ब्रिटिश एयरवेज की तकनीकी खराबी – दोनों घटनाएं हमें यह सिखाती हैं कि उड़ान जितनी ऊंची हो, सुरक्षा उतनी ही मजबूत होनी चाहिए।

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