Obesity in Children

Obesity in Children पर महामारी के बाद वैश्विक विस्फोट: WHO की चौंकाने वाली रिपोर्ट

Health

हाइलाइट्स:

महामारी के बाद बच्चों में मोटापा क्यों हुआ बेकाबू?

WHO और UNICEF की संयुक्त रिपोर्ट के अनुसार, दुनिया भर में Obesity in Children एक नया वैश्विक संकट बनकर उभरा है। महामारी के दौरान बच्चों की दिनचर्या बुरी तरह से प्रभावित हुई, जिससे मोटापा तेज़ी से बढ़ा।

बच्चों की दिनचर्या में आया भारी बदलाव

  • ऑनलाइन क्लासेस और बढ़ा Screen Time
  • खेलकूद और आउटडोर गतिविधियाँ लगभग बंद
  • अस्वस्थ खानपान और जंक फूड पर निर्भरता
  • नींद और शारीरिक गतिविधियों का असंतुलन

इन सभी कारणों ने मिलकर Obesity in Children को एक महामारी के बाद की छाया बना दिया।

आंकड़े क्या कहते हैं?

WHO के आंकड़ों के अनुसार:

  • 2020 में वैश्विक स्तर पर लगभग 12 करोड़ बच्चे Obesity in Children श्रेणी में थे।
  • 2024 में यह संख्या बढ़कर 17.8 करोड़ हो गई।
  • सबसे ज्यादा वृद्धि अमेरिका, ब्राज़ील, भारत, चीन और यूके में देखी गई।

भारत में 5 से 17 वर्ष के बच्चों में Obesity in Children की दर 9.8% से बढ़कर 13.2% हो गई है।

भारत में स्थिति कितनी गंभीर है?

भारत में Obesity in Children को लेकर विशेषज्ञ और सरकार दोनों चिंतित हैं। खासकर मेट्रो सिटीज़ में स्थिति ज्यादा चिंताजनक है:

  • 14-17 वर्ष के बच्चों में 25% से अधिक स्क्रीन टाइम 6 घंटे से ज़्यादा है।
  • शारीरिक गतिविधियों की कमी 40% से अधिक बच्चों में पाई गई।
  • मिठाई, पैकेज्ड स्नैक्स, और सॉफ्ट ड्रिंक का सेवन 30% बच्चों में नियमित है।

क्या कर रही है सरकार?

भारत सरकार ने हाल ही में “School Health and Wellness Programme” को और प्रभावशाली बनाने की घोषणा की है ताकि Obesity in Children को शुरुआती स्तर पर ही रोका जा सके।

विशेषज्ञों की राय: क्या करें माता-पिता?

डॉ. नीरज सक्सेना, बाल रोग विशेषज्ञ (AIIMS)

Obesity in Children एक धीमा लेकिन गंभीर स्वास्थ्य खतरा है। इससे भविष्य में डायबिटीज़, हृदय रोग, मानसिक स्वास्थ्य समस्याएं और सामाजिक अलगाव तक हो सकता है।”

वे माता-पिता को निम्नलिखित सुझाव देते हैं:

  • बच्चों का स्क्रीन टाइम सीमित करें (≤2 घंटे/दिन)
  • प्रतिदिन कम से कम 1 घंटे की शारीरिक गतिविधि सुनिश्चित करें
  • संतुलित आहार और पौष्टिक भोजन पर ज़ोर दें
  • जंक फूड को केवल विशेष अवसरों तक सीमित करें
  • बच्चों की मानसिक स्थिति पर भी ध्यान दें

दुनिया क्या कर रही है: वैश्विक प्रयास

Obesity in Children से निपटने के लिए कई देश नीति-स्तर पर सक्रिय हुए हैं:

  • UK में स्कूलों में शुगर टैक्स और हेल्दी लंच कंपलसरी
  • जापान में बच्चों के BMI की नियमित स्कूल रिपोर्टिंग
  • फ्रांस में विज्ञापनों में जंक फूड बैन
  • भारत में FSSAI ने स्कूलों में जंक फूड बिक्री पर रोक लगाई है

अब नहीं संभले तो देर हो जाएगी

Obesity in Children अब केवल एक स्वास्थ्य समस्या नहीं बल्कि सामाजिक और आर्थिक समस्या बन चुकी है। बच्चों की आदतें और जीवनशैली अभी बदली गईं तो आने वाले वर्षों में भारत को एक मोटे बचपन से जूझना होगा जो आगे चलकर बीमार और असमर्थ वयस्क बनेंगे।

हमें स्कूलों, माता-पिता और नीति निर्माताओं को मिलकर इस संकट से लड़ने की ज़रूरत है – ताकि हमारे बच्चे स्वस्थ और सक्रिय भविष्य की ओर बढ़ सकें।

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