सकत बेवर गांव में फिर टूटा मौत का सिलसिला: जामुन तोड़ने गया युवक कंज के पेड़ पर लटका मिला, 10 साल में 7 रहस्यमयी मौतें!

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हाइलाइट्स

  • मैनपुरी के सकत बेवर गांव में 10 सालों में हुईं 7 Tragic Deaths से दहशत
  • 18 वर्षीय जितेंद्र की कंज के पेड़ पर लटकी मिली लाश
  • आम तोड़ने की बात कहकर घर से निकला था, फिर वापस नहीं लौटा
  • परिवार में मातम का माहौल, मां को बेहोशी के दौरे पड़े
  • गांव के लोग भी हैरान, शंका: क्या यह सिर्फ हादसा है या कुछ और?

मैनपुरी, उत्तर प्रदेश — उत्तर प्रदेश के मैनपुरी जिले के सकत बेवर गांव में एक बार फिर दर्दनाक हादसे ने पूरे गांव को झकझोर दिया है। एक ही परिवार में 10 वर्षों के भीतर 7 Tragic Deaths हो चुकी हैं, और अब 18 वर्षीय युवक जितेंद्र की संदिग्ध हालत में हुई मौत ने इस सिलसिले को और रहस्यमयी बना दिया है।

गांव के लोगों में डर और सन्नाटा पसरा हुआ है। सवाल उठ रहे हैं कि क्या यह सिर्फ एक संयोग है या किसी अशुभ छाया का असर? जितेंद्र के परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल है। मां तो बेटे की लाश देखते ही बेहोश होकर गिर पड़ीं।

कंज के पेड़ पर लटका मिला शव, जामुन तोड़ने गया था जितेंद्र

गुरुवार की सुबह जितेंद्र घर से यह कहकर निकला था कि वह कंज के पेड़ से जामुन तोड़ने जा रहा है। लेकिन जब देर शाम तक वह वापस नहीं लौटा, तो परिवार ने उसकी खोजबीन शुरू की। कुछ घंटों बाद गांव के पास ही स्थित एक पुराने कंज के पेड़ से उसकी लाश लटकी हुई मिली।

स्थानीय पुलिस ने मौके पर पहुंचकर शव को नीचे उतरवाया और पोस्टमार्टम के लिए भेजा। हालांकि प्रारंभिक जांच में आत्महत्या का संकेत है, लेकिन परिवार इस बात को सिरे से नकार रहा है।

“मेरा बेटा कभी खुदकुशी नहीं कर सकता” — मां की चीख से कांप उठा गांव

जैसे ही मां कमला देवी ने बेटे की लाश देखी, वह चीखते हुए गिर पड़ीं। आसपास की महिलाएं उन्हें संभालने दौड़ीं। उनका कहना है, “वह हंसता-खेलता लड़का था। घर में किसी बात को लेकर कोई तनाव नहीं था। उसने कोई परेशानी जाहिर नहीं की थी।”

परिवारजन का कहना है कि जितेंद्र बहुत मेहनती और मिलनसार युवक था। वह गांव में सबका चहेता था। इसलिए उनकी नजर में यह मौत एक सामान्य Tragic Deaths की कड़ी नहीं बल्कि किसी गहरी साजिश का हिस्सा हो सकती है।

10 वर्षों में एक ही परिवार में 7 Tragic Deaths — क्या यह महज इत्तेफाक है?

इस गांव की सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि पिछले 10 वर्षों में इसी परिवार के 6 अन्य सदस्य अलग-अलग घटनाओं में मारे गए हैं। इनमें सड़क दुर्घटनाएं, बीमारी और एक अन्य आत्महत्या का मामला शामिल है। अब जितेंद्र की मृत्यु ने इस सिलसिले को और रहस्यमय बना दिया है।

पिछले Tragic Deaths की सूची:

  1. 2015 — जितेंद्र के दादा की सड़क दुर्घटना में मौत
  2. 2016 — चाचा की बीमारी से असमय मृत्यु
  3. 2017 — छोटी बहन का कुएं में गिरकर निधन
  4. 2019 — पिता की हार्ट अटैक से मौत
  5. 2021 — बड़ा भाई रहस्यमयी हालात में मृत पाया गया
  6. 2022 — फुफेरे भाई की आत्महत्या
  7. 2025 — जितेंद्र की संदिग्ध मौत (हाल ही की Tragic Deaths)

गांव वालों में भय, कुछ ने घर छोड़ने की बात कही

गांव के कई लोगों का मानना है कि यह परिवार किसी अनजाने शाप या प्रेतबाधा का शिकार है। “पहले हम इन बातों पर यकीन नहीं करते थे, लेकिन अब लगातार Tragic Deaths देखकर डर लगने लगा है,” – यह कहना है गांव के प्रधान दिनेश यादव का।

कुछ लोगों ने तो यह तक कह दिया है कि वे अब गांव छोड़कर अन्यत्र बसने पर विचार कर रहे हैं। उन्होंने प्रशासन से जांच की मांग की है कि आखिर एक ही परिवार पर बार-बार विपत्तियां क्यों टूट रही हैं?

पुलिस क्या कह रही है? मामले की जांच में जुटी टीम

मैनपुरी पुलिस के सर्कल ऑफिसर ने बताया कि “प्रथम दृष्टया मामला आत्महत्या का लग रहा है, लेकिन हम पोस्टमार्टम रिपोर्ट का इंतजार कर रहे हैं। गांव के इतिहास और परिवार की Tragic Deaths को ध्यान में रखते हुए हर एंगल से जांच की जाएगी।”

पुलिस ने पेड़ के आसपास से सबूत इकट्ठे किए हैं। साथ ही, परिवार के लोगों और पड़ोसियों से पूछताछ की जा रही है।

मानसिक स्वास्थ्य और सामाजिक दबाव की जांच भी जरूरी

विशेषज्ञों का मानना है कि लगातार Tragic Deaths के बाद परिवार मानसिक तनाव में रहा होगा। ऐसी स्थितियों में व्यक्ति खुद को अकेला महसूस कर सकता है, और यह आत्मघाती कदम की ओर ले जा सकता है।

हालांकि जितेंद्र के परिवार वालों का दावा है कि वह मानसिक रूप से बिल्कुल स्वस्थ था, फिर भी पुलिस मनोवैज्ञानिक पहलुओं पर भी ध्यान दे रही है।

क्या तंत्र-मंत्र या पारिवारिक दुश्मनी है वजह?

गांव में कुछ लोगों का मानना है कि यह सब किसी पुरानी पारिवारिक दुश्मनी या तांत्रिक प्रभाव का नतीजा हो सकता है। हालांकि इन अंधविश्वासों को लेकर प्रशासन फिलहाल कोई पुष्टि नहीं कर रहा, लेकिन ग्रामीणों में भय और शंका का माहौल बना हुआ है।

 Tragic Deaths की यह शृंखला गांव के लिए बनी रहस्य

सकत बेवर गांव की यह घटना सिर्फ एक और मौत नहीं है, यह एक बड़ा सवाल खड़ा करती है—क्या यह संयोग है या साजिश? 10 वर्षों में 7 Tragic Deaths ने न सिर्फ एक परिवार को तोड़ दिया है, बल्कि पूरे गांव को एक अजीब डर और रहस्य में झोंक दिया है।

पुलिस की जांच और वैज्ञानिक रिपोर्ट्स क्या सामने लाती हैं, यह भविष्य में तय होगा। लेकिन फिलहाल जितेंद्र की मौत ने एक और बार इस गांव की तकदीर को मौत से जोड़ दिया है।

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