हाइलाइट्स
- Why Korean boys don’t have beard सवाल कई लोगों के मन में बार-बार उठता है
- कोरियन लड़कों में दाढ़ी उगने की प्रक्रिया बहुत धीमी होती है
- आनुवंशिक कारणों से उनकी दाढ़ी-मूंछ कम घनी होती है
- कोरियन संस्कृति में दाढ़ी रखना आलसीपन और अशुद्धता की निशानी मानी जाती है
- महिलाएं साफ-सुथरे चेहरे वाले कोरियन लड़कों को अधिक पसंद करती हैं
कोरियन लड़कों के चिकने चेहरे की सच्चाई
आपने कई बार K-Drama, K-pop या कोरियन फिल्मों में कोरियन लड़कों को देखा होगा—बेहद चिकना चेहरा, बिना किसी दाढ़ी-मूंछ के। यही सवाल हर किसी के दिमाग में आता है: Why Korean boys don’t have beard? क्या वाकई कोरियन लड़कों को दाढ़ी नहीं आती? या फिर इसके पीछे कोई वैज्ञानिक, सांस्कृतिक और सामाजिक कारण छुपा है?
इस लेख में हम विस्तार से जानेंगे कि कोरियन पुरुषों की ‘नो बियर्ड’ लुक के पीछे क्या वजह है, और क्यों ये ट्रेंड सिर्फ ट्रेंड नहीं बल्कि उनकी जीवनशैली और सोच का हिस्सा है।
कोरियन लड़कों में दाढ़ी उगती है या नहीं?
दाढ़ी नहीं उगती—ये धारणा है गलत
पहली और सबसे जरूरी बात यह समझनी होगी कि Why Korean boys don’t have beard इसका सीधा उत्तर यह नहीं है कि उनकी दाढ़ी उगती ही नहीं। हकीकत यह है कि कोरियन लड़कों के चेहरे पर बाल उगते हैं, लेकिन उनकी ग्रोथ बेहद धीमी होती है और बाल बहुत कम मात्रा में आते हैं।
कम बालों के पीछे आनुवंशिक कारण
कोरियन और अन्य पूर्वी एशियाई पुरुषों के चेहरे पर कम बाल आने की एक बड़ी वजह है उनका EDAR जीन। यह जीन हेयर फॉलिकल्स को प्रभावित करता है, जिससे दाढ़ी और मूंछ के बाल कम मात्रा में उगते हैं।
टेस्टोस्टेरोन का स्तर और दाढ़ी की ग्रोथ
दाढ़ी उगने के लिए जरूरी होता है टेस्टोस्टेरोन हार्मोन, जो पुरुषों की सेक्शुअल ग्रोथ और हेयर डेवलपमेंट को नियंत्रित करता है। आमतौर पर 19 से 38 वर्ष के पुरुषों में इसका स्तर 264-916 ng/dL के बीच होना चाहिए। हालांकि कोरियन लड़कों में यह स्तर भी नॉर्मल होता है, लेकिन जीन का असर इतना गहरा होता है कि बालों की ग्रोथ बहुत कम होती है।
कोरियन संस्कृति में दाढ़ी का स्थान
दाढ़ी का मतलब: गंदगी और लापरवाही
कोरियन समाज में Why Korean boys don’t have beard का जवाब केवल जैविक नहीं, बल्कि सांस्कृतिक भी है। वहां दाढ़ी-मूंछ रखना अक्सर आलस्य, गंदगी और अशुद्धता का प्रतीक माना जाता है। पारंपरिक रूप से भी कोरिया में क्लीन शेव चेहरा सुंदरता और शालीनता का प्रतीक माना गया है।
सुंदरता की परिभाषा
कोरियन सौंदर्य मानकों में “फेयर स्किन, क्लीन फेस और यूथफुल अपीयरेंस” को प्राथमिकता दी जाती है। इसलिए अधिकतर कोरियन पुरुष दाढ़ी-मूंछ से बचते हैं और नियमित रूप से शेव करते हैं—even अगर उनके चेहरे पर बाल कम हैं।
महिलाओं की पसंद: चिकना चेहरा
‘नो बियर्ड’ लुक की डिमांड
कोरिया में लड़कियों को भी चिकना चेहरा ज्यादा आकर्षित करता है। उनका मानना है कि बियर्ड वाले पुरुष ‘रफ’ या ‘अनहाइजीनिक’ नजर आते हैं। इसलिए कोरियन लड़के जानबूझकर Why Korean boys don’t have beard वाले स्टाइल को अपनाते हैं ताकि वे लड़कियों को ज्यादा आकर्षित कर सकें।
समाज में ‘गुड बॉय’ की छवि
क्लीन शेव चेहरा वहां ‘गुड बॉय’ की पहचान है। कॉलेज, जॉब इंटरव्यू और यहां तक कि डेटिंग ऐप्स पर भी, चिकने चेहरे वाले लड़कों को प्राथमिकता दी जाती है।
बियर्ड स्टाइल का ट्रेंड नहीं चल पाया
पश्चिमी देशों से अलग ट्रेंड
जहां एक ओर अमेरिका, भारत या यूरोप में दाढ़ी फैशन स्टेटमेंट बन चुकी है, वहीं कोरिया में यह ट्रेंड नहीं पकड़ सका। Why Korean boys don’t have beard का कारण यह भी है कि यहां बियर्ड रखना आधुनिकता का नहीं, बल्कि असभ्यता का प्रतीक माना जाता है।
बियर्ड वाले पुरुषों को देखा जाता है शक की निगाह से
कोरियन मीडिया और विज्ञापनों में भी क्लीन शेव पुरुषों को ही दिखाया जाता है। यहां तक कि अगर कोई युवक बियर्ड रखने की कोशिश करता है, तो उसे ‘अलग’ या ‘रिबेल’ के रूप में देखा जाता है।
तकनीक से हटाया जाता है facial hair
कोरियन पुरुषों में बढ़ते सौंदर्य के प्रति झुकाव की वजह से कई युवा अब लेज़र हेयर रिमूवल का सहारा भी लेते हैं। इससे वे हमेशा के लिए अपने चेहरे के बालों को हटवा देते हैं।
Why Korean boys don’t have beard का एक आधुनिक कारण यह भी बन गया है कि वे चाहकर भी बियर्ड नहीं रखते क्योंकि उन्होंने उसे स्थायी रूप से हटा दिया होता है।
‘नो बियर्ड’ सिर्फ स्टाइल नहीं, सोच है
Why Korean boys don’t have beard का जवाब एक वृहद सामाजिक और जैविक परिप्रेक्ष्य में छुपा है। आनुवंशिकी, हार्मोनल स्तर, सांस्कृतिक सोच और सौंदर्य मानकों का सम्मिलित परिणाम है उनका चिकना चेहरा।
जहां बाकी दुनिया बियर्ड को मर्दानगी का प्रतीक मानती है, वहीं कोरियन समाज सुंदरता और शालीनता को प्राथमिकता देता है। यही वजह है कि कोरियन लड़कों की ‘नो बियर्ड’ लुक एक ट्रेंड नहीं बल्कि जीवनशैली है।