IAS अधिकारी की पोस्ट पर ‘हाहा’ इमोजी से फंसा युवक, कोर्ट ने भेजा समन – जानिए पूरा मामला!

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असम के कोकराझार जिले में एक फेसबुक पोस्ट पर ‘हाहा’ इमोजी का उपयोग करना एक युवक के लिए कानूनी मुसीबत का कारण बन गया है। यह मामला सोशल मीडिया पर अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और साइबर कानूनों के बीच संतुलन पर महत्वपूर्ण प्रश्न उठाता है।

घटना का विवरण

अप्रैल 2023 में, ढेकियाजुली निवासी अमित चक्रवर्ती ने कोकराझार की जिला उपायुक्त (IAS) वरनाली डेका की एक फेसबुक पोस्ट पर नरेश बरुआ द्वारा किए गए टिप्पणी पर ‘हाहा’ इमोजी के साथ प्रतिक्रिया दी। बरुआ की टिप्पणी थी, “आज आपने मेकअप नहीं किया मैम।” इस पर चक्रवर्ती ने ‘हाहा’ इमोजी का उपयोग किया, जिससे डेका ने इसे साइबर स्टॉकिंग और यौन उत्पीड़न के रूप में माना।

कानूनी कार्रवाई

वरनाली डेका ने चक्रवर्ती, बरुआ, और अब्दुल साबुर नामक एक अन्य व्यक्ति के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 354A (यौन उत्पीड़न) और 354D (साइबर स्टॉकिंग) के तहत मामला दर्ज कराया। जनवरी 2025 में, कोकराझार की अदालत ने चक्रवर्ती को समन जारी किया, जिससे यह मामला फिर से सुर्खियों में आया।

आरोपी की प्रतिक्रिया

अमित चक्रवर्ती ने अपनी प्रतिक्रिया में कहा, “मैंने केवल ‘हाहा’ इमोजी का उपयोग किया था। अब क्या हमें हंसने के लिए भी जमानत लेनी पड़ेगी?” उन्होंने यह भी बताया कि उन्हें नहीं पता था कि वरनाली डेका एक IAS अधिकारी हैं। चक्रवर्ती ने यह सवाल उठाया कि एक उच्च पदस्थ अधिकारी ने इतनी छोटी बात पर इतनी सख्त कार्रवाई क्यों की।

सोशल मीडिया पर प्रतिक्रिया

यह मामला सोशल मीडिया पर व्यापक चर्चा का विषय बन गया है। कई उपयोगकर्ताओं ने इसे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर हमला बताया, जबकि अन्य ने अधिकारियों के प्रति सम्मान बनाए रखने की आवश्यकता पर जोर दिया। यह घटना यह सवाल उठाती है कि सोशल मीडिया पर की गई प्रतिक्रियाओं की कानूनी सीमाएं क्या होनी चाहिए।

साइबर कानून और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता

भारत में, साइबर कानूनों का उद्देश्य ऑनलाइन उत्पीड़न और दुर्व्यवहार से नागरिकों की रक्षा करना है। हालांकि, इस मामले ने यह बहस छेड़ दी है कि क्या ‘हाहा’ इमोजी का उपयोग अपराध की श्रेणी में आना चाहिए। कानूनी विशेषज्ञों का मानना है कि ऐसे मामलों में संदर्भ और इरादे का विश्लेषण आवश्यक है।

यह घटना सोशल मीडिया पर अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और साइबर कानूनों के बीच संतुलन की आवश्यकता को उजागर करती है। जबकि ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर सम्मानजनक व्यवहार आवश्यक है, वहीं यह भी सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है कि कानूनी कार्रवाई अत्यधिक न हो। इस मामले का परिणाम भविष्य में सोशल मीडिया इंटरैक्शन के लिए एक महत्वपूर्ण मिसाल स्थापित कर सकता है।

नोट: यह लेख सार्वजनिक रूप से उपलब्ध जानकारी पर आधारित है और इसका उद्देश्य पाठकों को घटना की जानकारी प्रदान करना है।

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