हाइलाइट्स
- जंगली मशरूम की सब्जी खाने से पौड़ी जिले में बुजुर्ग दंपति की मौत।
- श्रीकोट गांव के महावीर सिंह और उनकी पत्नी सरोजनी देवी की पहचान हुई।
- जंगल से मशरूम लाकर पकाने के कुछ घंटे बाद तबीयत बिगड़ी।
- अस्पताल ले जाते समय रास्ते में दोनों ने दम तोड़ा।
- ग्रामीणों में पारंपरिक खाद्य पदार्थों को लेकर डर और शंका बढ़ी।
घटना का पूरा ब्यौरा
उत्तराखंड के पहाड़ों से एक दर्दनाक खबर ने पूरे राज्य को झकझोर दिया है। पौड़ी जिले के श्रीकोट गांव में रहने वाले 68 वर्षीय महावीर सिंह और उनकी 65 वर्षीय पत्नी सरोजनी देवी ने रविवार को जंगल से जंगली मशरूम की सब्जी लाकर बनाई और दोपहर के भोजन में उसका सेवन किया।
शाम होते-होते दोनों की तबीयत अचानक बिगड़ने लगी। उन्हें उल्टियां, तेज बुखार और चक्कर आने लगे। परिजन और पड़ोसी उन्हें तुरंत नजदीकी अस्पताल ले जाने लगे, लेकिन रास्ते में ही उनकी मौत हो गई।
गांव में शोक और भय का माहौल
श्रीकोट गांव में इस घटना के बाद मातम और दहशत का माहौल है। ग्रामीणों का कहना है कि पहाड़ों में जंगली मशरूम की सब्जी लंबे समय से पारंपरिक भोजन का हिस्सा रही है। लोग मानसून में जंगल से ताजे मशरूम तोड़कर लाते हैं और उन्हें स्वादिष्ट व्यंजन के रूप में पकाते हैं।
लेकिन इस घटना के बाद हर कोई सवाल करने लगा है — क्या यह पारंपरिक आदत अब जानलेवा बन चुकी है?
स्थानीय प्रशासन की प्रतिक्रिया
घटना की जानकारी मिलते ही स्वास्थ्य विभाग और पुलिस टीम मौके पर पहुंची। अधिकारियों ने मृतकों के घर से बची हुई जंगली मशरूम की सब्जी के नमूने लेकर लैब में जांच के लिए भेज दिए हैं।
ब्लॉक चिकित्सा अधिकारी डॉ. अनुपमा रावत ने बताया कि कई बार जंगली मशरूम में जहरीले तत्व (टॉक्सिन्स) मौजूद होते हैं, जो पकाने के बाद भी खत्म नहीं होते। इनका सेवन करने पर गंभीर फूड पॉयजनिंग, लिवर डैमेज और मौत तक हो सकती है।
विशेषज्ञों की चेतावनी
स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि जंगली मशरूम की सब्जी की पहचान करना बेहद मुश्किल है। दिखने में यह बाजार में मिलने वाले सुरक्षित मशरूम जैसी लग सकती है, लेकिन इसमें “अमेनिटा” जैसे जहरीले तत्व हो सकते हैं जो शरीर के अंगों को तेजी से नुकसान पहुंचाते हैं।
विशेषज्ञ सलाह देते हैं कि जब तक मशरूम की प्रजाति और उसकी सुरक्षा के बारे में 100% भरोसा न हो, जंगल से तोड़कर खाना खतरनाक साबित हो सकता है।
पारंपरिक खानपान और बदलता खतरा
पहाड़ों में पीढ़ियों से लोग जंगली मशरूम की सब्जी खाते आए हैं। बुजुर्ग बताते हैं कि बारिश के मौसम में इसे लाना और पकाना एक तरह की परंपरा रही है।
लेकिन बदलते मौसम, मिट्टी में रसायनों की मौजूदगी और नए जहरीले फंगस प्रजातियों के कारण यह अब पहले जितना सुरक्षित नहीं रहा।
जहरीले मशरूम की पहचान के पारंपरिक तरीके क्यों नाकाम हो रहे हैं
पहले ग्रामीण रंग, गंध और आकार से जहरीले और सुरक्षित मशरूम की पहचान करते थे। लेकिन अब कई जहरीली किस्में सुरक्षित किस्मों जैसी दिखने लगी हैं।
डॉ. रावत के अनुसार, “जंगली मशरूम की सब्जी का सेवन करने से पहले वैज्ञानिक परीक्षण के बिना इसकी सुरक्षा का दावा नहीं किया जा सकता।”
ऐसी घटनाओं से बचने के उपाय
1. केवल प्रमाणित स्रोत से मशरूम खरीदें
जंगल से लाकर जंगली मशरूम की सब्जी बनाने की बजाय बाजार में उपलब्ध प्रमाणित मशरूम का प्रयोग करें।
2. पहचान में पूरी तरह निपुण हों
यदि फिर भी जंगली मशरूम खाने की आदत है, तो उसकी पहचान में प्रशिक्षित किसी विशेषज्ञ से परामर्श लें।
3. बच्चों और बुजुर्गों को न दें
कमजोर इम्यूनिटी वाले लोगों के लिए इसका खतरा अधिक होता है, इसलिए इन्हें परहेज करना चाहिए।
4. लक्षण दिखते ही तुरंत अस्पताल जाएं
यदि जंगली मशरूम की सब्जी खाने के बाद उल्टी, चक्कर, या पेट दर्द शुरू हो, तो तुरंत नजदीकी अस्पताल में भर्ती हों।
मशरूम लील गया बुजुर्ग दंपत्ति की जिंदगी
………….उत्तराखंड के पहाड़ों से एक बेहद दर्दनाक खबर सामने आई है। पौड़ी जिले के श्रीकोट गांव में जंगली मशरूम की सब्जी खाने से एक बुजुर्ग दंपति की जान चली गई। मृतकों की पहचान महावीर सिंह और उनकी पत्नी सरोजनी देवी के रूप में हुई है।… pic.twitter.com/1l9MidHtXB
— TRUE STORY (@TrueStoryUP) August 15, 2025
ग्रामीणों की अपील
घटना के बाद श्रीकोट के ग्रामीणों ने प्रशासन से मांग की है कि वे लोगों को जंगली मशरूम की सब्जी के खतरों के बारे में जागरूक करें। गांव में स्वास्थ्य शिविर लगाकर लोगों को जहरीले मशरूम की पहचान सिखाई जाए और ऐसे मामलों पर तुरंत कार्रवाई हो।
महावीर सिंह और सरोजनी देवी की मौत केवल एक परिवार का नुकसान नहीं है, बल्कि यह पहाड़ों में पारंपरिक खानपान से जुड़े जोखिमों की एक कड़ी चेतावनी भी है। जंगली मशरूम की सब्जी चाहे कितनी भी स्वादिष्ट और पौष्टिक क्यों न लगे, लेकिन अगर उसकी सुरक्षा को लेकर संदेह हो तो यह जिंदगी छीन सकती है।
विशेषज्ञों और प्रशासन की सलाह मानना ही अब सुरक्षित रास्ता है।