हाइलाइट्स
- शिक्षक ने WhatsApp Group पर पहलगाम हमले की भ्रामक सूची साझा की
- सही सूची साझा करने पर शिक्षक को धमकी मिलने का आरोप
- WhatsApp Group का एडमिन मुदस्सिर नजर विवाद में फंसा
- बीएसए कार्यालय ने मामले की जांच के आदेश दिए
- अन्य शिक्षकों ने भी की शिकायतकर्ता शिक्षक का समर्थन
विवाद की शुरुआत: WhatsApp Group पर गलत सूची का प्रसारण
बिजनौर जिले के प्राथमिक विद्यालय मोहम्मदपुर अलीमुद्दीन में कार्यरत सहायक अध्यापक कपिल जैन ने अपने सहकर्मी पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने बताया कि प्राथमिक विद्यालय साहनपुर द्वितीय में कार्यरत शिक्षक मुदस्सिर नजर ने WhatsApp Group ‘उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ’ पर 24 अप्रैल को पहलगाम हमले में मारे गए लोगों की एक भ्रामक सूची साझा की।
इस सूची में मृतकों के नामों को गलत तरीके से प्रस्तुत किया गया था, जिनमें 17 मुस्लिम व्यक्तियों के नाम शामिल थे। कपिल जैन ने जब सही सूची साझा कर इस गलती को सुधारा, तब विवाद की चिंगारी सुलग उठी।
सही जानकारी देने पर भड़के मुदस्सिर
जब कपिल जैन ने WhatsApp Group में सही सूची डाली और मुदस्सिर नजर को गलती सुधारने के लिए टोका, तो मुदस्सिर ने न केवल इसे नज़रअंदाज किया बल्कि अगले दिन कपिल को फोन कर अपमानजनक भाषा का इस्तेमाल किया। बातचीत के दौरान मुदस्सिर ने कपिल जैन को “ज्यादा बड़ा देशभक्त” न बनने की सलाह देते हुए परिणाम भुगतने की धमकी दी।
शिकायतकर्ता शिक्षक का कहना है कि मुदस्सिर ने खुलेआम कहा, “मैं धमकी नहीं देता, सीधे करके दिखाता हूँ।”
शिक्षकों में फैली नाराजगी
इस घटना के बाद WhatsApp Group में जुड़े अन्य शिक्षक भी इस व्यवहार से आक्रोशित हो गए। उन्होंने भी मुदस्सिर नजर के व्यवहार की निंदा की और कपिल जैन के समर्थन में आ गए। शिक्षकों का कहना है कि शिक्षण समुदाय में इस तरह का व्यवहार किसी भी स्तर पर बर्दाश्त नहीं किया जा सकता, विशेष रूप से एक सार्वजनिक WhatsApp Group में, जहां सैकड़ों शिक्षक जुड़े हुए हैं।
बीएसए ने दी जांच के आदेश
कपिल जैन ने बीएसए कार्यालय पहुंचकर औपचारिक रूप से शिकायती पत्र सौंपा। बीएसए योगेंद्र कुमार ने मामले की गंभीरता को देखते हुए तत्काल जांच के आदेश दे दिए। जांच का जिम्मा एबीएसए चरण सिंह को सौंपा गया है, जो घटनाक्रम की विस्तृत जांच कर रिपोर्ट प्रस्तुत करेंगे।
इस बीच, बीएसए कार्यालय ने शिक्षकों को निर्देश दिया है कि वे WhatsApp Group का प्रयोग केवल सूचना प्रसारण तक सीमित रखें और किसी भी प्रकार की भ्रामक या विवादास्पद सामग्री साझा करने से बचें।
WhatsApp Group की भूमिका पर सवाल
यह घटना केवल एक शिक्षक के व्यक्तिगत व्यवहार तक सीमित नहीं रही, बल्कि पूरे WhatsApp Group संस्कृति पर सवाल उठाती है। आज के डिजिटल युग में शिक्षकों जैसे जिम्मेदार व्यक्तियों द्वारा WhatsApp Group का दुरुपयोग न केवल सूचना के दुरुप्रचार को बढ़ावा देता है, बल्कि सामाजिक सौहार्द्र को भी चोट पहुंचाता है।
विशेषज्ञों का मानना है कि WhatsApp Group पर साझा की गई गलत जानकारी तेजी से फैलती है और व्यापक स्तर पर गलतफहमियां पैदा कर सकती है, जिसका सीधा असर सामाजिक ताने-बाने पर पड़ता है।
डिजिटल आचार संहिता की आवश्यकता
इस विवाद ने एक बार फिर से डिजिटल प्लेटफॉर्म पर आचार संहिता बनाए जाने की आवश्यकता को रेखांकित किया है। विशेषज्ञ सुझाव देते हैं कि शिक्षकों के WhatsApp Group के लिए भी एक स्पष्ट आचार संहिता तैयार होनी चाहिए, जिसमें भ्रामक जानकारी फैलाने, असभ्य भाषा प्रयोग करने और धमकी देने जैसे मामलों में सख्त दंड का प्रावधान हो।
यह भी आवश्यक है कि हर WhatsApp Group के एडमिन अपनी जिम्मेदारी समझते हुए सामग्री को नियंत्रित करें और किसी भी अनुशासनहीनता पर तुरंत कार्रवाई करें।
शिक्षक संगठनों की प्रतिक्रिया
शिक्षक संघों ने इस घटना को गंभीरता से लेते हुए कहा है कि वे कपिल जैन के साथ खड़े हैं और मुदस्सिर नजर के खिलाफ आवश्यक कार्रवाई की मांग करेंगे। शिक्षक नेताओं का कहना है कि यदि जांच में मुदस्सिर दोषी पाया जाता है, तो उसे तत्काल निलंबित कर सख्त विभागीय कार्रवाई की जानी चाहिए।
WhatsApp Group का उपयोग शिक्षा जगत में सूचनाओं के आदान-प्रदान के लिए होना चाहिए, न कि नफरत और भ्रामक सूचनाओं के प्रचार के लिए।
निष्कर्ष
बिजनौर की इस घटना ने यह स्पष्ट कर दिया है कि डिजिटल प्लेटफॉर्म का दुरुपयोग कितना खतरनाक हो सकता है, खासकर जब जिम्मेदार व्यक्तियों के हाथ में सूचना प्रसारण का माध्यम हो। WhatsApp Group का सही और जिम्मेदाराना इस्तेमाल आज के समय की बड़ी जरूरत है। इस घटना की निष्पक्ष जांच और दोषियों पर सख्त कार्रवाई ही भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने का रास्ता दिखा सकती है।