अगर वक्फ बिल कानून बन गया तो मुसलमान नीतीश, चंद्रबाबू और चिराग को धोखा देने के लिए माफ नहीं करेंगे: असदुद्दीन ओवैसी

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वक्फ (संशोधन) विधेयक 2025 को लेकर देश की सियासत में उबाल है। ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने इस विधेयक के खिलाफ मोर्चा खोलते हुए बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू, और लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के नेता चिराग पासवान को आड़े हाथों लिया है। ओवैसी ने चेतावनी दी है कि यदि यह विधेयक कानून बनता है, तो मुस्लिम समुदाय इन नेताओं को उनके “विश्वासघात” के लिए कभी माफ नहीं करेगा।

वक्फ (संशोधन) विधेयक का विवाद

वक्फ (संशोधन) विधेयक 2025 को लेकर संसद में तीखी बहस जारी है। विपक्षी दलों का आरोप है कि यह विधेयक वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन में सरकारी हस्तक्षेप को बढ़ावा देगा, जिससे मुस्लिम समुदाय की धार्मिक और सांस्कृतिक संपत्तियों पर खतरा मंडरा रहा है। संसद की संयुक्त संसदीय समिति (JPC) की रिपोर्ट पेश होने के बाद, विपक्ष ने आरोप लगाया कि उनके असहमति नोट्स को रिपोर्ट से हटा दिया गया है, जबकि सरकार ने इन आरोपों को खारिज किया है।

ओवैसी का तीखा प्रहार

असदुद्दीन ओवैसी ने इस मुद्दे पर एनडीए के सहयोगी दलों—जेडीयू, टीडीपी, और एलजेपी (रामविलास)—के नेताओं पर निशाना साधा है। उन्होंने कहा, “टीडीपी, एलजेपी (आरवी) और जेडीयू प्रमुख नीतीश कुमार को निश्चित रूप से यह समझना होगा कि वे जो कुछ कर रहे हैं, वह असंवैधानिक है। वे वक्फ को खत्म करने जा रहे हैं, और इस दौरान, मुस्लिम अल्पसंख्यकों के हितों और धर्मनिरपेक्षता को बनाए रखने की उनकी बातें तमाशा बनती जा रही हैं।” ओवैसी ने आगे कहा, “अल्लाह न करे…अगर यह बिल कानून बन गया तो मुसलमान चंद्रबाबू नायडू, चिराग पासवान और नीतीश को उनके विश्वासघात के लिए माफ नहीं करेंगे।”

विधेयक के प्रावधानों पर आपत्ति

ओवैसी ने विधेयक के कई प्रावधानों पर गंभीर आपत्तियां जताई हैं। उनका कहना है कि यह विधेयक संविधान के अनुच्छेद 29 का उल्लंघन है, जो अल्पसंख्यकों को अपनी संस्कृति और संस्थाओं की सुरक्षा का अधिकार देता है। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि विधेयक में गैर-मुस्लिमों को वक्फ बोर्डों में शामिल करने का प्रावधान है, जो वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन में बाहरी हस्तक्षेप को बढ़ावा देगा। इसके अलावा, कलेक्टर को वक्फ संपत्तियों की जांच का अधिकार देने से कार्यपालिका का अत्यधिक हस्तक्षेप होगा, जो शक्ति पृथक्करण सिद्धांत के खिलाफ है।

राजनीतिक प्रभाव और आगामी चुनाव

ओवैसी की इस आक्रामक रणनीति का उद्देश्य आगामी बिहार विधानसभा चुनावों में अपने राजनीतिक प्रभाव को बढ़ाना है। 2020 के चुनावों में AIMIM ने 20 सीटों पर चुनाव लड़कर 5 सीटों पर जीत हासिल की थी, जिससे महागठबंधन को नुकसान हुआ था। इस बार, पार्टी 50 सीटों पर चुनाव लड़ने की तैयारी में है, विशेषकर सीमांचल, मिथिलांचल, छपरा, सिवान, और गोपालगंज क्षेत्रों में। ओवैसी की इस रणनीति से एनडीए और विपक्षी गठबंधन, दोनों के लिए चुनौतियां बढ़ सकती हैं।

विपक्षी दलों की प्रतिक्रिया

विपक्षी दलों ने भी वक्फ (संशोधन) विधेयक पर अपनी नाराजगी जाहिर की है। उनका आरोप है कि जेपीसी की रिपोर्ट में उनके असहमति नोट्स को शामिल नहीं किया गया, जिससे उनकी आवाज़ दबाई गई है। इस मुद्दे पर संसद में जोरदार हंगामा हुआ, और विपक्ष ने सरकार पर अल्पसंख्यक समुदाय के अधिकारों के हनन का आरोप लगाया।

वक्फ (संशोधन) विधेयक 2025 को लेकर देश की राजनीति में हलचल मची हुई है। असदुद्दीन ओवैसी की आक्रामक बयानबाजी और एनडीए सहयोगियों पर सीधा हमला आगामी चुनावों में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। विधेयक के प्रावधानों पर उठ रहे सवाल और विपक्ष की नाराजगी से यह स्पष्ट है कि यह मुद्दा आने वाले समय में और भी तूल पकड़ सकता है।

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