मिस्टर ट्रंप, ये नया भारत है! अब पत्थर नहीं, फैसले धमाके करते हैं — मोदी सरकार का करारा जवाब

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हाइलाइट्स

  • अमेरिका ने भारत पर 25% व्यापार टैरिफ लगा दिया, जिससे व्यापारिक रिश्तों में तनाव आया।
  • भारत ने F-35 लड़ाकू विमान डील को रद्द कर ‘मेक इन इंडिया’ पर जोर दिया।
  • ट्रंप ने भारत के उच्च आयात शुल्क पर नाराज़गी जताई, कहा- “प्याज़ भी नहीं दिया।”
  • भारत ने वैकल्पिक व्यापारिक विकल्पों पर विचार शुरू किया, जैसे LNG और संचार उपकरण।
  • व्हाइट हाउस में सन्नाटा, भारत में रणनीतिक शांति का माहौल।

भारत-अमेरिका व्यापार में नया मोड़: 25% व्यापार टैरिफ से गहराया तनाव

अंतरराष्ट्रीय व्यापार जगत में उस वक्त खलबली मच गई, जब अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत पर व्यापार टैरिफ की मार कर दी। 25% अतिरिक्त शुल्क लगाकर ट्रंप ने यह साफ कर दिया कि भारत के साथ व्यापार अब “दोस्ती” के तहत नहीं, बल्कि “डील” के तहत होगा। इस एक फैसले ने दक्षिण एशिया से लेकर व्हाइट हाउस तक राजनीतिक हलचल पैदा कर दी है।

ट्रंप की नाराज़गी: “हमने F-35 दिया, बदले में प्याज़ भी नहीं मिला!”

व्यापार टैरिफ के पीछे की पीड़ा

डोनाल्ड ट्रंप ने सार्वजनिक रूप से यह आरोप लगाया कि भारत ने अमेरिका के साथ “दिल खोलकर” व्यापार नहीं किया। उनका कहना है कि भारत ने अमेरिका के आयात को सीमित करके उनके उत्पादों को भारत में पर्याप्त स्थान नहीं दिया। इसीलिए, ट्रंप ने भारत पर यह नया व्यापार टैरिफ थोपने का फैसला लिया।

उन्होंने मीडिया से बातचीत में तंज कसते हुए कहा, “हमने उन्हें फाइटर जेट्स दिए, लेकिन बदले में प्याज़ भी नहीं मिला!” उनके इस बयान ने सोशल मीडिया पर हलचल मचा दी है, लेकिन भारत ने इस पर तत्काल कोई तीखी प्रतिक्रिया नहीं दी।

भारत का जवाब: ‘तेजस’ और ‘अमर्त्य’ से ही काम चलेगा

अब स्वदेशी डिफेंस की ओर भारत का रुख

ट्रंप के व्यापार टैरिफ की प्रतिक्रिया में भारत ने अमेरिका से F-35 फाइटर जेट्स की डील को होल्ड पर डाल दिया है। अब भारत “मेक इन इंडिया” अभियान के तहत अपने ही स्वदेशी फाइटर जेट्स ‘तेजस’ और ‘अमर्त्य’ पर ध्यान केंद्रित कर रहा है।

रक्षा मंत्रालय से जुड़े सूत्रों के अनुसार, भारत अब विदेशी डील्स के बजाय स्वदेशी तकनीक पर भरोसा करना चाहता है ताकि आर्थिक आत्मनिर्भरता को मजबूती दी जा सके।

रणनीतिक संतुलन: रूस और चीन से संबंधों पर ट्रंप की टिप्पणी

“भारत अपनी मर्जी का मालिक है” – ट्रंप

ट्रंप ने इस पूरे मामले के बीच भारत-रूस के रणनीतिक रिश्तों पर भी टिप्पणी की। उन्होंने कहा, “भारत अगर रूस से डील करता है, तो हमें कोई फर्क नहीं पड़ता।” यह बयान यह दर्शाता है कि अमेरिका अब भारत को रूस और चीन के साथ उसके रिश्तों को लेकर पहले जितनी गंभीरता से नहीं देख रहा।

लेकिन जानकारों का मानना है कि यह स्थिति अमेरिका के लिए नुकसानदेह हो सकती है, क्योंकि भारत की कूटनीतिक स्वतंत्रता और व्यापार टैरिफ पर उसकी प्रतिक्रिया वैश्विक मंच पर अमेरिका की साख को प्रभावित कर सकती है।

वैकल्पिक रास्ते: भारत का व्यापारिक पुनर्संयोजन

अब LNG, संचार उपकरण और सोने पर फोकस

सूत्रों के मुताबिक, भारत अब उन व्यापारिक विकल्पों पर विचार कर रहा है जो अमेरिका को सीधा जवाब दिए बिना संबंधों को बनाए भी रखें और राष्ट्रीय हित भी सुरक्षित करें। इसमें प्रमुख हैं:

  • अमेरिका से LNG (प्राकृतिक गैस) का अधिक आयात
  • संचार और रक्षा उपकरणों में सीमित साझेदारी
  • अमरीकी सोने के आयात में वृद्धि

यह सब ऐसे संकेत हैं जो यह दर्शाते हैं कि भारत फिलहाल अमेरिका से पूर्णत: दूरी नहीं बना रहा, लेकिन व्यापार टैरिफ के जवाब में अपनी शर्तों पर नए संबंध स्थापित कर रहा है।

व्हाइट हाउस की प्रतिक्रिया: मौन लेकिन सावधानीपूर्वक

ट्रंप के बयान के बाद अमेरिका में भी हलचल

हालांकि व्हाइट हाउस की तरफ से कोई औपचारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है, लेकिन अमेरिकी मीडिया में यह स्पष्ट संकेत मिल रहे हैं कि अमेरिका को भारत की प्रतिक्रिया का अंदाजा था। कई विश्लेषकों ने कहा है कि भारत की ओर से F-35 डील को रोकना एक “डिप्लोमैटिक स्लैप” है, जिसे अमेरिका हल्के में नहीं लेगा।

 व्यापार टैरिफ से रिश्तों में दरार?

लोकतंत्र बनाम व्यापार की टकराहट

भारत और अमेरिका दो बड़े लोकतांत्रिक देश हैं, लेकिन इस समय दोनों के बीच रिश्तों में तनाव दिखाई दे रहा है। ट्रंप की व्यापार टैरिफ नीति “अमेरिका फर्स्ट” से “अमेरिका ओनली” की ओर बढ़ती नजर आ रही है। वहीं भारत अब “लोकल फर्स्ट” की रणनीति पर चल रहा है।

यदि यह स्थिति लंबे समय तक बनी रही, तो दोनों देशों के रणनीतिक साझेदारी पर गहरा असर पड़ सकता है, खासकर क्वाड जैसे फोरम्स पर।

विशेषज्ञों की राय

टैरिफ एक रणनीतिक संदेश है

जाने-माने अंतरराष्ट्रीय व्यापार विशेषज्ञ डॉ. रणविजय सिंह का कहना है,

“यह सिर्फ टैरिफ नहीं, एक रणनीतिक संदेश है। ट्रंप भारत को बता रहे हैं कि व्यापारिक रिश्ते अब भावनाओं से नहीं, फॉर्मूलों से चलेंगे।”

भारत का अगला कदम?

अब भारत को यह तय करना है कि वह इस व्यापार टैरिफ के मुकाबले में कितनी दूर तक जाएगा। फिलहाल सरकार संयमित प्रतिक्रिया दे रही है, लेकिन यदि अमेरिका ने और कड़े कदम उठाए, तो भारत भी अपने व्यापारिक दरवाजे बंद कर सकता है।

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