हाइलाइट्स
- सुप्रिया श्रीनेत ने BJP पर देशविरोधी मानसिकता का आरोप लगाया
- स्वतंत्रता संग्राम से जुड़ी ऐतिहासिक घटनाओं को BJP से जोड़ा
- सोशल मीडिया पोस्ट में नाम लेकर साधा निशाना: मोदी, जयशंकर, आडवाणी
- पाकिस्तान से रिश्तों को लेकर BJP नेताओं के निर्णयों की आलोचना
- मीडिया की चुप्पी पर उठाए सवाल: “मर्यादा पर ज्ञान देने वाले कहाँ हैं?”
राजनीतिक तूफ़ान का आगाज़: सुप्रिया श्रीनेत बनाम BJP
कांग्रेस की तेजतर्रार नेता और प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने एक बार फिर अपनी बेबाक़ टिप्पणियों से देश की राजनीति में हलचल मचा दी है। इस बार उनका निशाना सीधे-सीधे BJP और उसके शीर्ष नेताओं पर रहा। सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म ‘X’ (पूर्व में ट्विटर) पर किए गए अपने पोस्ट में श्रीनेत ने इतिहास, विदेश नीति, और राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े कई मुद्दों का हवाला देते हुए BJP पर देशविरोधी मानसिकता का आरोप लगाया।
BJP की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि पर सवाल
सावरकर और अंग्रेजों का साथ?
श्रीनेत ने अपने पोस्ट की शुरुआत इतिहास से करते हुए लिखा, “आज़ादी के दौरान अंग्रेजों के साथ थे सावरकर, तुम्हारे पुरखे।” उनका तात्पर्य यह था कि BJP की वैचारिक जड़ें उन लोगों से जुड़ी हैं जो स्वतंत्रता संग्राम में अंग्रेजों का समर्थन कर रहे थे। यह आरोप कोई नया नहीं है, लेकिन श्रीनेत ने इसे तीखे शब्दों में फिर दोहराया।
श्यामाप्रसाद मुखर्जी और मुस्लिम लीग
उन्होंने आगे लिखा, “भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान मुस्लिम लीग के साथ सरकार चला रहे थे श्यामाप्रसाद मुखर्जी, तुम्हारे आराध्य।” यहाँ उनका निशाना BJP के वैचारिक स्तंभ माने जाने वाले डॉ. मुखर्जी पर था, जो इतिहास में एक विवादास्पद भूमिका में देखे जाते हैं।
अमित मालवीय, BJP & बकलोल भक्त,
तुम्हारी समस्या यह है कि तुम हमेशा इस देश के ख़िलाफ़ ही खड़े रहोगे
असल में दोष तुम्हारे DNA का है
• आज़ादी के दौरान अंग्रेजों के साथ थे सावरकर, तुम्हारे पुरखे
• भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान मुस्लिम लीग के साथ सरकार चला रहे थे श्यामाप्रसाद…
— Supriya Shrinate (@SupriyaShrinate) May 20, 2025
वर्तमान नेतृत्व पर भी करारी चोट
नरेंद्र मोदी की विदेश नीति पर सवाल
श्रीनेत ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर भी तीखे प्रहार किए। उन्होंने लाहौर बस यात्रा, नवाज़ शरीफ की बर्थडे पार्टी में शामिल होने और पठानकोट आतंकी हमले की जांच के लिए ISI को भारत बुलाने जैसे फैसलों को कटघरे में खड़ा किया।
उन्होंने लिखा, “भारतीय सेना पाकिस्तान को नेस्तनाबूद कर रही थी – उसी समय अमेरिका के दबाव में ceasefire करने वाले नरेंद्र मोदी, तुम्हारे नेता।” यह कथन BJP के राष्ट्रवादी छवि के विपरीत एक बड़ा आरोप है।
विदेश मंत्री जयशंकर भी निशाने पर
विदेश मंत्री एस. जयशंकर पर श्रीनेत ने सेना की मुखबिरी करने का आरोप लगाया, जो न केवल गंभीर है, बल्कि इससे राष्ट्रीय सुरक्षा को लेकर BJP की नीति पर सवाल खड़े होते हैं।
विपक्ष पर हमले की राजनीति या राष्ट्रहित?
इंदिरा गांधी का उदाहरण
श्रीनेत ने अपने पोस्ट में पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की नीतियों का ज़िक्र करते हुए कहा, “दम होता तो इंदिरा जी की तरह पाकिस्तान के दो टुकड़े करते।” यह तुलना BJP की ‘मजबूत सरकार’ की छवि पर तंज था।
विपक्ष पर मोर्चा खोलने की रणनीति पर सवाल
उन्होंने BJP पर आरोप लगाया कि वह पाकिस्तान से लड़ने के बजाय विपक्षी नेताओं के ख़िलाफ़ मोर्चा खोल रही है। “लड़ाई लड़नी थी पाकिस्तान से, मोर्चा खोला हुआ है विपक्ष के नेता के साथ – तुम्हारी इतनी ही हैसियत है,” श्रीनेत ने कहा।
सोशल मीडिया और BJP: बयानबाज़ी की जंग
‘2 टके के नफ़रती चिंटू’
BJP की सोशल मीडिया टीम और समर्थकों को आड़े हाथों लेते हुए श्रीनेत ने लिखा, “तुम बस ट्विटर पर बकलोली करने के ही लायक हो – 2 टके के नफ़रती चिंटू!” इस प्रकार की भाषा जहां कांग्रेस समर्थकों के बीच उत्साह बढ़ाती है, वहीं आलोचक इसे अशोभनीय मान सकते हैं।
मीडिया की भूमिका पर प्रश्नचिन्ह
“मुँह में दही क्यों जम गई?”
पोस्ट के अंत में सुप्रिया श्रीनेत ने मुख्यधारा मीडिया पर भी निशाना साधा। उन्होंने पूछा, “वैसे मर्यादा पर ज्ञान देने वाले मीडिया के चरणचुंबक कहाँ ग़ायब हैं? मुँह में दही क्यों जम गई?” उनका यह तंज मीडिया की निष्पक्षता पर सवाल उठाता है।
BJP की प्रतिक्रिया की प्रतीक्षा
इस तीखे हमले के बाद BJP की ओर से फिलहाल कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है, लेकिन राजनीतिक गलियारों में इस पोस्ट की चर्चा ज़ोरों पर है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह बयानबाज़ी लोकसभा चुनाव 2024 के नतीजों की पृष्ठभूमि में सत्ता और विपक्ष के बीच बढ़ती तल्ख़ी का संकेत है।
क्या यह सियासी बयानबाज़ी का नया दौर है?
BJP और कांग्रेस के बीच विचारधारा की जंग कोई नई नहीं है, लेकिन सुप्रिया श्रीनेत का यह पोस्ट एक नई उग्र शैली की ओर संकेत करता है। इसमें केवल राजनीतिक आरोप ही नहीं, बल्कि एक वैचारिक टकराव की झलक भी है — एक ओर राष्ट्रवाद की परिभाषा और दूसरी ओर इतिहास की व्याख्या।
इस पोस्ट से यह स्पष्ट होता है कि आने वाले समय में भारतीय राजनीति में सोशल मीडिया की भूमिका और भी महत्वपूर्ण हो जाएगी। साथ ही, विपक्ष की रणनीति अब केवल संसद या जनसभाओं तक सीमित नहीं रहेगी — अब यह सीधे-सीधे डिजिटल मोर्चे पर लड़ी जाएगी, जहां BJP भी उतनी ही सक्रिय है।