हाइलाइट्स
- राजस्थान फिर हुआ शर्मशार, अलवर जिले में दलित महिला के साथ सामूहिक बलात्कार और बेरहमी से पिटाई
- घटना के बाद पीड़िता की हालत गंभीर, फेफड़ा फटने से अस्पताल में भर्ती
- ग्रामीणों का आरोप, पुलिस ने शुरुआती शिकायत पर गंभीरता से कार्रवाई नहीं की
- लगातार बढ़ रही दलित महिलाओं पर हमले की घटनाएं
- राज्य की कानून-व्यवस्था और महिला सुरक्षा पर फिर उठे सवाल
दलित महिला के साथ अलवर में दरिंदगी
राजस्थान फिर हुआ शर्मशार। अलवर जिले में एक दलित महिला के साथ सामूहिक बलात्कार और अमानवीय पिटाई की घटना सामने आई है। पीड़िता को इतनी बेरहमी से मारा-पीटा गया कि उसके फेफड़े फट गए। गंभीर हालत में उसे जयपुर के एसएमएस अस्पताल रेफर किया गया है। यह घटना सिर्फ एक महिला पर हमला नहीं, बल्कि राजस्थान की कानून-व्यवस्था पर सीधा सवाल है।
घटना की पूरी कहानी
स्थानीय सूत्रों के अनुसार, दलित महिला खेत से घर लौट रही थी, तभी रास्ते में कुछ दबंगों ने उसे रोक लिया। आरोपियों ने न केवल उसके साथ बलात्कार किया बल्कि बेरहमी से उसकी पिटाई भी की। बताया जा रहा है कि लाठी-डंडों से इतनी मार की गई कि उसके शरीर पर गहरे घाव आ गए और फेफड़ा फटने जैसी गंभीर चोटें लगीं।
गांव के लोगों ने पीड़िता को अचेत अवस्था में देखा और तुरंत अस्पताल ले जाया। पीड़िता के परिवार का आरोप है कि जब उन्होंने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई तो पुलिस ने शुरुआती स्तर पर मामले को दबाने की कोशिश की।
दलित महिलाओं पर बढ़ते हमले
क्यों बार-बार दलित महिलाएं ही निशाना?
राजस्थान फिर हुआ शर्मशार इसीलिए कि राज्य में दलित और आदिवासी महिलाओं पर लगातार अत्याचार की घटनाएं बढ़ रही हैं। आंकड़े बताते हैं कि बीते 5 सालों में राजस्थान में दलित महिलाओं पर बलात्कार के मामले तेजी से बढ़े हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि सामाजिक ढांचा और कमजोर कानून-व्यवस्था ऐसे अपराधियों को बढ़ावा देती है।
दलित और आदिवासी समुदाय को समाज में सबसे आसान निशाना माना जाता है। कमजोर आर्थिक स्थिति, राजनीतिक दबाव और पुलिस की लापरवाही इन मामलों को और गंभीर बना देती है।
कानून-व्यवस्था पर सवाल
राजस्थान सरकार पर विपक्ष का हमला
राजस्थान फिर हुआ शर्मशार की यह घटना सामने आते ही विपक्ष ने सरकार को घेरना शुरू कर दिया है। विपक्ष का कहना है कि राज्य सरकार महिला सुरक्षा और दलित अत्याचार के मामलों में पूरी तरह नाकाम रही है।
विधानसभा में भी यह मुद्दा उठाया गया, जहां विपक्षी दलों ने मांग की कि पीड़िता को न्याय दिलाने के लिए तेज़-तर्रार कोर्ट की सुनवाई हो और दोषियों को कड़ी सजा दी जाए।
सामाजिक संगठनों की प्रतिक्रिया
दलित संगठनों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने इस घटना को बेहद शर्मनाक बताते हुए कहा है कि राजस्थान फिर हुआ शर्मशार और यह तब तक होता रहेगा जब तक पुलिस और प्रशासन अपनी जिम्मेदारी गंभीरता से नहीं निभाएंगे।
दलित अधिकार संगठन का कहना है कि राज्य सरकार केवल कागजों पर योजनाएं बनाती है, लेकिन जमीन पर उनका असर नजर नहीं आता।
राजस्थान फिर हुआ शर्मशार 🥺
एक दलित महिला के साथ अलवर जिले में रेप करके बेरहमी से पिटाई की फेफड़ा फाड़ दिए गए।
बलात्कार की घटनाएं दलित आदिवासी महिलाओं के साथ ही क्यों होती हैं? क्योंकि SC ST सबके लिए सबसे आसान टारगेट हैं। #DalitlivesMatter
ये रास्ते में दलित महिला नहीं… pic.twitter.com/6OWAqF9skW
— Tarun Jatav (@tarunjatav50) September 8, 2025
क्या कहती है पुलिस?
अलवर पुलिस का दावा है कि पीड़िता की शिकायत पर तुरंत मामला दर्ज कर लिया गया है और आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए विशेष टीम गठित की गई है। हालांकि, ग्रामीणों का कहना है कि पुलिस का रवैया अब भी ढीला है और दबंगों को राजनीतिक संरक्षण मिल रहा है।
राजस्थान की छवि पर असर
राजस्थान फिर हुआ शर्मशार जैसी घटनाएं न केवल राज्य की कानून-व्यवस्था को कटघरे में खड़ा करती हैं, बल्कि इसकी छवि पर भी गहरा धब्बा लगाती हैं। पर्यटन और सांस्कृतिक धरोहर के लिए प्रसिद्ध राजस्थान अब महिलाओं के खिलाफ अपराध के लिए भी चर्चाओं में रहने लगा है।
पीड़िता को इंसाफ कब तक?
तेज कार्रवाई की मांग
दलित महिला की हालत अब भी नाजुक बनी हुई है। उसका परिवार न्याय की गुहार लगा रहा है। सवाल यह है कि क्या इस बार भी घटना केवल चर्चा और राजनीति तक ही सीमित रह जाएगी या फिर वास्तव में पीड़िता को इंसाफ मिलेगा?
राजस्थान फिर हुआ शर्मशार जैसी घटनाएं तभी रुकेंगी जब समाज, प्रशासन और न्यायपालिका मिलकर ठोस कदम उठाएंगे।
राजस्थान फिर हुआ शर्मशार, क्योंकि यहां दलित महिलाओं पर हमले रुकने का नाम नहीं ले रहे। हर घटना के बाद सरकार और पुलिस वादे करती हैं, लेकिन जमीनी स्तर पर बदलाव नहीं दिखता। यह सिर्फ एक महिला का दर्द नहीं, बल्कि पूरे समाज की संवेदनाओं पर हमला है।