केंद्र सरकार का बड़ा ऐलान: अब सरकारी कर्मचारी इस ज़रूरी काम के लिए ले सकेंगे 30 दिन की छुट्टी

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हाइलाइट्स

  • केंद्र सरकार ने Parental Care Leave के तहत कर्मचारियों को 30 दिन की छुट्टी की सुविधा दी
  • केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने राज्यसभा में दी छुट्टी संबंधी जानकारी
  • बुजुर्ग माता-पिता की देखभाल अब छुट्टी का वैध कारण माना जाएगा
  • सालाना 30 दिन की अर्न्ड लीव और 20 दिन की अर्ध वेतन छुट्टी का हो सकेगा उपयोग
  • यह फैसला कर्मचारियों को पारिवारिक जिम्मेदारियों में संतुलन बनाने में करेगा मदद

 केंद्र सरकार की नई पहल: Parental Care Leave के तहत 30 दिन की छुट्टी

केंद्र सरकार ने अपने कर्मचारियों को एक बड़ी राहत देते हुए Parental Care Leave के अंतर्गत बुजुर्ग माता-पिता की देखभाल के लिए 30 दिन की छुट्टी की सुविधा को औपचारिक रूप से मान्यता दी है। केंद्रीय कार्मिक राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने 24 जुलाई 2025 को राज्यसभा में इस निर्णय की जानकारी दी।

यह पहल न केवल सरकारी कर्मचारियों के लिए एक राहतभरी खबर है, बल्कि यह देश में बढ़ते सामाजिक और पारिवारिक दायित्वों के प्रति सरकार की गंभीरता को भी दर्शाती है।

 अवकाश नियमों में महत्वपूर्ण प्रावधान: Parental Care Leave को मिली जगह

 केंद्रीय सिविल सेवा (अवकाश) नियम, 1972 में संशोधन

डॉ. जितेंद्र सिंह ने बताया कि Parental Care Leave को लेकर कोई नया अवकाश अलग से नहीं जोड़ा गया है, बल्कि यह सुविधा मौजूदा छुट्टियों के तहत दी जा रही है।

उन्होंने बताया कि केंद्रीय सरकार के कर्मचारी सालाना:

  • 30 दिन की अर्न्ड लीव (Earned Leave)
  • 20 दिन की अर्ध वेतन छुट्टी (Half Pay Leave)
  • 8 दिन की आकस्मिक छुट्टी (Casual Leave)
  • 2 दिन की प्रतिबंधित अवकाश (Restricted Leave)

का लाभ ले सकते हैं, जिनका उपयोग व्यक्तिगत कारणों के लिए किया जा सकता है। अब इन व्यक्तिगत कारणों में Parental Care Leave यानी बुजुर्ग माता-पिता की देखभाल को स्पष्ट रूप से शामिल किया गया है।

 कर्मचारी कल्याण की दिशा में सकारात्मक कदम

 बढ़ते सामाजिक दबाव के बीच राहत

आज के समय में जब संयुक्त परिवार का ढांचा टूट रहा है और एकल परिवारों का चलन बढ़ रहा है, तब Parental Care Leave जैसी सुविधा कर्मचारियों को अपने बुजुर्ग माता-पिता के प्रति ज़िम्मेदारी निभाने का अवसर देती है।

सरकारी कर्मचारी अक्सर अपनी नौकरी के दबाव के कारण अपने माता-पिता की देखभाल नहीं कर पाते। लेकिन अब इस सुविधा से उन्हें मानसिक और भावनात्मक शांति मिलेगी।

 महिलाओं और एकल माता-पिता को अधिक सहूलियत

 Gender Inclusive Approach

विशेषज्ञों का मानना है कि Parental Care Leave महिलाओं और एकल माता-पिता के लिए विशेष रूप से लाभकारी साबित होगी। चूंकि महिलाओं पर पारिवारिक दायित्व अधिक होते हैं, यह नीति उन्हें नौकरी और पारिवारिक जीवन के बीच संतुलन बनाने में मदद करेगी।

एकल अभिभावक, जो दोनों भूमिकाएं निभा रहे होते हैं, उन्हें भी इस अवकाश से बड़ी राहत मिलेगी।

 निजी क्षेत्र को भी लेना चाहिए उदाहरण

 समग्र कर्मचारी कल्याण की आवश्यकता

सरकारी क्षेत्र की इस नीति से निजी क्षेत्र को भी प्रेरणा लेनी चाहिए। यदि निजी कंपनियाँ भी Parental Care Leave जैसी सुविधा लागू करें, तो देशभर के लाखों कर्मचारी लाभान्वित होंगे।

यह कर्मचारी संतुष्टि और उत्पादकता में भी सकारात्मक योगदान देगा। भारत जैसे देश में जहां पारिवारिक मूल्यों का गहरा महत्व है, यह निर्णय एक अनुकरणीय उदाहरण प्रस्तुत करता है।

 विपक्ष की राय: यह काफी नहीं, अलग से मिले Parental Care Leave

विपक्ष के कुछ नेताओं और कर्मचारी संगठनों ने सुझाव दिया कि Parental Care Leave को एक अलग श्रेणी के रूप में मान्यता दी जानी चाहिए, ताकि यह अर्न्ड लीव में समाहित न हो।

उनका तर्क है कि जब मातृत्व और पितृत्व अवकाश को अलग पहचान मिली है, तो बुजुर्ग माता-पिता की देखभाल जैसी संवेदनशील जिम्मेदारी के लिए भी अलग प्रावधान होना चाहिए।

 डिजिटल पोर्टल से छुट्टी का आवेदन संभव

डिजिटलीकरण की दिशा में आगे बढ़ते हुए केंद्र सरकार ने स्पष्ट किया है कि Parental Care Leave के लिए अवकाश का आवेदन सरकारी कर्मचारियों द्वारा ऑनलाइन सिविल सेवा अवकाश पोर्टल के माध्यम से किया जा सकता है।

यह प्रक्रिया पारदर्शी और त्वरित होगी, जिससे कर्मचारी बिना किसी जटिलता के छुट्टी का लाभ उठा सकेंगे।

 भविष्य की दिशा: क्या Parental Care Leave बनेगा स्थायी प्रावधान?

सरकार की यह पहल निश्चित रूप से सराहनीय है, लेकिन भविष्य में यदि इसे अलग श्रेणी में स्थायी रूप से शामिल किया जाता है, तो यह कर्मचारियों के लिए एक बड़ा परिवर्तन होगा।

देश में जैसे-जैसे बुजुर्ग जनसंख्या बढ़ रही है, वैसे-वैसे Parental Care Leave जैसी नीतियों की आवश्यकता भी बढ़ेगी।

Parental Care Leave के तहत केंद्र सरकार द्वारा दिया गया 30 दिन का छुट्टी प्रावधान न केवल एक प्रशासनिक निर्णय है, बल्कि यह भारतीय समाज की बदलती आवश्यकताओं के प्रति सरकार की संवेदनशीलता और समझदारी को दर्शाता है।

यह निर्णय सरकारी कर्मचारियों के लिए एक बड़ी राहत है और उनके कार्य व पारिवारिक जीवन में संतुलन लाने का अवसर प्रदान करता है।

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