हाइलाइट्स
- Pakistan stock market crash के चलते दो घंटे में 46 हजार करोड़ पाकिस्तानी रुपए का नुकसान
- भारत के एक्शन प्लान से बौखलाया पाकिस्तान, कराची स्टॉक एक्सचेंज में भारी गिरावट
- केवल 120 मिनट में केएसई100 इंडेक्स 3,679 अंक तक लुढ़का
- भारत के शेयर बाजार में दिखी स्थिरता, सेंसेक्स और निफ्टी हरे निशान में
- विशेषज्ञ बोले: युद्ध की आशंका से घबराए निवेशक कर रहे हैं मुनाफावसूली
भारत और पाकिस्तान के बीच सीमा पर बढ़ते तनाव का असर अब आर्थिक मोर्चे पर भी देखने को मिल रहा है। Pakistan stock market crash की खबरें इस बात का स्पष्ट संकेत हैं कि भारत के सख्त रुख और सैन्य तैयारी ने पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था को हिला कर रख दिया है। खासतौर पर कराची स्टॉक एक्सचेंज (KSE) में हालिया गिरावट ने निवेशकों की नींद उड़ा दी है।
पहलगाम की घटना के बाद Pakistan stock market crash ने ली रफ्तार
22 अप्रैल को पहलगाम की दुखद घटना के बाद से भारत की ओर से मिलिट्री एक्शन के संकेत लगातार मिल रहे हैं। इसी बीच पाकिस्तान के आर्थिक मोर्चे पर भारी अस्थिरता देखने को मिली।
Pakistan stock market crash की शुरुआत तभी हुई जब कराची स्टॉक एक्सचेंज ने लगातार पांच कारोबारी सत्रों में गिरावट दर्ज की। बुधवार को दोपहर 12 बजे तक KSE100 इंडेक्स 3,679.25 अंकों की गिरावट के साथ 111,192.93 पर पहुंच गया। वहीं, 12:35 बजे तक यह 2,675.15 अंकों की गिरावट के साथ 112,197.03 पर कारोबार कर रहा था।
3 लाख से ज्यादा निवेशकों का डूबा पैसा
Pakistan stock market crash का सबसे बड़ा असर आम निवेशकों पर पड़ा है।
जब पिछले दिन KSE100 इंडेक्स बंद हुआ था तो इसका मार्केट कैप 51.25 अरब डॉलर था। लेकिन केवल दो घंटे के भीतर इसका मूल्य 49.61 अरब डॉलर रह गया।
इसका अर्थ है कि मात्र 120 मिनट में पाकिस्तान के शेयर बाजार से 1.64 अरब डॉलर यानी लगभग 46,000 करोड़ पाकिस्तानी रुपए स्वाहा हो गए। इस नुकसान का सीधा असर करीब 3 लाख खुदरा निवेशकों पर पड़ा है, जो बीते एक वर्ष में अपने पोर्टफोलियो को सुरक्षित मान बैठे थे।
भारत के एक्शन प्लान से निवेशकों की बेचैनी
भारत की ओर से सीमाई कार्रवाई के संकेतों और सैन्य तैयारी की खबरों ने पाकिस्तान की सियासत और अर्थव्यवस्था दोनों में हलचल मचा दी है। विश्लेषकों का मानना है कि Pakistan stock market crash केवल एक आर्थिक संकट नहीं, बल्कि पाकिस्तान की रणनीतिक विफलताओं का परिणाम है।
भारत के साथ युद्ध की संभावना ने निवेशकों के बीच डर और अनिश्चितता को बढ़ा दिया है, जिससे उन्होंने बड़े पैमाने पर मुनाफावसूली करनी शुरू कर दी।
पाकिस्तान के शेयर बाजार में बीते साल भर में क्या रहा ट्रेंड?
यदि बीते एक वर्ष की बात करें तो KSE100 इंडेक्स ने करीब 60% का रिटर्न दिया था। लेकिन पिछले सप्ताह से शुरू हुई गिरावट ने इस पूरे लाभ को मिट्टी में मिला दिया है।
22 अप्रैल के बाद से KSE100 में 6.11% की गिरावट यानी 7,237.42 अंकों की गिरावट दर्ज की गई है। इसका संकेत साफ है कि Pakistan stock market crash अब केवल एक अस्थायी झटका नहीं बल्कि एक दीर्घकालिक संकट की शुरुआत हो सकती है।
भारत में दिखी बाजार की मजबूती
जब पाकिस्तान का शेयर बाजार क्रैश हो रहा था, वहीं भारत के बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) और नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) में स्थिरता देखने को मिली।
BSE का सेंसेक्स 95.33 अंकों की तेजी के साथ 80,387.92 पर कारोबार कर रहा था। जबकि NSE का निफ्टी 18.15 अंकों की बढ़त के साथ 24,354.10 पर रहा।
सेंसेक्स और निफ्टी में शुरुआती गिरावट के बावजूद जल्द ही रिकवरी देखी गई, जो इस बात को दर्शाती है कि भारतीय निवेशक फिलहाल युद्ध की आशंका से डर नहीं रहे।
आगे क्या हो सकता है?
विश्लेषकों का मानना है कि यदि भारत की ओर से सीमाई कार्रवाई होती है, तो Pakistan stock market crash और गहराता जा सकता है। इसके अलावा विदेशी निवेशक भी पाकिस्तान से अपना पैसा निकाल सकते हैं, जिससे डॉलर के मुकाबले पाकिस्तानी रुपया और कमजोर हो सकता है।
दूसरी ओर भारत यदि सीमित कार्रवाई कर संतुलन बनाए रखता है, तो दक्षिण एशियाई शेयर बाजारों में अस्थिरता कुछ समय बाद शांत हो सकती है।
क्या IMF और अन्य संस्थाएं आएंगी बचाव में?
Pakistan stock market crash के बाद ये सवाल उठता है कि क्या अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) या विश्व बैंक जैसी संस्थाएं पाकिस्तान को तुरंत राहत देंगी?
IMF पहले ही पाकिस्तान को कर्ज दे चुका है और नए पैकेज की चर्चा चल रही है। लेकिन जब तक राजनीतिक और सैन्य तनाव कम नहीं होता, तब तक कोई भी अंतरराष्ट्रीय संस्था पूर्ण राहत देने से हिचक सकती है।
Pakistan stock market crash ने यह स्पष्ट कर दिया है कि आर्थिक स्थिरता राजनीतिक और सैन्य स्थिरता पर निर्भर करती है। भारत-पाक तनाव का असर केवल सीमा पर नहीं, बल्कि शेयर बाजार और आम नागरिकों की जेब पर भी पड़ रहा है।
अब यह देखना अहम होगा कि क्या पाकिस्तान अपनी आंतरिक रणनीति में बदलाव करता है या फिर संकट और गहराता है।