हाइलाइट्स
- Mother’s Dead Body 6 घंटे तक श्मशान घाट पर पड़ी रही, कोई बेटा आगे नहीं आया
- संपत्ति के बंटवारे को लेकर मां के शव के सामने भिड़े सभी 8 बेटे
- अंतिम संस्कार में देरी पर गांव वालों ने पुलिस को दी सूचना
- पुलिस के हस्तक्षेप के बाद हुआ अंतिम संस्कार, बेटों को कड़ी फटकार
- घटना भागलपुर के बरियारपुर थाना क्षेत्र के नया छावनी गांव की है
ममता का ये कैसा सिला? बेटों ने Mother’s Dead Body को घंटों तड़पाया
बिहार के भागलपुर जिले से एक बेहद शर्मनाक और संवेदनहीन घटना सामने आई है, जहां एक मां की Mother’s Dead Body श्मशान घाट पर 6 घंटे तक पड़ी रही, लेकिन उसके आठों बेटे अंतिम संस्कार की जिम्मेदारी लेने के बजाय संपत्ति के लिए आपस में लड़ते रहे।
इस अमानवीय घटना ने पूरे गांव को झकझोर दिया है। इंसानी रिश्तों में गिरते हुए मूल्यों और संवेदनहीनता का यह उदाहरण समाज के लिए एक आईना है।
मामला कहां का है?
यह घटना बिहार के भागलपुर जिले के बरियारपुर थाना क्षेत्र के नया छावनी गांव की है। 82 वर्षीय बुजुर्ग महिला रत्नावली देवी का रविवार सुबह निधन हो गया।
उनके कुल 8 बेटे हैं जो अलग-अलग मकानों में रहते हैं और पारिवारिक संपत्ति को लेकर बीते कई वर्षों से विवाद में उलझे हुए हैं।
शव के साथ घंटों तक खिंचातानी
रत्नावली देवी का शव दोपहर 12 बजे के आसपास श्मशान घाट पर लाया गया। लेकिन यहां से जो दृश्य सामने आया, वह मानवीयता को शर्मसार कर गया।
अंतिम संस्कार से पहले की लड़ाई
जैसे ही Mother’s Dead Body को घाट पर रखा गया, सभी बेटे आपस में यह कहकर उलझ गए कि “पहले संपत्ति का बंटवारा होगा, फिर कोई चिता जलाएगा।”
विवाद इतना बढ़ा कि वे एक-दूसरे पर गालियां बरसाने लगे और मारपीट की नौबत आ गई। शव वहीं खुले में पड़ा रहा और बेटे एक-दूसरे को दोषी ठहराते रहे।
पुलिस को बुलाना पड़ा
गांव वालों ने जब देखा कि Mother’s Dead Body घंटों से यूं ही पड़ी है और बेटे झगड़े में उलझे हुए हैं, तो उन्होंने बरियारपुर पुलिस थाने में सूचना दी।
पुलिस ने मौके पर पहुंचकर दोनों पक्षों को कड़ी फटकार लगाई और चेतावनी दी कि यदि शव को अब भी न जलाया गया, तो कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
पुलिस की सख्ती के बाद सबसे छोटे बेटे ने अंतिम संस्कार की जिम्मेदारी ली और शाम 6 बजे के करीब चिता को अग्नि दी गई।
गांव वालों में रोष और अफसोस
इस पूरे घटनाक्रम को देखने के बाद गांव वालों में काफी रोष था। कई वृद्ध महिलाओं ने रोते हुए कहा कि “ऐसे बेटे किसी को न मिलें जो Mother’s Dead Body को भी सम्मान न दे सकें।”
एक बुजुर्ग ग्रामीण ने कहा,
“मां ने पूरी जिंदगी खपाकर इन 8 बेटों को पाल-पोसकर बड़ा किया, और जब बारी आई अंतिम विदाई की, तो वही बेटे संपत्ति के लालच में अंधे हो गए।”
संपत्ति का विवाद क्या है?
जानकारी के मुताबिक रत्नावली देवी के पति की मौत के बाद उनके नाम लगभग 10 बीघा कृषि भूमि और एक पुश्तैनी घर बचा था।
बेटों के बीच इस संपत्ति के बंटवारे को लेकर लंबे समय से विवाद चल रहा था।
रत्नावली देवी चाहती थीं कि सभी बेटों को बराबर हिस्सा मिले, लेकिन कुछ बेटे अधिक संपत्ति की मांग कर रहे थे, जिससे मामला कोर्ट तक पहुंच गया था।
सामाजिक पतन की तस्वीर
इस घटना ने न केवल Mother’s Dead Body के साथ किए गए अमानवीय व्यवहार को उजागर किया, बल्कि यह भी दिखा दिया कि किस तरह पारिवारिक संस्कार, संवेदना और मानवीयता का पतन हो रहा है।
क्या कहता है कानून?
कानून के अनुसार, किसी भी मृतक व्यक्ति का समय पर सम्मानजनक अंतिम संस्कार करना परिवार की जिम्मेदारी है। यदि कोई जानबूझकर ऐसा न करे, तो भारतीय दंड संहिता की धारा 297 और 304A के तहत मामला दर्ज किया जा सकता है।
मनोवैज्ञानिकों की राय
मनोचिकित्सक डॉ. रवि नारायण के अनुसार,
“यह घटना न सिर्फ पारिवारिक विघटन को दर्शाती है, बल्कि यह भी बताती है कि जब भावनाएं संपत्ति के नीचे दब जाती हैं, तो इंसान संवेदनाशून्य हो जाता है।”
क्या कहती है महिला आयोग?
बिहार राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष ने इस घटना पर कड़ी नाराज़गी जताते हुए कहा कि “अगर Mother’s Dead Body के साथ ऐसा व्यवहार किया गया है, तो यह न सिर्फ सामाजिक अपराध है, बल्कि नैतिक पतन की पराकाष्ठा है। आयोग स्वत: संज्ञान लेकर कार्रवाई करेगा।”
यह घटना समाज के लिए एक चेतावनी है कि यदि हम भावनाओं, संबंधों और संस्कारों को ताक पर रख देंगे, तो भविष्य में ऐसा ही अमानवीय चेहरा हर गली-मोहल्ले में दिखने लगेगा।
Mother’s Dead Body का 6 घंटे तक यूं खुले में पड़ा रहना सिर्फ एक घटना नहीं, एक प्रश्न है – क्या हम सच में इंसान हैं?