हाइलाइट्स
- बांग्लादेश में नाबालिग निकाह का नया मामला सामने आने से समाज में हलचल
- 16 वर्षीय लड़की का कथित रूप से जबरदस्ती निकाह कराने का आरोप
- लड़की के एक हिंदू युवक से संबंध होने पर परिवार की कड़ी प्रतिक्रिया
- सामाजिक संगठनों ने कहा, बाल अधिकारों का गंभीर उल्लंघन
- पुलिस और प्रशासन द्वारा मामले की जांच की मांग तेज
बांग्लादेश के एक जिले से ऐसी घटना सामने आई है जिसने बाल अधिकारों और सामाजिक सुरक्षा से जुड़े गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। रिपोर्ट्स के अनुसार, परिवार ने अपनी 16 वर्षीय बेटी का नाबालिग निकाह उम्र में काफी बड़े 80 वर्षीय मौलाना से करवा दिया। यह दावा किया गया कि लड़की एक स्थानीय हिंदू लड़के से दोस्ती करती थी, जिसकी जानकारी मिलते ही परिवार ने कड़ा कदम उठाया और कथित रूप से नाबालिग निकाह करा दिया।
स्थानीय मीडिया और सामाजिक कार्यकर्ताओं के अनुसार, यह मामला केवल परिवार की मानसिकता तक सीमित नहीं है, बल्कि यह उन परिस्थितियों को भी उजागर करता है जहां पारिवारिक सम्मान के नाम पर किशोरियों को गंभीर परिणाम झेलने पड़ते हैं। इस पूरी घटना के केंद्र में नाबालिग निकाह की प्रथा और उससे जुड़े खतरों की चर्चा एक बार फिर तेज हो गई है।
लड़की और परिवार के बीच बढ़ता तनाव
रिश्ते को लेकर परिवार की आपत्ति
सूत्रों के मुताबिक, लड़की एक हिंदू लड़के से संबंध में थी और यह बात सामने आने के बाद परिवार ने इसे सामाजिक मानदंडों के विरुद्ध माना। परिवार की प्रतिक्रिया इतनी कठोर थी कि कथित रूप से उन्होंने अपनी बेटी का नाबालिग निकाह एक उम्रदराज धार्मिक व्यक्ति से करवा दिया।
सामाजिक संगठनों का कहना है कि यह सिर्फ एक पारिवारिक मामला नहीं है, बल्कि “मानसिक दबाव और सामाजिक भय” के कारण की गई कार्रवाई है, जिसका सबसे ज्यादा असर लड़की पर पड़ा है।
कथित जबरन नाबालिग निकाह की प्रक्रिया पर सवाल
यह भी दावा किया गया है कि लड़की की सहमति इस नाबालिग निकाह में नहीं ली गई। स्थानीय सामाजिक कार्यकर्ताओं ने कहा कि ऐसा निकाह कानूनन भी मान्य नहीं होना चाहिए, क्योंकि बांग्लादेश में विवाह के लिए न्यूनतम वैवाहिक आयु के स्पष्ट नियम हैं।
कानूनी दृष्टिकोण और बांग्लादेश में बाल विवाह की स्थिति
कानून क्या कहता है?
बांग्लादेश में बाल विवाह कानून मौजूद है, और 18 वर्ष से कम उम्र में लड़की का विवाह कानूनी अपराध है। इसके बावजूद, कई ग्रामीण इलाकों में नाबालिग निकाह की घटनाएं सामने आती रहती हैं। यह मामला भी उसी व्यापक समस्या का एक उदाहरण माना जा रहा है।
बाल अधिकार संगठनों की प्रतिक्रिया
देश के कई बाल अधिकार संगठनों ने इस घटना की निंदा की है और इसे गंभीर बाल सुरक्षा उल्लंघन बताया है। उनका कहना है कि नाबालिग निकाह न केवल लड़की की शिक्षा और भविष्य को प्रभावित करता है, बल्कि उसकी मानसिक और शारीरिक सुरक्षा के लिए भी खतरा है।
80 वर्षीय मौलाना की भूमिका पर उठे प्रश्न
सहमति थी या दबाव?
मौलाना की उम्र 80 वर्ष बताई जा रही है, और यह जोड़ियों की स्वाभाविकता को लेकर कई सवाल उठाता है। यदि यह नाबालिग निकाह परिवार के दबाव में कराया गया, तो यह न केवल सामाजिक बल्कि नैतिक स्तर पर भी गंभीर समस्या है।
धार्मिक संस्थानों की प्रतिक्रिया
कई धार्मिक संस्थानों ने कहा कि किसी भी तरह का नाबालिग निकाह धर्म की मूल भावना के विपरीत है और इसे प्रोत्साहित नहीं किया जाना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि विवाह को सहमति, समानता और परिपक्वता के आधार पर होना चाहिए, न कि सामाजिक दबाव के कारण।
ढाका बांग्लादेश 📍
बांग्लादेश में एक 16 साल की नाबालिक बच्ची का निकाह 80 साल के मौलाना से कर दिया गया….
यह बच्ची एक हिंदू लड़के से प्यार करती थी जब यह बात का पता लड़की के घर वालों को चला तो उन्होंने लड़की को सबक सिखाने के लिए उसका निकाह एक मौलाना से कर दिया जबरदस्ती….… pic.twitter.com/akbn2avMen
— रूही वर्मा (@ProudOffIndian) December 1, 2025
समाज में नाराजगी और प्रशासनिक जांच की मांग
इस घटना के बाहर आने के बाद स्थानीय समुदाय में नाराजगी है। लोग मांग कर रहे हैं कि इस कथित नाबालिग निकाह की पूरी जांच हो, ताकि यह स्पष्ट हो सके कि क्या यह विवाह सहमति से हुआ था या किसी प्रकार के दबाव में कराया गया।
सामाजिक संगठनों की मांग
सामाजिक संगठनों ने प्रशासन से आग्रह किया है कि लड़कियों के नाबालिग निकाह पर रोक के लिए सख्त कदम उठाए जाएं। उनका कहना है कि अगर इस मामले में उचित कार्रवाई नहीं की गई, तो ऐसे मामलों को रोकना और भी मुश्किल हो जाएगा।
नाबालिग निकाह पर सख्ती की जरूरत
यह मामला एक बार फिर बांग्लादेश में नाबालिग निकाह की समस्या को उजागर करता है। चाहे मामला सामाजिक दबाव का हो या पारिवारिक निर्णय का, 16 साल की लड़की का कथित रूप से 80 वर्षीय व्यक्ति से विवाह किसी भी दृष्टिकोण से न्यायसंगत नहीं ठहराया जा सकता।
समाजशास्त्रियों का मानना है कि नाबालिग निकाह के मामलों में सबसे अधिक नुकसान लड़कियों को सहना पड़ता है। यह घटना प्रशासन, समाज और परिवार—तीनों के लिए सोचने की जरूरत पैदा करती है कि कैसे किशोरियों को सुरक्षित माहौल दिया जाए और कैसे नाबालिग निकाह जैसी घटनाओं को पूरी तरह रोका जाए।