हाइलाइट्स
- लखनऊ हादसा में तीन साल का बच्चा लोहे की ग्रिल पर गिरा, सिर आर-पार हो गया
- परिवार ने निजी अस्पताल में कराई जांच, 15 लाख रुपए ऑपरेशन खर्च बताया गया
- आर्थिक स्थिति कमजोर होने पर परिवार बच्चे को लेकर KGMU अस्पताल पहुंचा
- रात में वेल्डर को बुलाकर ग्रिल काटी गई, डॉक्टरों ने किया जटिल ऑपरेशन
- मात्र 25 हजार रुपए में बच्चा मौत के मुंह से बाहर निकला
लखनऊ हादसा: मासूम की जिंदगी के लिए रातभर चली जंग
उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ हादसा रविवार देर शाम उस वक्त बड़ा मोड़ ले आया जब एक तीन साल का मासूम खेलते-खेलते अचानक घर की बालकनी की लोहे की ग्रिल पर गिर पड़ा। ग्रिल बच्चे के सिर के आर-पार हो गई और परिवार पर जैसे कहर टूट पड़ा। रोते-बिलखते परिजन तुरंत बच्चे को लेकर पास के निजी अस्पताल पहुंचे, लेकिन वहां उन्हें इलाज का खर्च सुनकर पैरों तले जमीन खिसक गई।
निजी अस्पताल में डॉक्टरों ने कहा कि ऑपरेशन बेहद जटिल है और इसमें कम से कम 15 लाख रुपए का खर्च आएगा। आर्थिक रूप से कमजोर परिवार के लिए इतनी बड़ी राशि जुटाना नामुमकिन था। इसी बीच परिजनों ने उम्मीद का सहारा लिया और मासूम को लेकर राजधानी के मशहूर सरकारी अस्पताल किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (KGMU) पहुंचे।
लखनऊ हादसा: KGMU में तुरंत शुरू हुआ आपरेशन
जैसे ही बच्चे को KGMU लाया गया, डॉ. अंकुर बजाज और उनकी टीम ने एक पल भी गंवाए बिना मासूम को ऑपरेशन थिएटर पहुंचाया। हालत नाजुक थी, समय हाथ से निकल रहा था और जरा-सी चूक बच्चे की जान ले सकती थी। डॉक्टरों ने तत्काल निर्णय लिया कि ऑपरेशन रात में ही किया जाएगा।
डॉक्टरों के सामने सबसे बड़ी चुनौती यह थी कि ग्रिल का लोहे का हिस्सा बच्चे के सिर में आर-पार फंसा हुआ था। इसे निकालना बेहद खतरनाक था क्योंकि ज़रा सी गलती जानलेवा साबित हो सकती थी। डॉक्टरों ने तुरंत एक वेल्डर को अस्पताल बुलाया। रात करीब 12 बजे वेल्डर को बुलाकर ऑपरेशन थिएटर के अंदर ही ग्रिल का बाहरी हिस्सा काटा गया ताकि बच्चे के सिर से सुरक्षित तरीके से हटाया जा सके।
लखनऊ हादसा: डॉक्टरों की टीम ने लिखा नया इतिहास
ऑपरेशन करीब पांच घंटे तक चला। इस दौरान डॉ. अंकुर बजाज और उनकी पूरी टीम ने धैर्य, तकनीकी विशेषज्ञता और साहस का अद्भुत उदाहरण पेश किया। सामान्यतः ऐसे मामलों में जटिलताएं इतनी बढ़ जाती हैं कि मरीज का बचना मुश्किल हो जाता है। लेकिन डॉक्टरों की सूझबूझ और अनुभव ने मासूम की जिंदगी बचा ली।
सबसे खास बात यह रही कि जहां निजी अस्पताल ने 15 लाख रुपए खर्च बताया था, वहीं KGMU में यह जीवन रक्षक ऑपरेशन मात्र 25 हजार रुपए में सफलतापूर्वक पूरा किया गया।
लखनऊ हादसा: परिवार की आंखों में आंसू और राहत
जब डॉक्टरों ने परिवार को बताया कि बच्चा खतरे से बाहर है, तो पूरे परिवार की आंखों से खुशी के आंसू छलक पड़े। पिता ने कहा, “हमें लगा था कि अब सब खत्म हो जाएगा। पैसे का इंतजाम नामुमकिन था। लेकिन KGMU के डॉक्टर हमारे भगवान साबित हुए।”
परिवार ने डॉक्टरों और अस्पताल प्रशासन का धन्यवाद करते हुए कहा कि सरकारी अस्पताल ने न सिर्फ बेटे की जान बचाई बल्कि आर्थिक बोझ से भी मुक्त किया।
लखनऊ हादसा: समाज के लिए बड़ा संदेश
यह लखनऊ हादसा केवल एक परिवार की कहानी नहीं, बल्कि समाज के लिए बड़ा संदेश है। अक्सर लोग सरकारी अस्पतालों को नजरअंदाज कर निजी अस्पतालों की ओर रुख करते हैं, लेकिन इस घटना ने यह साबित कर दिया कि सरकारी संस्थानों में भी विश्वस्तरीय इलाज उपलब्ध है।
डॉ. अंकुर बजाज और उनकी टीम ने यह दिखा दिया कि यदि डॉक्टर सच्चे मन से मरीज की जान बचाने के लिए प्रयास करें तो किसी भी बड़ी बाधा को पार किया जा सकता है।
लखनऊ हादसा: डॉक्टरों की मानवता से बढ़ी उम्मीदें
इस घटना ने चिकित्सा जगत में मानवीय संवेदनाओं की अहमियत को भी उजागर किया है। जहां निजी अस्पतालों ने इलाज को एक बड़े व्यापार के रूप में पेश किया, वहीं KGMU के डॉक्टरों ने मानवता को सर्वोपरि रखा।
ऑपरेशन की लागत इतनी कम रखना इस बात का उदाहरण है कि स्वास्थ्य सेवाएं केवल पैसे पर नहीं, बल्कि संवेदना और जिम्मेदारी पर भी आधारित हो सकती हैं।
लखनऊ में तीन साल का बच्चा लोहे की ग्रिल पर गिर गया जो सिर के आर पार हो गयी.
परिवार बच्चे को लेकर आनन फानन में प्राइवेट अस्पताल पहुंचा जहां ऑपेरशन का खर्ज़ 15 लाख रुपए बताया गया.
परिवार इतना पैसे देने में सक्षम नही था. इसके बाद बच्चे को लेकर लखनऊ के सरकारी अस्पताल KGMU पहुंचे.… pic.twitter.com/An6G8WTChx
— Kranti Kumar (@KraantiKumar) August 23, 2025
लखनऊ हादसा: भविष्य के लिए सीख
- बच्चों की सुरक्षा में लापरवाही बेहद खतरनाक हो सकती है।
- घरों की बालकनी या छत पर बनी लोहे की ग्रिल को बच्चों की पहुंच से सुरक्षित बनाना जरूरी है।
- हादसों के समय घबराने की बजाय सही अस्पताल और सही डॉक्टर तक समय पर पहुंचना सबसे अहम है।
- सरकारी अस्पतालों पर विश्वास करना भी जरूरी है, क्योंकि यहां विशेषज्ञ डॉक्टर और आधुनिक संसाधन मौजूद होते हैं।
लखनऊ हादसा ने न सिर्फ एक मासूम की जिंदगी बचाई बल्कि पूरे समाज को यह संदेश दिया कि कठिन परिस्थितियों में भी आशा और विश्वास का दामन नहीं छोड़ना चाहिए। KGMU के डॉक्टरों ने अपने अनुभव, साहस और संवेदनशीलता से एक असंभव लगने वाले ऑपरेशन को संभव कर दिखाया।
आज यह बच्चा जिंदगी की दूसरी पारी खेल रहा है, और उसके परिवार की आंखों में उस रात की भयावहता की जगह उम्मीद की चमक है।