कर्ज की रकम बनी कैद की वजह: झांसी में महिला को बैंक में बंधक बनाकर रखा गया, पर्दा उठा तो कांप उठा हर कोई

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हाइलाइट्स

  • झांसी बैंक बंधक कांड ने प्रदेश में बैंकिंग व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं।
  • महिला को कथित रूप से जबरन बैंक में 5 घंटे तक बैठाकर रखा गया।
  • पीड़िता ने बैंक एजेंटों पर तीन किस्तों की रकम हड़पने का आरोप लगाया है।
  • पुलिस ने मौके पर पहुंचकर महिला को मुक्त कराया, जांच शुरू हो चुकी है।
  • बैंक प्रबंधन ने सभी आरोपों को खारिज करते हुए महिला की स्वेच्छा से आने की बात कही है।

झांसी बैंक बंधक कांड: क्या है मामला?

उत्तर प्रदेश के झांसी जिले से एक हैरान करने वाली घटना सामने आई है जिसे मीडिया ने झांसी बैंक बंधक कांड नाम दिया है। यह मामला मोंठ थाना क्षेत्र के बम्हरौली के आजाद नगर मोहल्ले में स्थित एक निजी लोन देने वाले समूह बैंक से जुड़ा है।

बताया जा रहा है कि 29 जुलाई को दोपहर के समय बैंक के अधिकारियों ने एक महिला को जबरन बैंक बुलाया और उसे 5 घंटे तक वहीं बैठाकर रखा। महिला के पति रविंद्र वर्मा के अनुसार, जब उन्होंने किस्त न चुकाने की विवशता जताई, तो बैंक कर्मियों ने साफ तौर पर कह दिया कि जब तक पैसा नहीं मिलेगा, तब तक उनकी पत्नी पूजा वर्मा को छोड़ा नहीं जाएगा।

पीड़िता का दर्द: “मुझे बंधक बनाकर रखा गया”

महिला ने लगाए गंभीर आरोप

झांसी बैंक बंधक कांड में पीड़िता पूजा वर्मा ने पुलिस को बताया कि उन्होंने ₹40,000 का पर्सनल लोन लिया था, जिसकी मासिक किस्त ₹2,120 है। उन्होंने अब तक 11 किस्तें समय पर जमा कीं, लेकिन बैंक के रिकॉर्ड में सिर्फ 8 किस्तें दर्ज हैं।

पूजा का आरोप है कि बैंक एजेंट कौशल और धर्मेंद्र ने तीन किस्तों की राशि अपने पास रख ली और बैंक में अपडेट नहीं की। यही नहीं, उन्होंने यह भी बताया कि बैंक के क्षेत्रीय अधिकारी संजय यादव (निवासी – टीकमगढ़, मध्यप्रदेश) उनके घर आए और जबरन उन्हें और उनके पति को बैंक तक ले गए।

पुलिस ने कराया महिला को मुक्त

डायल 112 पर की गई कॉल ने बदली तस्वीर

जब पूजा वर्मा के पति रविंद्र वर्मा की सभी मिन्नतें फेल हो गईं, तो उन्होंने डायल 112 पर फोन किया और पुलिस से मदद मांगी। पुलिस जैसे ही बैंक पहुंची, बैंक कर्मियों के चेहरे पर हवाइयां उड़ गईं। पुलिस ने बिना किसी देरी के महिला को छुड़ाया और उसे सुरक्षित घर भिजवाया।

झांसी बैंक बंधक कांड में पुलिस की त्वरित कार्रवाई की सराहना हो रही है। वहीं, महिला द्वारा दर्ज कराई गई लिखित शिकायत के आधार पर जांच शुरू हो चुकी है।

बैंक का पक्ष: “महिला स्वेच्छा से आई थी”

बैंक के शाखा प्रबंधक अनुज कुमार ने सारे आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि पूजा वर्मा पिछले 7 महीने से किस्त नहीं भर रही थीं, इसलिए उन्हें बैंक बुलाया गया था। अनुज कुमार का कहना है कि महिला अपने पति के साथ खुद बैंक आई थी और वहां बैठने का निर्णय उसका था।

उन्होंने जोर देकर कहा कि झांसी बैंक बंधक कांड जैसा कोई मामला नहीं है, बल्कि यह अफवाह फैलाकर बैंक की छवि खराब करने की कोशिश है।

जांच में जुटी पुलिस

महिला की शिकायत पर जांच शुरू

मोंठ थाना प्रभारी ने जानकारी दी कि महिला की लिखित शिकायत के आधार पर पूरे मामले की निष्पक्ष जांच की जा रही है। बैंक कर्मचारियों से भी पूछताछ शुरू हो चुकी है और सीसीटीवी फुटेज भी खंगाले जा रहे हैं।

झांसी बैंक बंधक कांड यदि जांच में सत्य पाया जाता है, तो संबंधित बैंक कर्मियों पर गंभीर धाराओं में मामला दर्ज कर सख्त कार्रवाई की जाएगी।

सामाजिक और कानूनी पहलू

क्या यह मानवाधिकार हनन है?

झांसी बैंक बंधक कांड न केवल बैंकिंग व्यवस्था पर प्रश्नचिह्न लगाता है, बल्कि यह भी दिखाता है कि छोटे कर्जदारों को किस हद तक परेशान किया जा सकता है। अगर यह आरोप सही साबित होते हैं, तो यह न केवल आपराधिक मामला है, बल्कि मानवाधिकार उल्लंघन का स्पष्ट उदाहरण भी होगा।

वरिष्ठ अधिवक्ता आदित्य चौबे कहते हैं, “किसी को भी जबरन बिठाना, चाहे वह कर्जदार हो या नहीं, कानून के विरुद्ध है। बैंक केवल नोटिस भेज सकता है, जबरन कोई कार्रवाई नहीं कर सकता।”

स्थानीय जनता में आक्रोश

बैंक पर कार्रवाई की उठी मांग

झांसी बैंक बंधक कांड के सामने आने के बाद स्थानीय नागरिकों में नाराजगी है। लोगों का कहना है कि यदि कोई महिला बैंक में जबरन बैठाई जाती है तो यह एक असहनीय स्थिति है। बैंक की जवाबदेही तय होनी चाहिए और यदि एजेंटों ने पैसे हड़पे हैं तो उन्हें गिरफ्तार किया जाना चाहिए।

सरकार और प्रशासन को सतर्क रहने की जरूरत

ऐसे मामलों की पुनरावृत्ति न हो इसके लिए प्रशासन को और सतर्क रहना होगा। सरकार को भी इस दिशा में विशेष निगरानी टीमों का गठन कराना चाहिए, जो माइक्रोफाइनेंस कंपनियों और प्राइवेट समूह लोन बैंकों की गतिविधियों की समय-समय पर समीक्षा करें।

झांसी बैंक बंधक कांड ने यह स्पष्ट कर दिया है कि ग्रामीण क्षेत्रों में निजी लोन संस्थान किस तरह से अपनी मनमानी कर रहे हैं। यदि जांच में महिला के आरोप सही साबित होते हैं, तो यह न केवल एक कानूनी मामला होगा बल्कि एक सामाजिक चेतावनी भी। समय की मांग है कि इस तरह की घटनाओं को गंभीरता से लिया जाए और ऐसे बैंकों पर सख्त कार्रवाई हो।

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