मुज़फ्फरनगर: सरकारी शिक्षिका के साथ बड़ा धोखा! पंचायत सचिव ने खुद को कुंवारा बताकर किया छल, नाम पर लिया कार लोन, सैलरी से कट रही किस्तें

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मुज़फ्फरनगर, उत्तर प्रदेश – मुज़फ्फरनगर से एक चौंकाने वाली घटना सामने आई है, जिसमें एक सरकारी शिक्षिका डिम्पल ने ग्राम पंचायत सचिव आलोक पर गंभीर धोखाधड़ी के आरोप लगाए हैं। शिक्षिका का कहना है कि आलोक ने खुद को अविवाहित बताकर उनके साथ भावनात्मक संबंध बनाए और फिर उनके नाम पर कार लोन ले लिया, जिसकी मासिक किस्त उनकी सैलरी से कट रही है। मामला तब सामने आया जब शिक्षिका को पता चला कि आलोक पहले से विवाहित हैं और उनकी पत्नी ग्राम प्रधान हैं।

पीड़ित शिक्षिका की आपबीती

डिम्पल, जो मुज़फ्फरनगर के एक सरकारी स्कूल में शिक्षिका हैं, ने बताया कि ग्राम पंचायत सचिव आलोक ने उन्हें प्रेमजाल में फंसा लिया। आलोक ने बार-बार यह दावा किया कि वह अविवाहित हैं और शादी करने के इरादे से उनके करीब आए। डिम्पल ने आलोक पर विश्वास कर लिया और उनकी बातों में आ गईं।

कुछ समय बाद, आलोक ने डिम्पल से कहा कि उन्हें कार खरीदनी है लेकिन कुछ औपचारिकताओं की वजह से लोन उनके नाम पर लेना होगा। आलोक के कहने पर, शिक्षिका ने कार लोन लेने में उनकी मदद की। परंतु जब उनकी सैलरी से ईएमआई कटने लगी, तब उन्हें शक हुआ। जब उन्होंने आलोक से इस बारे में सवाल किया, तो वह बहाने बनाने लगे।

सच्चाई का हुआ खुलासा

डिम्पल को जब आलोक की असलियत पता चली, तो उनके पैरों तले ज़मीन खिसक गई। आलोक पहले से शादीशुदा थे और उनकी पत्नी ग्राम प्रधान के पद पर थीं। यह जानने के बाद डिम्पल ने तुरंत प्रशासन से मदद की गुहार लगाई और @DmMuzaffarnagar कार्यालय पहुंचकर शिकायत दर्ज कराई।

प्रशासन और पुलिस की प्रतिक्रिया

मुज़फ्फरनगर के जिला मजिस्ट्रेट कार्यालय ने इस मामले को गंभीरता से लिया है। प्रशासनिक अधिकारियों का कहना है कि इस तरह के मामले में पारदर्शी जांच होगी और दोषी पाए जाने पर आलोक के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। पुलिस भी इस मामले की जांच कर रही है और डिम्पल के बयान के आधार पर आलोक को समन भेजा जा सकता है।

एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने कहा, “हमारी टीम सभी तथ्यों की जांच कर रही है। यदि आरोप सत्य पाए जाते हैं, तो संबंधित धाराओं के तहत मामला दर्ज किया जाएगा और कानूनी कार्रवाई की जाएगी।”

शिक्षा विभाग की प्रतिक्रिया

शिक्षा विभाग ने भी इस मामले पर ध्यान दिया है और कहा है कि यदि कोई सरकारी कर्मचारी इस तरह के अनैतिक कार्यों में लिप्त पाया जाता है, तो उसके खिलाफ सख्त विभागीय कार्रवाई की जाएगी। एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, “शिक्षकों को समाज में एक आदर्श के रूप में देखा जाता है। ऐसे मामलों से शिक्षा विभाग की छवि धूमिल होती है।”

कानूनी दृष्टिकोण

कानूनी विशेषज्ञों के अनुसार, यदि आलोक पर लगे आरोप सही साबित होते हैं, तो यह भारतीय दंड संहिता (IPC) की कई धाराओं के तहत अपराध माना जाएगा। इसमें धोखाधड़ी (धारा 420), विश्वासघात (धारा 406) और आर्थिक शोषण (धारा 415) शामिल हैं।

सामाजिक प्रभाव और जागरूकता

इस घटना ने सरकारी अधिकारियों और कर्मचारियों की नैतिकता पर सवाल खड़े कर दिए हैं। एक ओर जहां सरकारी शिक्षक समाज के लिए प्रेरणा स्रोत माने जाते हैं, वहीं इस तरह की घटनाएं उनकी छवि को धूमिल कर सकती हैं। सामाजिक कार्यकर्ताओं का मानना है कि ऐसी घटनाओं पर सख्त कानूनी कार्रवाई होनी चाहिए ताकि भविष्य में कोई भी व्यक्ति इस तरह के अपराध करने से पहले सौ बार सोचे।

महिलाओं के अधिकारों के लिए काम करने वाली एक समाजसेवी संस्था की अध्यक्ष ने कहा, “यह घटना महिलाओं के शोषण और धोखाधड़ी के मामलों को उजागर करती है। महिलाओं को अपने अधिकारों के प्रति सजग रहना चाहिए और ऐसे मामलों में तुरंत कानूनी मदद लेनी चाहिए।”

मुज़फ्फरनगर की इस घटना ने सरकारी अधिकारियों की नैतिकता और जिम्मेदारी पर गंभीर प्रश्नचिह्न लगा दिए हैं। डिम्पल द्वारा लगाए गए आरोपों की निष्पक्ष जांच होनी चाहिए और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए।

यह घटना एक चेतावनी है कि महिलाओं को अपने आर्थिक और व्यक्तिगत निर्णय लेते समय सतर्क रहना चाहिए। साथ ही, प्रशासन को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि सरकारी कर्मचारियों के ऐसे कृत्यों पर लगाम लगाई जाए।

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