सीकर में दलित युवक पर हैवानियत की इंतहा: कुकर्म, लोहे की रॉड से पिटाई और फिर किया गया पेशाब – आखिर क्यों बना वो शिकार?

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हाइलाइट्स

  • Dalit Atrocity की यह वारदात 8 अप्रैल को राजस्थान के सीकर ज़िले के फतेहपुर क्षेत्र में हुई।

  • आरोपियों ने पीड़ित को अगवा कर लोहे की रॉड व डंडों से पीटा और कुकर्म करते हुए वीडियो भी बनाया

  • लोहे की रॉड से पिटाई के बाद पीड़ित पर पेशाब किया गया; भीषण मानसिक यातना के कारण रिपोर्ट करने में आठ दिन लगे।
  • पुलिस ने SC/ST Act व अन्य गंभीर धाराओं में मामला दर्ज कर दोनों आरोपियों—राजेश मील व विकास जाट—की तलाश तेज़ कर दी है।Dalit Atrocity के विरोध में दलित संगठनों ने जिला मुख्यालय पर प्रदर्शन कर त्वरित गिरफ्तारी व फास्ट‑ट्रैक अदालत की मांग उठाई।

Dalit Atrocity: सीकर के फतेहपुर में क्या हुआ?

8 अप्रैल की शाम फतेहपुर कस्बे में अपनी ही बारात देख रहे 19‑वर्षीय दलित युवक को दो स्थानीय दबंगों ने घेर लिया। “हम तुम्हारे पिता को मारना चाहते थे, लेकिन वह विदेश में हैं, इसलिए अब तुम भुगतो”—पीड़ित के अनुसार आरोपियों के यही शब्द थे। इसके बाद Dalit Atrocity का वह सिलसिला शुरू हुआ जिसमें पहले जातिसूचक गालियाँ, फिर कपड़े उतरवाकर कुकर्म और अंततः लोहे की रॉड से निर्मम पिटाई शामिल थी। आरोपियों ने सारा कृत्य मोबाइल कैमरे में रिकॉर्ड कर वायरल करने की धमकी भी दी।

Dalit Atrocity घटना की टाइमलाइन

  • 8 अप्रैल 2025: घटना घटित; पीड़ित बुरी तरह जख्मी हालत में घर पहुँचा।
  • 9‑15 अप्रैल: भय और सामाजिक शर्म की वजह से मामला दबा रहा; परिवार ने चिकित्सा कराई, लेकिन चुप्पी बनाई रखी।
  • 16 अप्रैल 2025: पीड़ित ने साहस जुटाकर फतेहपुर थाने में FIR दर्ज कराई; Dalit Atrocity का मामला सार्वजनिक हुआ।

पीड़ित की आपबीती

पीड़ित ने पुलिस को बताया, “उन्होंने मुझे घसीटकर बस‑स्टैंड के पीछे ले गए। वहां उन्होंने बोतल से मारा, कई बार लोहे की रॉड से प्रहार किया, मेरे निजी अंगों पर लात‑घूंसे मारे और अंत में मेरे ऊपर पेशाब कर दिया।” इस दहला देने वाली Dalit Atrocity के बाद युवक बेहोश हो गया; स्थानीय लोगों ने जब उसे पाया तो परिजनों को सूचना दी।

आरोपियों की पहचान व गिरफ्तारी की कोशिशें

पुलिस रिकॉर्ड के मुताबिक दोनों आरोपी—राजेश मील (26) व विकास जाट (24)—घटना के बाद से फरार हैं। एसपी सीकर ने विशेष टीम गठित कर हरियाणा‑दिल्ली बॉर्डर पर दबिश बढ़ा दी है। “हमने तकनीकी सर्विलांस व स्थानीय खबरी नेटवर्क से सुराग जुटाए हैं; जल्द गिरफ्तारी होगी,” पुलिस अधीक्षक ने कहा। Dalit Atrocity की गंभीरता को देखते हुए मामले की निगरानी स्वयं अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (क्राइम) कर रहे हैं।

Dalit Atrocity पर राजनीतिक प्रतिक्रिया

सत्ता‑पक्ष का पक्ष

राज्य के गृह राज्य मंत्री ने बयान जारी कर कहा, “दोषियों को किसी भी हालत में बख्शा नहीं जाएगा। हम सुनिश्चित करेंगे कि Dalit Atrocity के इस मामले में चार्जशीट 15 दिन के भीतर अदालत में दाखिल हो।”

विपक्ष व दलित संगठनों की मांगें

कांग्रेस व बहुजन संगठनों ने आरोप लगाया कि राजस्थान में Dalit Atrocity के मामलों में “दंडहीनता का माहौल” बन गया है। दलित अधिकार मंच के अध्यक्ष ने कहा, “यह सिर्फ एक isolated incident नहीं, बल्कि व्यापक सामाजिक मानसिकता का नतीजा है।” संगठनों ने जिला कलेक्टर को ज्ञापन सौंप कर फास्ट‑ट्रैक कोर्ट, पूर्ण मुआवज़ा व पीड़ित सुरक्षा की माँग की।

Dalit Atrocity और सामाजिक न्याय का सवाल

ऐसी घटनाओं का चलन और विसंगतियाँ

राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) के अनुसार, 2023‑24 में राजस्थान में दलितों के खिलाफ अपराधों में 12% की बढ़ोतरी दर्ज हुई। विशेषज्ञों का मानना है कि Dalit Atrocity जैसे मामलों में सामाजिक कलंक, पुलिस की शुरुआती उदासीनता और लंबी अदालती प्रक्रिया पीड़ितों को न्याय से दूर करती है।

कानूनों का पालन और चुनौतियाँ

हालाँकि SC/ST (अत्याचार निवारण) अधिनियम 1989 में संशोधन के बाद सज़ाओं को कठोर बनाया गया है, पर ज़मीनी हकीकत अलग है। Dalit Atrocity मामलों की जाँच अक्सर देरी का शिकार होती है, सबूतों के संरक्षण में लापरवाही बरती जाती है और सामाजिक दबाव गवाहों को ख़ामोश कर देता है। अधिकार कार्यकर्ता सुझाते हैं कि अनुसंधान अधिकारी‑स्तर पर दलित प्रतिनिधित्व, त्वरित विवेचना और पीड़ित परामर्श केंद्र जैसी व्यवस्थाएँ मज़बूत की जाएँ।

Dalit Atrocity: आगे की राह

सीकर की घटना ने एक बार फिर साबित कर दिया कि कानूनी प्रावधानों और संवैधानिक संरक्षण के बावजूद दलितों के खिलाफ हिंसा थम नहीं रही। जब तक Dalit Atrocity के जिम्मेदारों को समयबद्ध और उदाहरणीय सज़ा नहीं मिलेगी, समाज में भयभीत करने वाली यह प्रवृत्ति जारी रहेगी। नागरिक समाज, प्रशासन और न्यायपालिका को मिलकर यह सुनिश्चित करना होगा कि “न्याय में देरी” = “न्याय से इंकार” का दुष्चक्र टूटे।

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