हाइलाइट्स
- कलेक्टर सतीश कुमार एस जनता और अधिकारियों दोनों में लोकप्रिय हैं।
- डॉ. सतीश कुमार ने निजी स्कूलों की मनमानी पर रोक लगाई है।
- जनसुनवाई में लापरवाही करने वाले हेडमास्टर को सस्पेंड किया गया।
- साइकिल से ऑफिस पहुंचकर उन्होंने ‘साइकिल डे’ पहल को समर्थन दिया।
- पशुपालन एवं डेयरी विभाग में उनके प्रशासनिक अनुभव ने उन्हें अलग पहचान दिलाई।
प्रशासन में अनुशासन और सेवा भाव का मेल
डॉ. सतीश कुमार एस का जन्म एक शिक्षिका मां और पटवारी पिता के घर हुआ। बचपन से ही वे पढ़ाई में उत्कृष्ट और अनुशासित रहे। उनके पालन-पोषण में सेवा भाव और नैतिक मूल्यों का विशेष महत्व रहा। यही कारण है कि वे प्रशासन में सख्ती और संवेदनशीलता का संतुलन बनाए रखते हैं।
सतीश कुमार एस का मानना है कि प्रशासन केवल नियमों का पालन कराने का माध्यम नहीं है, बल्कि जनता की समस्याओं का समाधान करने और समाज में विश्वास बनाने का जरिया है। उनके इसी दृष्टिकोण के चलते वे जनता और अधिकारियों दोनों के बीच चर्चित हुए हैं।
शिक्षा क्षेत्र में सुधार और कड़ी कार्रवाई
सतीश कुमार ने सतना जिले में शिक्षा क्षेत्र में कई सुधार किए हैं। उन्होंने निजी स्कूलों द्वारा मनमानी फीस और नियमों का उल्लंघन करने पर तुरंत रोक लगाई।
जनसुनवाई के दौरान लापरवाही करने वाले हेडमास्टर को सस्पेंड करना उनके प्रशासनिक दृष्टिकोण का एक महत्वपूर्ण उदाहरण है। उनके अनुसार, “यदि प्रशासन खुद अनुशासन में ढील देता है, तो जनता का विश्वास टूटता है।”
सतीश कुमार की यह पहल यह सुनिश्चित करती है कि शिक्षा प्रणाली में पारदर्शिता और जवाबदेही बनी रहे।
कौन हैं कलेक्टर सतीश कुमार एस., जो बिना तामझाम साइकिल से ऑफिस जाते हैं !!
तमिलनाडु के डॉ. सतीश कुमार एस को सतना का कलेक्टर बनाया गया है! उन्होंने 28 जनवरी 2025 को पदभार संभाला !!
डॉ. सतीश कुमार ने बचपन में कलेक्टर बनने का सपना देखा था! उन्होंने निजी स्कूलों की मनमानी पर रोक… pic.twitter.com/pvkJ1sCSdn
— MANOJ SHARMA LUCKNOW UP🇮🇳🇮🇳🇮🇳 (@ManojSh28986262) August 20, 2025
साइकिल दिवस और पर्यावरण के प्रति संवेदनशीलता
सतीश कुमार एस का एक अनूठा पहलू यह है कि वे साइकिल की सवारी को प्राथमिकता देते हैं। कमिश्नर बीएस जामोद की अपील पर शुरू हुई ‘साइकिल डे’ पहल के तहत कई बार उन्होंने साइकिल से ऑफिस जाकर लोगों को चौंकाया।
वे मानते हैं कि साइकिल चलाना न केवल वायु प्रदूषण कम करता है और ईंधन बचाता है, बल्कि यह स्वास्थ्य के लिए भी लाभकारी है। उनका यह दृष्टिकोण नागरिकों में जागरूकता फैलाने और व्यक्तिगत स्वास्थ्य के प्रति सजग रहने का संदेश देता है।
सतीश कुमार कहते हैं, “साइकिल चलाना सिर्फ व्यायाम नहीं है, यह मानसिक ऊर्जा बढ़ाने और जीवन में संतुलन बनाने का भी तरीका है।”
प्रशासनिक करियर: अनुभव और योग्यता
सतीश कुमार ने मध्य प्रदेश स्टेट को-ऑपरेटिव डेयरी फेडरेशन लिमिटेड, भोपाल में प्रबंध संचालक के रूप में कार्य किया। इसके अलावा, वे पशुपालन एवं डेयरी विभाग में पदेन उप सचिव भी रहे।
उनका यह अनुभव उन्हें सतना जिले में व्यापक प्रशासनिक सुधार लागू करने में सक्षम बनाता है। उनकी निर्णय क्षमता और संवेदनशीलता ने विभिन्न विभागों में सुधार और जनता की समस्याओं के समाधान में अहम भूमिका निभाई।
जनता और अधिकारियों में लोकप्रियता का राज
सतीश कुमार की लोकप्रियता का कारण उनका सरल और मिलनसार स्वभाव है। वे अपने कर्मचारियों के साथ संवाद में विश्वास और पारदर्शिता बनाए रखते हैं। जनता से सीधे संवाद करना उनके प्रशासनिक दृष्टिकोण का हिस्सा है।
साइकिल से ऑफिस आने की उनकी आदत ने उन्हें लोगों के और करीब ला दिया है। इसके अलावा, उनकी नीतियाँ जैसे कि शिक्षा सुधार, जनसुनवाई में जवाबदेही और पर्यावरण जागरूकता, उन्हें जनता के बीच एक आदर्श प्रशासक के रूप में स्थापित करती हैं।
निजी जीवन और प्रेरणा
सतीश कुमार का पालन-पोषण एक अनुशासित और सेवा भावी वातावरण में हुआ। बचपन से ही उन्होंने कलेक्टर बनने का सपना देखा। उनके माता-पिता ने उन्हें नैतिक मूल्यों, परिश्रम और समाज सेवा की भावना दी।
उनकी शिक्षा और प्रशासनिक यात्रा इस बात का प्रमाण है कि सही मार्गदर्शन और दृढ़ इच्छाशक्ति से कोई भी व्यक्ति समाज में सकारात्मक बदलाव ला सकता है।
एक आदर्श कलेक्टर की छवि
कलेक्टर सतीश कुमार एस ने यह साबित किया है कि प्रशासन में अनुशासन, संवेदनशीलता और सरलता एक साथ हो सकते हैं। उनकी पहलें जैसे कि शिक्षा सुधार, ‘साइकिल डे’, और जनसुनवाई में जवाबदेही, उन्हें जनता और अधिकारियों दोनों के बीच एक आदर्श प्रशासक बनाती हैं।
सतीश कुमार का जीवन और प्रशासनिक दृष्टिकोण यह संदेश देता है कि यदि अधिकारी जनता की भलाई और समाज सेवा को प्राथमिकता दें, तो शासन व्यवस्था अधिक प्रभावी और पारदर्शी बन सकती है।