हाइलाइट्स:
- Chitra Tripathi पर श्रीनगर में फर्जी खबर फैलाने का आरोप
- स्थानीय लोगों ने “गोदी मीडिया हाय हाय” के नारे लगाए
- रिपोर्टिंग के दौरान Chitra Tripathi को विरोध का सामना करना पड़ा
- सुरक्षा बलों की介स्थति से स्थिति काबू में आई
- विरोध के वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल
क्या हुआ था श्रीनगर में?
बीते दिनों जम्मू-कश्मीर के पहलगाम इलाके में हुए संदिग्ध हमले की कवरेज के लिए ABP न्यूज़ की जानी-मानी एंकर Chitra Tripathi श्रीनगर पहुंचीं। मगर वहाँ की जनता का रवैया बेहद आक्रोशपूर्ण रहा। रिपोर्टिंग के दौरान स्थानीय लोगों ने Chitra Tripathi को घेरकर “गोदी मीडिया हाय हाय” के नारे लगाए।
विरोध कर रहे लोगों ने आरोप लगाया कि Chitra Tripathi जानबूझकर गलत तथ्यों के आधार पर रिपोर्टिंग कर रही हैं और कश्मीर की छवि को धूमिल करने की कोशिश कर रही हैं।
जनता का गुस्सा क्यों भड़का?
स्थानीय लोगों की नाराजगी
स्थानीय नागरिकों का मानना है कि Chitra Tripathi और उनकी टीम ने हमले को लेकर गलत जानकारी फैलाई। रिपोर्ट में यह दावा किया गया कि यह हमला किसी बड़े आतंकी नेटवर्क का हिस्सा था, जबकि पुलिस द्वारा अब तक ऐसा कोई ठोस बयान नहीं आया था। इस पर स्थानीय लोगों ने मीडिया की मंशा पर सवाल उठाए।
"गोदी मीडिया हाय हाय" — श्रीनगर में ABP न्यूज़ के एंकर चित्रा त्रिपाठी को उस समय विरोध का सामना करना पड़ा जब स्थानीय लोगों ने आरोप लगाया कि वह पहलगाम में हाल ही में हुए हमले को लेकर फर्जी खबर फैलाने की कोशिश कर रहे थे।
वीडियो: thekashmiriyat pic.twitter.com/3UrfyqtsTv
— Lallanpost (@Lallanpost) April 23, 2025
सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो
घटना के बाद कई वीडियो सामने आए जिनमें Chitra Tripathi के खिलाफ नारेबाजी होती दिख रही है। वीडियो में देखा जा सकता है कि कुछ युवा कैमरे के सामने आकर ABP न्यूज़ और Chitra Tripathi को फर्जी पत्रकारिता का प्रतीक बता रहे हैं।
क्या कहती हैं Chitra Tripathi?
इस पूरे मामले पर Chitra Tripathi ने ट्वीट करते हुए कहा:
“पत्रकारिता का धर्म है सच दिखाना। मैं जो देखती हूँ वही दिखाती हूँ। अफवाह फैलाना मेरा काम नहीं।”
हालांकि इस बयान से स्थानीय जनता का गुस्सा कम होता नहीं दिख रहा। कई लोगों ने सोशल मीडिया पर Chitra Tripathi की रिपोर्टिंग शैली की आलोचना की है और उसे एकतरफा करार दिया है।
क्या मीडिया पर भरोसा टूट रहा है?
गोदी मीडिया बनाम निष्पक्ष पत्रकारिता
Chitra Tripathi जिस मीडिया संस्थान से जुड़ी हैं, उसे कई लोग सत्ता समर्थक यानी ‘गोदी मीडिया’ के रूप में देखते हैं। हालिया घटनाक्रम से यह बात और भी स्पष्ट हो गई है कि जनता का एक बड़ा वर्ग ऐसे चैनलों से अब दूरी बना रहा है।
पत्रकारिता की सीमाएँ
जब एक पत्रकार जैसे Chitra Tripathi पर जनता का सीधा आरोप हो कि वह सच्चाई से हटकर रिपोर्टिंग कर रही हैं, तो यह पूरे मीडिया जगत के लिए चिंतन का विषय है। क्या पत्रकारिता का उद्देश्य सिर्फ सनसनी फैलाना रह गया है?
सुरक्षा एजेंसियों की भूमिका
रिपोर्टिंग के दौरान स्थिति इतनी तनावपूर्ण हो गई कि स्थानीय सुरक्षा बलों को बीच में आना पड़ा। Chitra Tripathi को वहां से सुरक्षित निकाला गया। इसके बाद ABP न्यूज़ ने रिपोर्टिंग को अस्थायी रूप से रोक दिया।
मीडिया की भूमिका पर उठते सवाल
जनता का विश्वास टूटता हुआ
यह घटना केवल Chitra Tripathi या ABP न्यूज़ तक सीमित नहीं है, बल्कि यह उस गिरते भरोसे का संकेत है जो जनता का मीडिया पर हुआ करता था। आज अगर कोई पत्रकार मैदान में उतरता है और जनता उसे रोक देती है, तो यह लोकतंत्र के लिए एक गंभीर संदेश है।
क्या पत्रकारों को आत्म-आलोचना करनी चाहिए?
Chitra Tripathi जैसी वरिष्ठ पत्रकार से उम्मीद की जाती है कि वह संवेदनशील मुद्दों पर रिपोर्टिंग करते समय ज़मीनी सच्चाई को बिना तोड़े-मरोड़े पेश करें। अगर ऐसी पत्रकारों पर भी फर्जी खबर फैलाने का आरोप लगे, तो मीडिया की विश्वसनीयता पर बड़ा प्रश्नचिह्न लग जाता है।
Chitra Tripathi के खिलाफ उठा यह विरोध सिर्फ एक पत्रकार के लिए नहीं, बल्कि पूरे भारतीय मीडिया के लिए चेतावनी है। यह समय है जब मीडिया संस्थानों को आत्मनिरीक्षण करना चाहिए और यह समझना चाहिए कि पत्रकारिता का मूल उद्देश्य क्या है—सच्चाई दिखाना या सनसनी फैलाना?
जब तक पत्रकारों की प्राथमिकता टीआरपी के बजाय जनहित नहीं होगी, तब तक “गोदी मीडिया हाय हाय” जैसे नारे गूंजते रहेंगे, और Chitra Tripathi जैसी हस्तियों को विरोध का सामना करना पड़ेगा।