हाइलाइट्स
- दिल्ली में अत्यधिक पबजी (PUBG) गेम खेलने के कारण एक किशोर की रीढ़ की हड्डी गंभीर रूप से क्षतिग्रस्त हुई.
- किशोर को 12 घंटे तक लगातार गेम खेलने की लत थी, जिसके परिणामस्वरूप रीढ़ की हड्डी में गंभीर विकृति उत्पन्न हुई.
- अस्पताल के अनुसार, किशोर को शारीरिक और मानसिक समस्याओं का सामना करना पड़ा, जिससे उसकी स्थिति बिगड़ी.
- स्पाइनल नेविगेशन तकनीक का उपयोग कर की गई सर्जरी ने दी राहत, मरीज की स्थिति में सुधार हो रहा है.
- विशेषज्ञों का कहना है कि लंबे समय तक गेमिंग से किशोरों में मस्कुलोस्केलेटल समस्याएं बढ़ रही हैं.
पृष्ठभूमि
दिल्ली में हाल ही में हुई एक घटना ने डिजिटल गेमिंग के प्रभाव को गंभीरता से उजागर किया है। एक किशोर, जो लगभग एक साल से अपने कमरे में अकेला रहकर दिन में 12 घंटे तक पबजी (PUBG) जैसे वीडियो गेम खेल रहा था, ने अपनी रीढ़ की हड्डी में गंभीर विकृति का सामना किया। इस विकृति के कारण वह आंशिक रूप से पक्षाघात का शिकार हो गया।
यह घटना एक चेतावनी है कि अत्यधिक डिजिटल स्क्रीन के संपर्क में आना और गेमिंग की लत से किशोरों के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर क्या प्रभाव पड़ सकता है। अस्पताल में इलाज कर रहे विशेषज्ञों ने इस मामले को एक चुनौतीपूर्ण स्थिति बताया, जो स्पाइनल टीबी और गेमिंग की लत के कारण उत्पन्न हुई जटिलताओं का परिणाम थी।
खेलने की लत और स्वास्थ्य पर प्रभाव
दिल्ली के ‘भारतीय स्पाइनल इंजरी सेंटर’ (ISI) के अनुसार, किशोर में अत्यधिक गेमिंग के कारण रीढ़ की हड्डी में एक गंभीर ‘काइफो-स्कोलियोटिक’ विकृति उत्पन्न हो गई थी। इस विकृति के कारण रीढ़ की हड्डी का आकार और संरचना बदल गई, जिससे कॉर्ड दब गया और उसे गंभीर शारीरिक समस्याएं पैदा हो गईं। डॉ. विकास टंडन, जो आईएसआईसी में रीढ़ की हड्डी से जुड़ी स्वास्थ्य सेवाओं के प्रमुख हैं, ने बताया, “यह दोहरी जटिलता स्पाइनल टीबी की खराब स्थिति और गेमिंग की लत के मनोवैज्ञानिक प्रभाव के कारण उत्पन्न हुई, जो एक चुनौतीपूर्ण मामला था।”
लंबे समय तक स्क्रीन के संपर्क में रहने और गेमिंग की आदतों के कारण किशोरों में शारीरिक और मानसिक समस्याओं का सामना करना आम होता जा रहा है। डॉ. टंडन के अनुसार, “हम देख रहे हैं कि किशोरों में ‘मस्कुलोस्केलेटल’ जटिलताओं की बढ़ती प्रवृत्ति सामने आ रही है, जो लंबे समय तक स्क्रीन के सामने रहने के कारण उत्पन्न हो रही हैं।”
सोशल आइसोलेशन और मानसिक स्वास्थ्य पर असर
यह घटना केवल शारीरिक नुकसान तक सीमित नहीं रही। किशोर को लंबे समय तक अकेले रहने और खेल खेलते रहने की आदतें मानसिक स्वास्थ्य पर भी असर डाल सकती हैं। अस्पताल के डॉक्टरों का मानना है कि शारीरिक गतिविधियों में कमी और सामाजिक संपर्क से कटने के कारण मानसिक स्थिति में भी गिरावट आई। इससे किशोर को शारीरिक कठिनाइयों के साथ-साथ मानसिक रूप से भी संघर्ष करना पड़ा।
विशेषज्ञों के अनुसार, गेमिंग के अत्यधिक उपयोग के कारण किशोरों में तनाव, चिंता और अवसाद जैसी मानसिक समस्याओं का सामना हो सकता है, जो लंबे समय तक अकेले रहने और स्क्रीन के सामने अत्यधिक समय बिताने से बढ़ सकती हैं।
स्पाइनल नेविगेशन तकनीक से सर्जरी का सफल परिणाम
इस जटिल मामले का समाधान करने के लिए अस्पताल ने अत्याधुनिक ‘स्पाइनल नेविगेशन’ तकनीक का उपयोग किया। इस तकनीक का उपयोग करते हुए किशोर की सर्जरी की गई, जिससे उसकी रीढ़ की हड्डी की विकृति को सही किया जा सका। डॉ. टंडन ने कहा, “सर्जरी पूरी तरह सफल रही है और मरीज की स्थिति में सुधार हो रहा है। हम उम्मीद करते हैं कि वह पूरी तरह ठीक हो जाएगा और स्थायी विकलांगता से बच जाएगा।”
इस सर्जरी ने यह साबित कर दिया कि सही इलाज और उन्नत चिकित्सा तकनीक से गंभीर स्पाइनल विकृतियों को ठीक किया जा सकता है। अस्पताल ने बताया कि किशोर की हालत में लगातार सुधार हो रहा है और वह अब अपने नियमित जीवन की ओर बढ़ रहा है।
प्रभावित बच्चों के लिए सुझाव
विशेषज्ञों ने माता-पिता से यह अपील की है कि वे अपने बच्चों की स्क्रीन टाइम पर निगरानी रखें और उन्हें शारीरिक गतिविधियों में शामिल करने के लिए प्रेरित करें। गेमिंग की लत से बचने के लिए सही समय पर इंटरवेंशन और सलाह की जरूरत होती है। बच्चों को मानसिक और शारीरिक रूप से स्वस्थ बनाए रखने के लिए यह आवश्यक है कि वे संतुलित जीवनशैली अपनाएं, जिसमें पर्याप्त शारीरिक गतिविधि, सामाजिक संपर्क और स्वस्थ आदतें शामिल हों।
आखिरकार, डिजिटल गेमिंग की दुनिया में समय बिताना कोई बुरी बात नहीं है, लेकिन यह सुनिश्चित करना आवश्यक है कि यह समय सीमा के भीतर हो और अन्य शारीरिक और मानसिक गतिविधियों से संतुलित हो।
दिल्ली में एक किशोर का पबजी गेमिंग के कारण रीढ़ की हड्डी में गंभीर विकृति का शिकार होना यह दर्शाता है कि वीडियो गेमिंग के अत्यधिक उपयोग के स्वास्थ्य पर दूरगामी प्रभाव हो सकते हैं। यह घटना न केवल शारीरिक बल्कि मानसिक स्वास्थ्य के लिए भी खतरे का संकेत है। विशेषज्ञों का कहना है कि सही समय पर हस्तक्षेप और स्वस्थ जीवनशैली के साथ हम इस प्रकार की समस्याओं से बच सकते हैं।