हाइलाइट्स
- High Blood Pressure दक्षिण पूर्व एशिया में 294 मिलियन लोगों को बना रहा है शिकार: WHO
- भारत में 22 करोड़ से अधिक लोग हाई ब्लड प्रेशर से पीड़ित
- हर 10 में से 9 मरीज़ों को नहीं मिल रही है सही इलाज की सुविधा
- इस साल की थीम: “अपने रक्तचाप को सही तरीके से मापें, इसे नियंत्रित करें, लंबे समय तक जिएं”
- जीवनशैली में बदलाव और नियमित जांच से मिल सकता है हाइपरटेंशन पर नियंत्रण
High Blood Pressure: स्वास्थ्य का खामोश दुश्मन
High Blood Pressure या उच्च रक्तचाप को चिकित्सा जगत में “Silent Killer” कहा जाता है, और यह नाम यूँ ही नहीं मिला है। यह बीमारी शरीर में बिना कोई प्रारंभिक लक्षण दिखाए धीरे-धीरे महत्वपूर्ण अंगों को क्षति पहुंचाती है।
हाइपरटेंशन क्या है?
हाइपरटेंशन वह स्थिति है जब धमनियों में रक्त का दबाव सामान्य से अधिक होता है। सामान्य रक्तचाप का स्तर 120/80 mmHg माना जाता है, जबकि 140/90 mmHg या उससे अधिक को उच्च रक्तचाप कहा जाता है।
अधिकांश मामलों में यह समस्या तब तक सामने नहीं आती जब तक कि व्यक्ति दिल का दौरा, ब्रेन स्ट्रोक या किडनी फेल होने जैसी गंभीर स्थिति का सामना नहीं करता।
WHO का बड़ा खुलासा: High Blood Pressure दक्षिण-पूर्व एशिया में एक महामारी
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने World Hypertension Day से पहले एक विस्तृत रिपोर्ट जारी करते हुए बताया कि दक्षिण-पूर्व एशिया में High Blood Pressure से पीड़ित लोगों की संख्या 294 मिलियन तक पहुँच गई है।
WHO की क्षेत्रीय निदेशक साइमा वाजेद का बयान
डब्ल्यूएचओ दक्षिण-पूर्व एशिया की क्षेत्रीय निदेशक साइमा वाजेद ने कहा,
“High Blood Pressure एक प्रमुख सार्वजनिक स्वास्थ्य चुनौती बनी हुई है – एक ऐसा खामोश हत्यारा जो हर साल लाखों जिंदगियां निगलता है।”
उन्होंने यह भी बताया कि अधिक नमक का सेवन, धूम्रपान, शराब, निष्क्रिय जीवनशैली, तनाव और असंतुलित आहार जैसे व्यवहारिक कारण इसके पीछे मुख्य भूमिका निभा रहे हैं।
भारत में High Blood Pressure की भयावह स्थिति
भारत में लगभग 220 मिलियन लोग हाई ब्लड प्रेशर के शिकार हैं, यानी लगभग हर तीसरा वयस्क। रिपोर्ट्स के अनुसार, हर 10 में से 9 मरीजों को सही उपचार नहीं मिल रहा है, जो स्थिति को और भी गंभीर बना देता है।
इलाज में लापरवाही के मुख्य कारण:
- नियमित जांच की कमी
- जागरूकता का अभाव
- गलत खानपान और जीवनशैली
- मानसिक स्वास्थ्य पर ध्यान न देना
- प्राथमिक स्वास्थ्य सेवाओं की कमजोर स्थिति
High Blood Pressure से होने वाले गंभीर खतरे
हाइपरटेंशन शरीर के कई अंगों को नुकसान पहुंचाता है:
- हृदय संबंधी रोग – हार्ट अटैक, हार्ट फेल
- मस्तिष्क संबंधी समस्याएं – ब्रेन स्ट्रोक
- किडनी फेल्योर – स्थायी डायलिसिस की जरूरत
- दृष्टि दोष – आंखों की रेटिना पर असर, अंधापन
- धमनियों में ब्लॉकेज – रक्त प्रवाह में बाधा
High Blood Pressure से बचाव के वैज्ञानिक उपाय
1. नियमित जांच
हर 6 महीने में ब्लड प्रेशर की जांच करवाना चाहिए, खासकर यदि उम्र 35 वर्ष से अधिक है या परिवार में हाइपरटेंशन का इतिहास है।
2. खानपान पर नियंत्रण
- नमक का सेवन 5 ग्राम से कम करें
- ट्रांस-फैट और अधिक तली-भुनी चीजों से बचें
- फल और हरी सब्जियां अधिक मात्रा में खाएं
3. व्यायाम और योग
रोज़ाना 30 मिनट का तेज़ चलना, प्राणायाम, योग और हल्के व्यायाम से ब्लड प्रेशर नियंत्रण में रखा जा सकता है।
4. तनाव प्रबंधन
ध्यान, पर्याप्त नींद, संगीत और किताबों के माध्यम से मानसिक तनाव को कम करना चाहिए।
5. धूम्रपान और शराब से दूरी
धूम्रपान और शराब दोनों ही रक्तचाप बढ़ाने वाले प्रमुख कारक हैं। इनसे दूरी बनाना आवश्यक है।
6. दवाओं का नियमित सेवन
यदि डॉक्टर ने आपको दवाएं दी हैं, तो उन्हें बिना रुके और समय पर लेते रहना चाहिए।
World Hypertension Day 2025: इस साल की थीम और महत्व
हर साल 17 मई को मनाया जाने वाला World Hypertension Day का उद्देश्य लोगों को High Blood Pressure के प्रति जागरूक करना है।
इस साल की थीम:
“अपने रक्तचाप को सही तरीके से मापें, इसे नियंत्रित करें, लंबे समय तक जिएं“
यह थीम दर्शाती है कि सही तकनीक से ब्लड प्रेशर की माप और समय पर हस्तक्षेप जीवन बचा सकता है।
सरकारी और सार्वजनिक स्वास्थ्य नीतियों की भूमिका
WHO ने सरकारों और स्वास्थ्य एजेंसियों से अपील की है कि वे:
- सार्वजनिक स्थानों पर जागरूकता अभियान चलाएं
- कम लागत वाली स्क्रीनिंग सुविधाएं उपलब्ध कराएं
- स्कूल और ऑफिस स्तर पर स्वास्थ्य शिक्षा को अनिवार्य करें
- सस्ती और सुलभ दवाएं मुहैया कराएं
High Blood Pressure आज की सबसे गंभीर और अनदेखी की जाने वाली बीमारियों में से एक है। यह बीमारी खामोशी से शरीर को अंदर से खत्म करती है, इसलिए समय रहते इसे पहचानना और नियंत्रित करना अत्यंत आवश्यक है।
हमें व्यक्तिगत स्तर पर अपनी जीवनशैली में बदलाव लाकर और नियमित जांच कराकर इस बीमारी पर नियंत्रण पाना होगा। साथ ही, सरकारी स्तर पर भी नीतियों का सशक्त क्रियान्वयन समय की आवश्यकता है