हाइलाइट्स
- चांगेरी को आयुर्वेद में पाचन, दस्त, और त्वचा रोगों के इलाज में प्रभावी माना गया है।
- वैज्ञानिक नाम Oxalis Corniculata है, जिसे आमतौर पर खट्टी घास भी कहा जाता है।
- महिलाओं में ल्यूकोरिया व हड्डियों की कमजोरी में चांगेरी का रस फायदेमंद होता है।
- त्वचा पर इसके पत्तों और फूलों का लेप लगाने से दाग-धब्बे कम होते हैं।
- चांगेरी का सेवन रोग प्रतिरोधक क्षमता को भी मजबूत करता है।
चांगेरी: एक छोटा-सा पौधा, बड़े-बड़े फायदे
चांगेरी, जिसे आम भाषा में खट्टी घास के नाम से जाना जाता है, एक ऐसा औषधीय पौधा है जो भारत में सहजता से पाया जाता है। इसका वैज्ञानिक नाम Oxalis Corniculata है और यह एक बारहमासी पौधा है जिसकी पत्तियाँ स्वाद में खट्टी होती हैं। यह पौधा न केवल रसोई के व्यंजनों में उपयोगी है, बल्कि आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति में भी इसका विशेष स्थान है।
चांगेरी का उल्लेख आयुर्वेद ग्रंथों में
चरक-सुश्रुत संहिता में क्या लिखा है?
चरक संहिता में चांगेरी को शाक वर्ग और अम्लस्कन्ध में शामिल किया गया है, जबकि सुश्रुत संहिता में इसे सिर्फ शाक वर्ग में वर्णित किया गया है। आयुर्वेद के अनुसार, चांगेरी मुख्यतः पाचन संबंधी समस्याओं, दस्त (अतिसार), और बवासीर जैसी बीमारियों में लाभकारी मानी जाती है।
पाचन तंत्र के लिए अमृत समान
कैसे करें उपयोग?
चांगेरी के पत्तों का काढ़ा बनाकर उसे भुनी हुई हींग के साथ मिलाकर पीने से पेट दर्द, गैस, और दस्त में तुरंत राहत मिलती है। नियमित रूप से इसका सेवन करने से पाचन तंत्र मजबूत होता है, विशेषकर महिलाओं में यह अत्यंत लाभकारी माना जाता है।
महिलाओं के स्वास्थ्य के लिए लाभकारी
ल्यूकोरिया और हड्डियों की कमजोरी में चमत्कार
चांगेरी के पत्तों का रस, यदि मिश्री के साथ मिलाकर लिया जाए, तो यह ल्यूकोरिया (श्वेत प्रदर) की समस्या में राहत प्रदान करता है। साथ ही, यह हड्डियों की कमजोरी को भी दूर करता है। यह महिलाओं की संपूर्ण यौन स्वास्थ्य प्रणाली को मजबूत करता है।
त्वचा के लिए वरदान
मुंहासे, काले धब्बे और सूजन में उपयोग
चांगेरी में पाए जाने वाले एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटीफंगल गुण इसे त्वचा रोगों के उपचार में प्रभावी बनाते हैं। इसके पत्तों और फूलों को पीसकर चावल के आटे के साथ मिलाकर चेहरे पर लगाने से त्वचा में निखार आता है और मुंहासे तथा धब्बों से छुटकारा मिलता है।
प्रतिरक्षा प्रणाली को बनाए मजबूत
विटामिन-सी का खजाना
चांगेरी विटामिन-सी का एक प्रमुख स्रोत है, जो रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है और स्कर्वी जैसी बीमारियों से रक्षा करता है। बदलते मौसम में यदि चांगेरी का सेवन नियमित रूप से किया जाए, तो यह कई मौसमी बीमारियों से बचा सकता है।
जोड़ों के दर्द और सूजन में आराम
प्राकृतिक सूजनरोधी औषधि
चांगेरी के पत्तों का लेप गठिया, जोड़ों के दर्द और सूजन में बहुत लाभदायक माना गया है। इसके सूजनरोधी गुण दर्द से राहत देते हैं और रक्त संचार को भी बेहतर करते हैं। परंतु, इसके उपयोग से पहले किसी आयुर्वेदाचार्य से परामर्श जरूर लें।
चांगेरी का पाक उपयोग
चटनी, सूप और सब्जियों में करें प्रयोग
चांगेरी का उपयोग केवल औषधीय ही नहीं बल्कि रसोई में भी होता है। इसकी खट्टी पत्तियाँ स्वाद में उत्तम होती हैं और चटनी, सूप, दालों और सलाद में प्रयोग की जाती हैं। यह भोजन में स्वाद के साथ-साथ स्वास्थ्य भी जोड़ती है।
चांगेरी की सावधानियाँ
अधिक सेवन से बचें
हालांकि चांगेरी अत्यंत उपयोगी पौधा है, फिर भी इसका अधिक मात्रा में सेवन अम्लता (Acidity) और पथरी जैसी समस्याओं को बढ़ा सकता है। गर्भवती महिलाओं को इसके सेवन से पूर्व चिकित्सकीय सलाह अवश्य लेनी चाहिए।
आयुर्वेद का खजाना है चांगेरी
चांगेरी एक ऐसा पौधा है जो हमारे आसपास प्रकृति ने मुफ्त में दिया है, पर हम अक्सर इसे नजरअंदाज कर देते हैं। यह न केवल घरेलू इलाज का माध्यम बन सकता है, बल्कि इसे आधुनिक चिकित्सा के पूरक के रूप में भी इस्तेमाल किया जा सकता है। आयुर्वेद के इस चमत्कारी पौधे को अपने जीवन में शामिल कर, हम अनेक बीमारियों से छुटकारा पा सकते हैं।