अयोध्या के राम जन्मभूमि मंदिर के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास का निधन, सीएम योगी ने जताया दुःख

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अयोध्या के प्रतिष्ठित राम जन्मभूमि मंदिर के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास का 12 फरवरी 2025 को 83 वर्ष की आयु में निधन हो गया। वे 2 फरवरी को ब्रेन स्ट्रोक के बाद से लखनऊ के संजय गांधी पोस्ट ग्रेजुएट इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (SGPGIMS) में इलाजरत थे। उनके निधन से अयोध्या के आध्यात्मिक और सांस्कृतिक जगत में एक युग का अंत हो गया है।

भगवान राम के प्रति समर्पित जीवन

आचार्य सत्येंद्र दास का जन्म 1942 में हुआ था। मात्र 20 वर्ष की आयु में उन्होंने संन्यास ग्रहण कर आध्यात्मिक पथ पर चलना शुरू किया। वे अयोध्या के प्रमुख धार्मिक संप्रदायों में से एक, निर्वाणी अखाड़ा के सम्मानित सदस्य थे। शास्त्रों पर उनकी गहरी पकड़ और भगवान राम के प्रति उनकी अटूट भक्ति ने उन्हें अयोध्या के धार्मिक समुदाय में एक महत्वपूर्ण स्थान दिलाया।

मुख्य पुजारी के रूप में कार्यकाल

आचार्य सत्येंद्र दास ने 1992 में बाबरी मस्जिद विध्वंस से पहले राम जन्मभूमि मंदिर के मुख्य पुजारी का पद संभाला। 6 दिसंबर 1992 को उन्होंने मंदिर के मुख्य गर्भगृह से रामलला की मूर्तियों को सुरक्षित रखते हुए उन्हें फकीरे मंदिर में स्थानांतरित कर दिया। बाबरी विध्वंस के बाद उन्होंने राम जन्मभूमि स्थल पर अस्थायी मंदिर में मूर्तियों की पुनः स्थापना की।

राम मंदिर के भव्य निर्माण के दौरान भी उन्होंने मंदिर के मुख्य पुजारी के रूप में अपनी सेवाएं जारी रखीं। वे मंदिर में दैनिक पूजा-अर्चना और अनुष्ठानों का नेतृत्व करते थे, जिससे हजारों श्रद्धालुओं को मार्गदर्शन प्राप्त होता था।

स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं और अस्पताल में भर्ती

ब्रेन स्ट्रोक के अलावा, आचार्य दास मधुमेह और उच्च रक्तचाप जैसी बीमारियों से भी पीड़ित थे। प्रारंभ में उन्हें अयोध्या के एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया था, लेकिन बाद में बेहतर इलाज के लिए लखनऊ के SGPGIMS रेफर कर दिया गया। तमाम चिकित्सकीय प्रयासों के बावजूद, 12 फरवरी की सुबह उन्होंने अंतिम सांस ली।

श्रद्धांजलि और शोक संदेश

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उनके निधन पर गहरा शोक व्यक्त करते हुए कहा,

“परम रामभक्त, श्री राम जन्मभूमि मंदिर, श्री अयोध्या धाम के मुख्य पुजारी आचार्य श्री सत्येंद्र कुमार दास जी महाराज का निधन अत्यंत दुःखद एवं आध्यात्मिक जगत की अपूरणीय क्षति है। विनम्र श्रद्धांजलि! प्रभु श्री राम से प्रार्थना है कि दिवंगत पुण्यात्मा को अपने श्री चरणों में स्थान दें तथा शोक संतप्त शिष्यों एवं अनुयायियों को यह अथाह दुःख सहन करने की शक्ति प्रदान करें। ॐ शांति!”

उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने भी श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि आचार्य सत्येंद्र दास का जीवन रामलला मंदिर आंदोलन को समर्पित था। वहीं, राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद मामले के पूर्व वादी इकबाल अंसारी ने भी उनके निधन पर शोक जताया और उन्हें अयोध्या के धार्मिक परिदृश्य का महत्वपूर्ण व्यक्तित्व बताया।

आचार्य सत्येंद्र दास की विरासत

वे सिर्फ एक पुजारी ही नहीं, बल्कि हजारों श्रद्धालुओं के आध्यात्मिक गुरु भी थे। वे सदैव भक्तों और मीडिया से संवाद करने के लिए उपलब्ध रहते थे। अयोध्या के धार्मिक और सांस्कृतिक पहलुओं पर उनकी गहरी समझ थी, और उन्होंने मंदिर से जुड़े विभिन्न ऐतिहासिक और सामाजिक पहलुओं को समझाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उनकी सरलता और सहजता उन्हें अन्य संतों से अलग बनाती थी।

अंतिम संस्कार और उत्तराधिकारी की चर्चा

रिपोर्ट्स के अनुसार, आचार्य सत्येंद्र दास का अंतिम संस्कार अयोध्या में किया जाएगा, जहां हजारों श्रद्धालु और गणमान्य व्यक्ति उन्हें अंतिम विदाई देने के लिए एकत्रित होंगे। उनके उत्तराधिकारी को लेकर मंदिर प्रशासन चर्चा कर रहा है, ताकि राम जन्मभूमि मंदिर में पूजा-अर्चना की प्रक्रिया निर्बाध रूप से जारी रह सके।

आचार्य सत्येंद्र दास का निधन आध्यात्मिक जगत के लिए अपूरणीय क्षति है। उन्होंने अपने संपूर्ण जीवन में भगवान राम की सेवा की और हजारों भक्तों को प्रेरणा दी। अयोध्या और संपूर्ण हिंदू समाज उनके योगदान को सदैव याद रखेगा। उनका जीवन और शिक्षाएं भविष्य की पीढ़ियों को धर्म, समर्पण और सेवा का मार्ग दिखाती रहेंगी।

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