हाइलाइट्स
- मोबाइल फोन की लत से बच्चों को दूर करने के लिए पेरेंट्स ने अपनाया अनोखा तरीका
- सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है एक मजेदार लेकिन संदेशपूर्ण वीडियो
- आंखों में काजल लगाकर बच्ची को डराया कि फोन से कीड़े पड़ गए हैं
- मासूम बच्ची रो-रोकर अल्लाह से माफ़ी मांगती दिख रही है
- यूजर्स ने कहा – ‘पेरेंट्स ने सही फील्डिंग सेट की है’
सोशल मीडिया पर वायरल हुआ अनोखा वीडियो
आज के समय में मोबाइल फोन की लत एक ऐसी समस्या बन चुकी है जो बच्चों से लेकर बड़ों तक सभी को अपनी चपेट में ले रही है। खासकर बच्चों में यह लत तेजी से पनप रही है और अभिभावकों के लिए यह चिंता का विषय बन चुका है। इसी मुद्दे पर सोशल मीडिया पर एक वीडियो तेजी से वायरल हो रहा है जिसमें एक छोटी बच्ची की मासूमियत के साथ माता-पिता की चतुराई ने सबका ध्यान खींचा है।
वीडियो में एक छोटी बच्ची अपनी आंखों में काजल देखकर बुरी तरह डर जाती है और रो-रोकर कहती है कि “अब से कभी फोन नहीं चलाऊंगी, अल्लाह माफ कर दो”। इस वीडियो को देखकर लोग हंस भी रहे हैं और सोचने पर भी मजबूर हो गए हैं कि क्या वाकई इस तरह के उपाय मोबाइल फोन की लत छुड़ाने में कारगर हो सकते हैं?
पेरेंट्स ने रची योजना, काजल से बनाया डर का माहौल
इस वायरल वीडियो में देखा जा सकता है कि बच्ची की आंखों में भारी मात्रा में काजल लगा हुआ है, जिससे उसकी आंखें अजीब सी दिखने लगती हैं। सुबह उठने के बाद बच्ची जब आईने में खुद को देखती है, तो उसे बताया जाता है कि “फोन ज्यादा देखने के कारण तेरी आंखों में कीड़े पड़ गए हैं”। इतना सुनते ही बच्ची का रो-रोकर बुरा हाल हो जाता है और वह अल्लाह से माफी मांगती है कि वह अब से कभी फोन नहीं चलाएगी।
यह सब एक सोची-समझी रणनीति थी जिसे माता-पिता ने अपनाया ताकि अपनी बच्ची को मोबाइल फोन की लत से दूर किया जा सके। रात को सोते समय बच्ची की आंखों में जानबूझकर काजल लगाया गया था ताकि अगली सुबह वह डर जाए और मोबाइल से दूरी बना ले।
वीडियो देख हंस भी रहे लोग, सीख भी ले रहे पेरेंट्स
इस वीडियो को इंस्टाग्राम यूज़र Shumail Qureshi द्वारा शेयर किया गया है, जिसे अब तक लाखों लोग देख चुके हैं। कमेंट सेक्शन में ढेरों यूज़र्स ने अपने विचार साझा किए हैं। एक यूज़र ने लिखा – “बिलकुल सही किया, बच्चों को डराकर ही सही लेकिन उन्हें मोबाइल से दूर रखना चाहिए।” वहीं एक अन्य ने कहा – “यहां तो पेरेंट्स ने गजब की फील्डिंग सेट कर दी।”
लोग इसे एक रचनात्मक तरीका मान रहे हैं, जिसमें बिना किसी हिंसा या सख्ती के एक बच्चे को मोबाइल फोन की लत से बाहर निकालने की कोशिश की गई।
बच्चों में मोबाइल फोन की लत क्यों खतरनाक है?
1. मानसिक विकास पर असर
मोबाइल फोन की लत बच्चों के मानसिक विकास को प्रभावित करती है। लगातार स्क्रीन देखने से ध्यान भटकता है और एकाग्रता की क्षमता घटती है।
2. शारीरिक समस्याएं
इस लत के चलते बच्चे शारीरिक गतिविधियों से दूर हो जाते हैं, जिससे मोटापा, आंखों की रोशनी में कमी, गर्दन दर्द जैसी समस्याएं सामने आती हैं।
3. सामाजिक अलगाव
फोन की दुनिया में उलझे बच्चे दोस्तों और परिवार से दूर होते जाते हैं। वे वास्तविक जीवन की भावनाओं को समझने में असमर्थ हो जाते हैं।
4. नींद की गुणवत्ता पर असर
बच्चों के सोने से पहले मोबाइल का इस्तेमाल नींद की गुणवत्ता को बुरी तरह प्रभावित करता है और उनका रूटीन बिगड़ता है।
क्या डराना है सही समाधान?
हालांकि, वीडियो में दिखाई गई तरकीब कुछ समय के लिए कारगर साबित हो सकती है, लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि मोबाइल फोन की लत को दूर करने के लिए डराना नहीं, बल्कि समझदारी और संवाद जरूरी है। बच्चों को बताएं कि मोबाइल का इस्तेमाल सीमित समय के लिए ही करना चाहिए और उससे होने वाले नुकसान को भी उदाहरणों के साथ समझाएं।
क्या कहती है रिसर्च?
‘द अमेरिकन एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक्स’ की एक रिपोर्ट के मुताबिक, 2 से 5 साल के बच्चों के लिए स्क्रीन टाइम प्रतिदिन 1 घंटे से अधिक नहीं होना चाहिए। 6 साल से ऊपर के बच्चों के लिए पैरेंट्स को खुद रेगुलेट करना चाहिए कि बच्चा क्या और कितना देख रहा है। मोबाइल फोन की लत पर नियंत्रण न रखा जाए तो यह बच्चों के शैक्षणिक, सामाजिक और भावनात्मक विकास में बाधा बन सकती है।
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माता-पिता की भूमिका सबसे अहम
बच्चों में मोबाइल फोन की लत को रोकने के लिए माता-पिता को स्वयं भी उदाहरण पेश करने होंगे। यदि माता-पिता खुद हर समय फोन में उलझे रहते हैं तो बच्चे भी वैसा ही व्यवहार अपनाएंगे। ऐसे में कुछ कदम कारगर हो सकते हैं:
- घर में नो-फोन टाइम ज़ोन बनाएं (जैसे डिनर टाइम)
- बच्चों को आउटडोर एक्टिविटीज़ में शामिल करें
- कहानियों और बोर्ड गेम्स की ओर बच्चों का ध्यान आकर्षित करें
- मोबाइल कंटेंट को मॉनिटर करें और स्क्रीन टाइम तय करें
इस वायरल वीडियो ने मजाकिया अंदाज में एक गंभीर विषय पर गहरी चोट की है। मोबाइल फोन की लत बच्चों के भविष्य के लिए खतरा बनती जा रही है और इससे निपटने के लिए हर माता-पिता को रचनात्मक, संयमित और संवादशील दृष्टिकोण अपनाना होगा। डराना एक अस्थायी समाधान हो सकता है, लेकिन सही मार्गदर्शन और व्यवहारिक उदाहरण बच्चों को तकनीक के सही उपयोग की सीख दे सकता है।