सेना की वर्दी में छिपा था नशे का सौदागर: मणिपुर से दिल्ली तक अफीम तस्करी, गर्लफ्रेंड को बनाया था पुलिस को चकमा देने का हथियार

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हाइलाइट्स

  • Drug Smuggling में शामिल था सेना का जवान गोधुराम, मणिपुर से दिल्ली तक करता था अफीम की तस्करी
  • आरोपी जवान तीन माह की छुट्टी पर था और इसी दौरान सक्रिय हो गया नशे के धंधे में
  • हर ट्रिप में गर्लफ्रेंड को साथ ले जाता था ताकि पुलिस को गुमराह कर सके
  • पुलिस ने 18 किलो अफीम जब्त की, जिसकी कीमत करोड़ों में आंकी गई
  • गिरफ्तार युवती को हर ट्रिप पर मिलता था ₹50,000 का भुगतान

 सेना का जवान बन गया अफीम तस्कर: एक संगठित गिरोह का खुलासा

दिल्ली पुलिस की स्पेशल ब्रांच ने हाल ही में Drug Smuggling से जुड़े एक चौंकाने वाले मामले का खुलासा किया है, जिसमें भारतीय सेना का एक जवान न केवल इस गोरखधंधे का हिस्सा निकला, बल्कि उसका मास्टरमाइंड भी पाया गया। इस पूरे नेटवर्क का संचालन मणिपुर से दिल्ली तक किया जा रहा था, जिसमें सेना का जवान, उसकी गर्लफ्रेंड और एक सहयोगी मित्र शामिल थे। यह मामला सुरक्षा एजेंसियों के लिए एक बड़ा झटका है क्योंकि इसमें देश की सेना से जुड़ा व्यक्ति शामिल है।

 कैसे हुआ भंडाफोड़?

पुलिस ने कब और कैसे पकड़ा?

दिल्ली के नार्कोटिक्स विभाग को गुप्त सूचना मिली थी कि मणिपुर से एक बड़ी खेप दिल्ली पहुंचने वाली है। तफ्तीश बढ़ाई गई और सटीक लोकेशन के आधार पर एक वाहन को रोका गया। तलाशी के दौरान पुलिस को गाड़ी में छुपाकर रखी गई 18 किलो अफीम बरामद हुई। इसके साथ ही गाड़ी में मौजूद तीन लोगों—गोधुराम (सेना का जवान), उसकी गर्लफ्रेंड देवी और दोस्त पीराराम को गिरफ्तार किया गया।

गिरफ़्तारी की पुष्टि

स्पेशल सेल के डीसीपी ने मीडिया को जानकारी देते हुए बताया, “हमें गोधुराम की भूमिका की जानकारी मिली थी। उसकी प्रोफाइल की जांच में सामने आया कि वह सेना में कार्यरत है और छुट्टी पर है। हमने फौरन अन्य एजेंसियों को भी सूचित किया।”

 गर्लफ्रेंड और दोस्त की भूमिका

देवी: दिखावे की ढाल

जांच में खुलासा हुआ कि आरोपी गोधुराम हर ट्रिप में अपनी गर्लफ्रेंड देवी को साथ ले जाता था। उसका मकसद पुलिस की नजरों से बचना था। देवी को हर ट्रिप के बदले ₹50,000 रुपये दिए जाते थे। इससे न सिर्फ शक कम होता था, बल्कि वे सिविल ड्रेस में सामान्य कपल की तरह ट्रैवल करते थे ताकि Drug Smuggling पकड़ी न जाए।

पीराराम: सहयोगी और नेटवर्क कनेक्टर

पीराराम, जो राजस्थान का ही रहने वाला है, इस गैंग का तीसरा सदस्य था। वह गोधुराम और दिल्ली में अफीम खरीदने वाले नेटवर्क के बीच मध्यस्थ की भूमिका निभाता था।

 मणिपुर से दिल्ली: अफीम की तस्करी का रूट

पूर्वोत्तर से सप्लाई और राजधानी में डिलीवरी

इस गैंग का नेटवर्क मणिपुर के दूरस्थ हिस्सों से शुरू होता था, जहां अफीम की अवैध खेती होती है। गोधुराम वहां से माल लेकर ट्रेन या कार के ज़रिए दिल्ली लाता था। यह Drug Smuggling नेटवर्क कई महीनों से सक्रिय था और राजधानी दिल्ली में युवाओं को निशाना बनाकर अफीम सप्लाई की जा रही थी।

 सेना का जवान क्यों उतरा इस दलदल में?

तीन माह की छुट्टी और लालच का खेल

सेना में कार्यरत गोधुराम वर्तमान में तीन महीने की छुट्टी पर था। पूछताछ में उसने कबूल किया कि उसे जल्दी पैसे कमाने का लालच था और उसने अपने एक जानकार के कहने पर इस कारोबार में कदम रखा। शुरू में उसने नेटवर्क का अध्ययन किया और फिर खुद ही माल ढोने लगा।

सेना की प्रतिष्ठा पर सवाल

इस घटना ने सेना की छवि पर भी असर डाला है। हालांकि सेना ने स्पष्ट किया कि गोधुराम व्यक्तिगत स्तर पर इस अपराध में लिप्त था और उसका सेना से कोई आधिकारिक संबंध नहीं था इस मामले में।

 बरामदगी और कानूनी कार्रवाई

NDPS एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज

पुलिस ने गोधुराम, देवी और पीराराम के खिलाफ NDPS एक्ट की विभिन्न धाराओं में मामला दर्ज कर लिया है। बरामद 18 किलो अफीम की अंतरराष्ट्रीय बाजार में कीमत लगभग 1.2 करोड़ रुपये आंकी गई है।

अदालत में पेशी और रिमांड

तीनों आरोपियों को अदालत में पेश किया गया, जहां से उन्हें 5 दिन की पुलिस रिमांड पर भेज दिया गया है ताकि तस्करी के पूरे नेटवर्क की जानकारी जुटाई जा सके।

 Drug Smuggling पर बड़ी कार्रवाई का संकेत

यह मामला दिल्ली पुलिस की उस लगातार कोशिश का हिस्सा है जिसमें राजधानी में Drug Smuggling पर अंकुश लगाने के लिए कड़े कदम उठाए जा रहे हैं। विशेष रूप से मणिपुर और दूसरे पूर्वोत्तर राज्यों से दिल्ली में आ रही अवैध नशीली वस्तुओं की तस्करी को रोकने के लिए एक अलग सेल भी गठित की गई है।

 समाज और सुरक्षा एजेंसियों के लिए चेतावनी

यह घटना केवल एक गिरोह की गिरफ्तारी नहीं है, बल्कि यह संकेत है कि नशे का कारोबार अब कितनी गहराई तक फैल चुका है—even those expected to protect the country can fall prey to greed. Drug Smuggling अब केवल अपराध नहीं, बल्कि एक सामाजिक आपदा बनता जा रहा है।

सेना के जवान की इस संलिप्तता ने न केवल सिस्टम को झकझोर कर रख दिया है, बल्कि सुरक्षा एजेंसियों को भी मजबूर किया है कि वे आंतरिक जांच व्यवस्था को और मजबूत करें। Drug Smuggling जैसे संगीन अपराधों से निपटने के लिए केवल पुलिस ही नहीं, पूरे समाज को सतर्क रहने की आवश्यकता है

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