आप कमरे में क्या कर रहे हैं, Wi-Fi ने सब जान लिया! जानिए कैसी है रहस्यमयी WhoFi टेक्नोलॉजी

Technology

हाइलाइट्स

  • वाई-फाई निगरानी तकनीक अब किसी कमरे में मौजूद व्यक्ति की गतिविधियों को बिना कैमरे और माइक्रोफोन के ट्रैक कर सकती है।
  • रोम की La Sapienza यूनिवर्सिटी ने विकसित की यह तकनीक, नाम दिया गया है WhoFi।
  • यह तकनीक सिग्नल के मामूली बदलावों से व्यक्ति के मूवमेंट को पहचान लेती है।
  • इसमें कैमरे या ऑडियो रिकॉर्डिंग की आवश्यकता नहीं होती, जिससे यह दिखने में प्राइवेट लेकिन है बेहद संवेदनशील।
  • भविष्य में वाई-फाई निगरानी तकनीक को सुरक्षा, स्वास्थ्य और सेना के क्षेत्रों में किया जा सकता है इस्तेमाल।

अब वाई-फाई बताएगा आप कमरे में क्या कर रहे हैं: आधुनिक निगरानी का एक नया अध्याय

La Sapienza यूनिवर्सिटी का क्रांतिकारी शोध

इटली की राजधानी रोम स्थित La Sapienza यूनिवर्सिटी के रिसर्चर्स ने एक ऐसी तकनीक विकसित की है जो वाई-फाई निगरानी तकनीक के क्षेत्र में नई क्रांति ला सकती है। इस तकनीक को ‘WhoFi’ नाम दिया गया है। इसकी सबसे बड़ी खासियत यह है कि यह बिना किसी कैमरे, माइक्रोफोन या किसी प्रकार के विजुअल डिवाइस के यह पहचान सकती है कि कोई व्यक्ति कमरे में है या नहीं, और यदि है तो वह बैठा है, चल रहा है या खड़ा है।

वाई-फाई सिग्नल से कैसे होती है गतिविधियों की पहचान?

वाई-फाई निगरानी तकनीक में कमरे में फैले हुए वायरलेस सिग्नल का विश्लेषण किया जाता है। जब कोई व्यक्ति इन सिग्नल के बीच आता है तो उसका शरीर कुछ सिग्नल को अवशोषित करता है और कुछ को डिफ्लेक्ट करता है। हर शरीर की बनावट और मूवमेंट की दिशा अलग-अलग होती है, जिससे सिग्नल के फेज और एम्प्लीट्यूड में सूक्ष्म परिवर्तन आते हैं।

WhoFi इन बदलावों को न्यूरल नेटवर्क और विशेष एल्गोरिद्म के माध्यम से रिकॉर्ड करता है। इस तकनीक को प्रशिक्षित करने के लिए वैज्ञानिकों ने NTU-Fi नामक एक डेटासेट का उपयोग किया, जो वाई-फाई निगरानी तकनीक के लिए स्टैंडर्ड टेस्टिंग सेट के रूप में जाना जाता है।

बिना कैमरे के निगरानी: सुविधा या खतरा?

95.5% एक्यूरेसी के साथ व्यक्ति की पहचान

WhoFi तकनीक को इतने उच्च स्तर पर प्रशिक्षित किया गया है कि यह किसी व्यक्ति की पहचान 95.5% की एक्यूरेसी से कर सकती है, वह भी तब जब वह एक कमरे से दूसरे कमरे में चला जाए। यह तकनीक किसी भी कैमरे या माइक्रोफोन का उपयोग नहीं करती, जो इसे अन्य निगरानी उपकरणों से अलग बनाती है। लेकिन यही इसकी सबसे बड़ी चिंता का विषय भी बन जाता है।

वाई-फाई निगरानी तकनीक बनाम निजता

जहाँ एक ओर यह तकनीक सुरक्षा और निगरानी के क्षेत्र में अद्वितीय लाभ प्रदान करती है, वहीं दूसरी ओर यह लोगों की निजता पर बड़ा खतरा भी बन सकती है। जब कोई कैमरा या माइक्रोफोन न हो तब भी किसी के मूवमेंट को ट्रैक किया जा सके, यह विचार किसी भी सामान्य नागरिक को असहज कर सकता है।

रिसर्चर्स ने स्पष्ट किया है कि यह तकनीक किसी व्यक्ति की बायोमेट्रिक या व्यक्तिगत जानकारी नहीं एकत्र करती, लेकिन यह बात पूरी तरह से संतोषजनक नहीं कही जा सकती जब बात निजता की हो।

कहां और कैसे हो सकता है इसका उपयोग?

सुरक्षा और सैन्य क्षेत्र में संभावनाएं

वाई-फाई निगरानी तकनीक को सुरक्षा एजेंसियों द्वारा सार्वजनिक स्थलों, हवाई अड्डों या सीमा क्षेत्रों में संदिग्ध गतिविधियों की पहचान के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है। यह तकनीक किसी छिपे हुए व्यक्ति को भी ट्रैक कर सकती है, जो पारंपरिक कैमरों से छिप सकता है।

हेल्थ मॉनिटरिंग और स्मार्ट होम में भी उपयोगी

स्वास्थ्य क्षेत्र में यह तकनीक उन रोगियों के लिए उपयोगी हो सकती है जिन्हें लगातार निगरानी की आवश्यकता है। यदि कोई बुजुर्ग व्यक्ति अचानक गिर जाए, तो यह तकनीक अलर्ट दे सकती है। इसके अलावा, स्मार्ट होम सिस्टम में यह तकनीक नई ऊंचाइयों को छू सकती है, जैसे ऑटोमैटिक लाइट ऑन/ऑफ करना, मूवमेंट के आधार पर तापमान नियंत्रित करना आदि।

तकनीक है रोमांचक, पर जरूरी है नियमन

डेटा सुरक्षा और पारदर्शिता जरूरी

हालांकि रिसर्चर्स का कहना है कि वाई-फाई निगरानी तकनीक केवल मूवमेंट के सिग्नल पैटर्न पर आधारित है, लेकिन इसका दुरुपयोग करना भी बहुत आसान हो सकता है। यदि इस तकनीक को सार्वजनिक रूप से उपलब्ध कराया गया तो साइबर अपराधी भी इसका फायदा उठा सकते हैं।

इसलिए यह अत्यंत आवश्यक है कि इस तकनीक के उपयोग के लिए सख्त नियम बनाए जाएं और पारदर्शिता सुनिश्चित की जाए कि किस स्थान पर और क्यों यह तकनीक इस्तेमाल की जा रही है।

भविष्य की तकनीक, वर्तमान की चुनौती

WhoFi जैसी तकनीकें विज्ञान की दृष्टि से अत्यंत प्रेरणादायक हैं और यह दिखाती हैं कि मानव बुद्धि तकनीक की सीमाओं को किस हद तक पार कर सकती है। लेकिन हर तकनीक के साथ जिम्मेदारी और नैतिकता भी जुड़ी होती है। वाई-फाई निगरानी तकनीक को यदि सही दिशा में और नियमन के साथ उपयोग किया जाए, तो यह समाज के लिए वरदान साबित हो सकती है। लेकिन यदि इसका अनियंत्रित उपयोग शुरू हुआ तो यह हमारे व्यक्तिगत जीवन में सेंध लगाने का नया रास्ता भी बन सकता है।

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