हाइलाइट्स
- अब साइबर अपराधी खुद के खातों की बजाय rented bank account का कर रहे हैं इस्तेमाल।
- टेलीग्राम जैसे ऐप पर चल रहा है ‘₹1000 में खाता दो’ का गोरखधंधा।
- बेरोजगार और गरीब युवाओं को बनाया जा रहा है इस गिरोह का मोहरा।
- पुलिस के लिए असली अपराधी तक पहुंचना हो रहा है मुश्किल।
- साइबर ब्रांच ने की अपील: कभी न दें किसी को अपना खाता या आधार कार्ड।
किराए पर बैंक खाता देने का खतरनाक खेल
देश में cyber crime के बढ़ते मामलों ने एक नया और खतरनाक रूप ले लिया है। अब ये अपराधी सीधे अपने बैंक खातों का उपयोग नहीं करते, बल्कि rented bank account का सहारा लेते हैं। ये खाते टेलीग्राम जैसे एन्क्रिप्टेड मैसेजिंग प्लेटफॉर्म्स के माध्यम से किराए पर लिए जाते हैं और इनका उपयोग ठगी की रकम को छिपाने और घुमाने के लिए किया जाता है।
टेलीग्राम पर पनप रहा है नया साइबर क्राइम नेटवर्क
टेलीग्राम बन चुका है सुरक्षित अपराध अड्डा
टेलीग्राम अपनी गोपनीयता और एन्क्रिप्शन के लिए जाना जाता है, लेकिन अब यह साइबर ठगों का नया सुरक्षित अड्डा बन गया है। यहां कई ऐसे ग्रुप्स सक्रिय हैं जहां खुलेआम लिखा होता है:
- “₹1000 में 1 दिन के लिए बैंक खाता चाहिए”
- “बैंक खाता + आधार भेजो, तुरंत पेमेंट मिलेगा”
- “खाली खाता दो, आसान कमाई करो!”
इन संदेशों के जरिए बेरोजगार युवाओं, छोटे शहरों और गांवों के लोगों को फंसाया जा रहा है, जिनका बैंक खाता बाद में ठगी में इस्तेमाल होता है — और उन्हें पता भी नहीं चलता।
कैसे काम करता है ‘rented bank account’ रैकेट?
आसान टारगेट बन रहे हैं बेरोजगार युवा
साइबर अपराधी सबसे पहले rented bank account के लिए ऐसे लोगों को टारगेट करते हैं जो या तो बेरोजगार हैं, या पैसों की तंगी में हैं। उन्हें ₹1000 से ₹2000 की लालच देकर कहा जाता है कि वे अपना बैंक खाता और पहचान पत्र की फोटो भेजें। इन अकाउंट्स का फिर इस्तेमाल बड़े पैमाने पर ठगी के लिए होता है।
ट्रांजैक्शन की चेन बनाकर पुलिस को किया जाता है चकमा
जैसे ही कोई ठगी होती है, रकम सीधे मुख्य ठग के पास नहीं जाती। वह कई rented bank accounts से होकर गुजरती है — जिसे ‘layering’ कहा जाता है। इससे पुलिस की जांच मुश्किल हो जाती है क्योंकि हर खाता असली होता है, लेकिन मालिक को अपराध की जानकारी तक नहीं होती।
पुलिस के लिए बन रही नई चुनौती
डिजिटल ट्रेस मिटा देते हैं अपराधी
साइबर सेल अधिकारियों के अनुसार, rented bank account की यह प्रवृत्ति उन्हें बहुत पीछे धकेल रही है। जैसे ही कोई ठगी रिपोर्ट होती है, रकम ट्रेस करते हुए जब पुलिस उस खाते तक पहुंचती है, वह किसी ऐसे व्यक्ति का होता है जिसका अपराध से सीधा संबंध नहीं होता। असली मास्टरमाइंड तब तक डिजिटल साक्ष्य मिटाकर ग़ायब हो चुका होता है।
पुलिस का बयान
“जब हम ठगी की रकम ट्रैक करते हैं, तो वह एक के बाद एक rented bank account से होकर गुजरती है। असली अपराधी तक पहुंचने से पहले ही सारे डिजिटल सबूत मिटा दिए जाते हैं।” — साइबर अपराध शाखा अधिकारी
कानूनी जोखिम: बैंक खाता किराए पर देना अपराध है
बहुत से लोग यह नहीं जानते कि अपना बैंक खाता किराए पर देना कानूनन जुर्म है। अगर किसी ठगी में आपके खाते का इस्तेमाल हुआ है, तो आप भी दोषी माने जा सकते हैं। IPC और IT Act के तहत इसके लिए सजा भी हो सकती है।
संभावित धाराएं
- भारतीय दंड संहिता की धारा 420 (धोखाधड़ी)
- IT अधिनियम की धारा 66C और 66D (पहचान की चोरी और धोखाधड़ी)
- मनी लॉन्ड्रिंग अधिनियम (PMLA) के तहत भी कार्यवाही संभव
पुलिस की अपील: जागरूक बनें, सतर्क रहें
पुलिस ने आम लोगों से अपील की है कि थोड़े से पैसों के लालच में अपना rented bank account बनाना खुद को खतरे में डालना है। वे सलाह दे रहे हैं:
- कभी भी अपना बैंक खाता, आधार कार्ड या ATM कार्ड किसी अजनबी को न दें।
- अगर किसी ने टेलीग्राम या अन्य प्लेटफॉर्म्स पर इस तरह की पेशकश की हो, तो तुरंत साइबर हेल्पलाइन नंबर 1930 पर शिकायत करें।
- बैंक से आए किसी संदिग्ध लेनदेन की सूचना तुरंत दें।
विशेषज्ञों की राय: डिजिटल साक्षरता की कमी बनी वजह
साइबर मामलों के विशेषज्ञों का मानना है कि देश में rented bank account के इस्तेमाल की एक बड़ी वजह है डिजिटल साक्षरता की कमी। खासकर ग्रामीण इलाकों और छोटे शहरों में लोग नहीं समझते कि बैंक खाता भी उनकी पहचान का एक अहम हिस्सा है और इसका गलत इस्तेमाल उन्हें मुसीबत में डाल सकता है।
सतर्क नागरिक ही सुरक्षित देश की गारंटी
टेक्नोलॉजी के इस दौर में जहां सबकुछ ऑनलाइन हो गया है, वहीं rented bank account जैसे ट्रेंड्स ने नई चुनौती खड़ी कर दी है। इसलिए जरूरी है कि हम खुद जागरूक बनें, और दूसरों को भी सतर्क करें। छोटी सी चूक, एक लंबे अपराध चक्र में फंसा सकती है।