हाइलाइट्स
- 5G Radiation पर नई रिसर्च के निष्कर्ष—भारत में 5G फोन खरीदने से पहले जानें सेहत से जुड़ी मुख्य चिंताएँ
- WHO की ताज़ा रिपोर्ट बताती है, अब तक के वैज्ञानिक सबूत 5G नेटवर्क को सुरक्षित मानते हैं
- ICNIRP के 2020 दिशानिर्देशों के बाद भारत ने भी मोबाइल विकिरण सीमा को सख़्त बनाया
- जर्मनी की 2025 की स्टडी में 5G Radiation से मानव कोशिकाओं पर कोई नकारात्मक असर नहीं मिला
- एक्सपर्ट्स चेताते हैं—उपभोक्ता को फोन ख़रीदते वक़्त SAR मान और नेटवर्क घनत्व पर नज़र रखना चाहिए
5G Radiation और “खौफ़नाक सच्चाई” का सच
“5G फोन लेने से पहले ज़रूर जान लें ये डरावनी सच्चाई”—यह वाक्य स्मार्टफोन बाज़ार से लेकर सोशल मीडिया तक लोगों में दहशत का कारण बन चुका है। पर क्या 5G Radiation वाकई डरने लायक है, या फिर यह गलतफ़हमी का शिकार? आइए तथ्यों को खंगालते हैं।
WHO और वैश्विक स्वास्थ्य एजेंसियों का रुख
WHO का आकलन
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने 2024 में प्रकाशित अपने व्यापक आकलन में कहा कि अब तक के वैज्ञानिक आंकड़े 5G Radiation को मानव स्वास्थ्य के लिए हानिकारक नहीं मानते। संगठन ने साथ ही यह भी जोड़ा कि डेटा इकट्ठा होते रहने पर मूल्यांकन अपडेट किया जाएगा ।
IARC की नई समीक्षा
पिछले वर्ष एक WHO–आयोगित व्यवस्थित समीक्षा ने स्पष्ट किया कि मोबाइल उपयोग में तेज़ी के बावजूद मस्तिष्क कैंसर के मामले नहीं बढ़े । इस रिपोर्ट में 5G Radiation को “कार्सिनोजेनिक नहीं” पाया गया।
ICNIRP के नवीनतम दिशानिर्देश
एक्सपोज़र लिमिट क्या कहती है?
अंतरराष्ट्रीय गैर-आयनिक विकिरण संरक्षण आयोग (ICNIRP) ने मार्च 2020 में नई गाइडलाइंस जारी कर RF एक्सपोज़र की सुरक्षित सीमा तय की, जिनमें 5G Radiation को भी शामिल किया गया । इन दिशानिर्देशों का मूल संदेश है—अगर नेटवर्क प्रदाता और उपकरण निर्माता तय मानकों पर चलते हैं, तो जोखिम न्यूनतम है।
आलोचनाएँ और स्वतंत्र अध्ययन
स्विस शोधकर्ताओं ने 2023 में ICNIRP पद्धति पर सवाल उठाते हुए कहा कि 5G Radiation के लोकल हॉटस्पॉट का ज़मीनी अध्ययन ज़रूरी है । वहीं, 2024 की एक जर्मन स्टडी ने सीधे मानव त्वचा कोशिकाओं पर परीक्षण कर किसी भी जीन या डीएनए रूपांतरण को खारिज किया ।
भारत में 5G Radiation रेगुलेशन
दूरसंचार विभाग (DoT) की गाइडलाइंस
भारत सरकार ने ICNIRP मानकों से 10 गुना सख़्त सीमा लागू कर रखी है। यानी भारतीय उपभोक्ता के लिए 5G Radiation एक्सपोज़र पहले से ही अंतरराष्ट्रीय औसत से कम है। विशेषज्ञों के मुताबिक, 5G फ़्रीक्वेंसी (< 6 GHz तथा mmWave) में पावर डेंसिटी कम और पेनेट्रेशन उथला होता है, इसलिए सुरक्षा मार्जिन और बढ़ जाता है।
शहरी बनाम ग्रामीण नेटवर्क घनत्व
- शहरी क्षेत्र: अधिक बेस स्टेशन, पर डाटा का भार बँटने से प्रति एंटेना 5G Radiation औसत कम।
- ग्रामीण क्षेत्र: कम टावर, पर ऊँची पावर आउटपुट से दूरस्थ गाँव तक सिग्नल पहुँचता है; फिर भी सीमा के अंदर।
स्वास्थ्य संबंधी शोध—मिथक बनाम तथ्य
कोशिका स्तर के निष्कर्ष
जर्मन विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने 26 GHz बैंड पर कार्रवाई की; परीक्षण बताता है कि 5G Radiation त्वचा की ऊपरी सतह से आगे नहीं जाती । तापीय प्रभाव नगण्य पाया गया।
दीर्घकालीन कैंसर रिस्क
लार्स हार्डेल इत्यादि के 2020 मेटा‑अनालिसिस ने सुझाव दिया कि लंबे समय में RF EMF से न्यूनतम कैंसर रिस्क हो सकता है , मगर अध्ययन डेटा अभी निर्णायक नहीं। अधिकांश मुख्यधारा संस्थान इस निष्कर्ष से सहमत नहीं हैं।
वैज्ञानिकों की राय
“5G Radiation की शक्ति और प्रवेश क्षमता इतने सीमित हैं कि इसे लेकर घबराने की ज़रूरत नहीं,”—प्रो. अनंत भाट, इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ रेडियोफिज़िक्स।
उपभोक्ताओं के लिए 5 महत्वपूर्ण सावधानियाँ
- SAR वैल्यू जाँचें—हर स्मार्टफोन की वेबसाइट पर Specific Absorption Rate दिया होता है; ICNIRP सीमा 2 W/kg है, भारत में 1.6 W/kg।
- हैंड‑फ्री का उपयोग करें—कॉल के समय मोबाइल को कान से दूर रखने से 5G Radiation एक्सपोज़र तीस फीसदी तक घटता है।
- स्लीप मोड अपनाएँ—रात में Wi‑Fi और 5G डेटा बंद कर लें; अनावश्यक विकिरण से बचाव।
- सिग्नल स्ट्रेंथ देखें—कम सिग्नल में फोन अधिक पावर से सर्च करता है, जिससे 5G Radiation बढ़ सकती है।
- नेटवर्क अपडेट—फर्मवेयर अपडेट से डिवाइस बैटरी और RF ट्यूनिंग बेहतर होती है, 5G Radiation नियंत्रण में रहती है।
उद्योग की प्रतिक्रिया और पारदर्शिता
मोबाइल निर्माताओं का पक्ष
एप्पल, सैमसंग, शाओमी जैसे बड़े ब्रैंड अपने 5G हैंडसेट में 5G Radiation सीमाओं के भीतर रहने का सर्टिफ़िकेट प्रकाशित करते हैं।
टेलीकॉम ऑपरेटरों की पहल
भारती एयरटेल व रिलायंस जियो ने शहरों में छोटे‑छोटे सेल (small cells) लगाने की रणनीति अपनाई, ताकि हर टावर कम पावर पर काम करे, जिससे समग्र 5G Radiation घटती है।
तकनीकी भविष्य: क्या खौफ़ जायज़ है?
H4: mmWave और भविष्य की पीढ़ियाँ
mmWave 5G में बैंड 24 GHz से ऊपर रहता है। इसका कवरेज छोटा पर गति तेज़। शोध दर्शाता है कि 5G Radiation का अधिकतर भाग त्वचा पर ही अवशोषित होता है, आंतरिक ऊतकों में नहीं जाता।
H4: 6G की राह
एक्सपर्ट्स का मानना है कि 6G आने पर भी RF पावर और 5G Radiation जैसी ही—or उससे कम—सीमा तय की जाएगी।
आज उपलब्ध वैज्ञानिक साक्ष्य बताता है कि मानक सीमा के भीतर 5G Radiation मानव स्वास्थ्य के लिए ख़तरनाक नहीं है। फिर भी, पारदर्शी डेटा‑शेयरिंग और निरंतर निगरानी जरूरी है, ताकि उपभोक्ताओं का भरोसा बना रहे। जब तक आप निर्धारित SAR सीमा वाले फोन चुनते हैं और सामान्य सावधानियाँ बरतते हैं, “डरावनी सच्चाई” से अधिक डरावना शायद कुछ नहीं।