Viral Wedding in Pakistan

90 साल के दादाज़ान ने रचाया निकाह, बेगम की उम्र सुनकर हर कोई रह गया हैरान, सोशल मीडिया पर मच गया हंगामा

Lifestyle

हाइलाइट्स

  •  पाकिस्तान में 90 साल के बुजुर्ग मौलाना की दूसरी शादी ने Viral Wedding in Pakistan बनकर सबको चौंका दिया।
  • मौलाना सैफुल्लाह ने 55 वर्षीय महिला से रचाई शादी, परिवार और पड़ोसियों ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया।
  • शादी में शामिल हुए 30 से ज्यादा पोते-परपोते और रिश्तेदार, तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल।
  • 9 साल पहले पत्नी के निधन के बाद महसूस की अकेलेपन की पीड़ा, बेटों ने निभाई जिम्मेदारी।
  • बुजुर्गों की दूसरी शादी को लेकर समाज में नई बहस और सकारात्मक सोच की लहर।

जब उम्र महज़ एक संख्या बन जाए

पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वाह के शांगला जिले से एक ऐसी घटना सामने आई है, जो न केवल चौंकाती है बल्कि सोचने पर भी मजबूर करती है। यहां 90 वर्षीय मौलाना सैफुल्लाह की दूसरी शादी ने Viral Wedding in Pakistan का दर्जा हासिल कर लिया है। यह शादी अपने आप में कई सामाजिक मान्यताओं को तोड़ती नजर आ रही है और एक सकारात्मक संदेश भी दे रही है — उम्र चाहे जो भी हो, companionship और भावनात्मक समर्थन हर इंसान का हक है।

9 साल तक अकेलेपन की ज़िंदगी, फिर आया एक नया मोड़

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, मौलाना सैफुल्लाह की पहली पत्नी का निधन करीब 9 साल पहले हो गया था। पत्नी के जाने के बाद मौलाना एकाकी जीवन जी रहे थे। इस दौरान उनके चार बेटे, जो सऊदी अरब में काम करते हैं, अपने पिता की मनोदशा को लेकर बेहद चिंतित थे।

बच्चों की पहल से बदली किस्मत

मौलाना ने अपनी इच्छा जाहिर की कि वे दोबारा विवाह करना चाहते हैं। इसपर उनके बेटों ने पूरी जिम्मेदारी उठाई और पिता के लिए एक जीवनसाथी की तलाश शुरू की। कुछ समय बाद उन्होंने एक 55 वर्षीय महिला से रिश्ता तय किया जो इस विवाह के लिए सहमत हो गईं। इस निकाह को Viral Wedding in Pakistan का दर्जा मिलना तय था, क्योंकि इसमें भावनाओं, जिम्मेदारी और सामाजिक सोच का अद्भुत संगम देखने को मिला।

शादी की तस्वीरें हुईं वायरल, सोशल मीडिया पर प्रतिक्रियाओं की बाढ़

परिवार और समाज की एकजुटता

इस शादी में 30 से ज्यादा पोते, परपोते, नवासे और नातिनें शामिल हुए। सभी ने मिलकर समारोह को यादगार बना दिया। शादी में ‘हक मेहर’ के रूप में 1 तोला सोना तय किया गया था। रिश्तेदार और पड़ोसी भी इस समारोह में शामिल हुए और इसे एक पारिवारिक त्योहार की तरह मनाया गया। Viral Wedding in Pakistan की यह कहानी तेजी से सोशल मीडिया पर वायरल हो गई, जहां लोग इस फैसले की तारीफ कर रहे हैं।

बुजुर्गों के अकेलेपन पर उठे सवाल

इस शादी ने बुजुर्गों के अकेलेपन पर एक जरूरी बहस छेड़ दी है। समाज में यह धारणा आम है कि बुजुर्गों को अकेले ही जीवन बिताना चाहिए, लेकिन Viral Wedding in Pakistan ने इस सोच को चुनौती दी है। मौलाना की यह शादी बताती है कि भावनात्मक सहयोग और साथी की जरूरत किसी भी उम्र में खत्म नहीं होती।

मौलाना के बेटे बोले: “अब्बा को फिर से मुस्कुराते देखना सबसे बड़ी खुशी”

विदेश से निभाई जिम्मेदारी

चारों बेटे, जो वर्षों से सऊदी अरब में काम कर रहे हैं, ने कहा कि मां के निधन के बाद अब्बा बहुत अकेले हो गए थे। उन्होंने शादी करवाने का फैसला इसलिए लिया ताकि पिता को फिर से एक साथी मिल सके। उन्होंने यह भी कहा कि यह शादी एक निजी निर्णय था, लेकिन इसका सकारात्मक सामाजिक प्रभाव भी पड़ा है।

एक नई सामाजिक सोच की शुरुआत

यह Viral Wedding in Pakistan ना केवल एक शादी की खबर है, बल्कि एक सामाजिक संदेश भी है — बुजुर्गों की भावनाएं भी उतनी ही महत्वपूर्ण हैं जितनी युवाओं की। यह उदाहरण भविष्य में कई परिवारों को बुजुर्गों के मानसिक स्वास्थ्य के प्रति जागरूक करेगा।

सोशल मीडिया पर लोगों की प्रतिक्रियाएं

तारीफों के पुल बांधते लोग

  • “वाह! ऐसा परिवार मिलना किस्मत की बात है।”
  • “90 की उम्र में भी नई शुरुआत, असली प्रेरणा।”
  • “बेटों ने जो किया, वह आज के दौर में मिसाल है।”

कुछ लोगों ने उठाए सवाल भी

हालांकि कुछ लोगों ने इस शादी को लेकर सामाजिक और धार्मिक दृष्टिकोण से सवाल भी उठाए, लेकिन अधिकांश टिप्पणियां सराहनात्मक थीं।

क्या कहता है समाजशास्त्र?

उम्र और विवाह के सामाजिक आयाम

समाजशास्त्री मानते हैं कि इस तरह की घटनाएं सामाजिक परिवर्तन का संकेत देती हैं। Viral Wedding in Pakistan जैसे मामले दिखाते हैं कि विवाह केवल युवाओं के लिए नहीं बल्कि हर उम्र के व्यक्ति का अधिकार है। जब परिवार साथ देता है, तो समाज भी धीरे-धीरे बदलने लगता है।

 रिश्तों में उम्र नहीं, भावनाएं मायने रखती हैं

इस घटना ने एक बार फिर यह साबित कर दिया कि रिश्तों की नींव भावनाओं पर टिकी होती है, उम्र पर नहीं। Viral Wedding in Pakistan केवल एक शादी नहीं है, बल्कि यह एक संदेश है — अगर परिवार साथ दे, तो बुजुर्गों की जिंदगी में भी फिर से बहार आ सकती है।

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