हाइलाइट्स
- Unmarried women की संख्या अरब देशों में तेजी से बढ़ रही है, जो सामाजिक और आर्थिक कारणों से जुड़ी है।
- मिस्र, अल्जीरिया और इराक जैसे देशों में 90 लाख से अधिक महिलाएं अविवाहित हैं।
- दहेज, महंगी रस्में और शादी के बाद असुरक्षा का माहौल प्रमुख कारण हैं।
- महिलाओं की सोच में आया बदलाव—करियर को प्राथमिकता और स्वतंत्र निर्णय लेने की क्षमता बढ़ी है।
- जॉर्डन में शादी की औसत उम्र अब 32 वर्ष हो चुकी है, जो समाज में मानसिकता के बदलाव को दर्शाती है।
परिचय: बदलती सोच और बढ़ती Unmarried women की संख्या
“शादी हर लड़की का सपना होती है”—यह धारणा अब पुरानी होती जा रही है, खासकर अरब और खाड़ी देशों में। इन देशों में Unmarried women की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है और इसके पीछे केवल एक नहीं, बल्कि कई सामाजिक, आर्थिक और वैचारिक कारण हैं।
मिस्र से लेकर लेबनान तक, आंकड़े दिखाते हैं कि अरब देशों में लाखों महिलाएं अब भी शादी नहीं कर पाई हैं। कई तो शादी करना चाहती हैं, लेकिन हालात उन्हें यह फैसला लेने नहीं देते।
मिस्र से लेकर सऊदी तक: कहाँ कितनी हैं Unmarried women
अल राय रिपोर्ट के अनुसार:
देश | अविवाहित महिलाओं की संख्या |
---|---|
मिस्र | 90 लाख |
अल्जीरिया | 40 लाख |
इराक | 30 लाख |
यमन | 2 लाख |
सऊदी अरब, ट्यूनीशिया, सूडान | 15 लाख (संयुक्त) |
सीरिया | 70,000 |
लेबनान | 45,000 |
यह आंकड़े चौंकाने वाले हैं। मिस्र, जो कि एक मुस्लिम बहुल देश है, वहाँ 24 से 35 वर्ष की आयु वर्ग में सबसे अधिक Unmarried women हैं। यह दर्शाता है कि सिर्फ धार्मिक कारणों से नहीं, बल्कि आर्थिक और सामाजिक बदलावों के कारण भी विवाह का निर्णय टलता जा रहा है।
विवाह में अड़चन: आर्थिक बोझ और सामाजिक दबाव
दहेज और रस्में:
इन देशों में विवाह केवल दो लोगों का बंधन नहीं, बल्कि एक महंगा आयोजन बन गया है। महंगी शादियाँ, भारी-भरकम दहेज, गहने, उपहार और भव्य आयोजन—इन सभी की वजह से Unmarried women की संख्या बढ़ रही है। कई परिवार अपनी बेटियों की शादी के लिए आर्थिक रूप से तैयार नहीं हो पाते।
विवाहोपरांत असुरक्षा:
कई महिलाएं शादी के बाद पति की हिंसा, उपेक्षा और अधिकारों के हनन का सामना करती हैं। इस डर ने उन्हें शादी से दूर कर दिया है। महिलाओं में अब यह सोच पनप चुकी है कि यदि शादी उनके आत्मसम्मान को खतरे में डालती है, तो उससे दूर रहना ही बेहतर है।
महिलाओं की सोच में बदलाव: करियर और आत्मनिर्भरता पहले
शिक्षा और जागरूकता का असर:
पिछले एक दशक में अरब देशों की महिलाएं शिक्षित हुई हैं, और उन्होंने करियर बनाने की ओर कदम बढ़ाया है। Unmarried women अब किसी दबाव में आकर शादी नहीं करना चाहतीं। वे पहले आत्मनिर्भर बनना चाहती हैं, अपनी पहचान बनाना चाहती हैं, और फिर विवाह का विचार करती हैं।
करियर बनाम शादी:
सऊदी अरब, जॉर्डन और ट्यूनीशिया की कई लड़कियाँ अब करियर को प्राथमिकता देती हैं। जॉर्डन में विवाह की औसत उम्र 30 से बढ़कर 32 हो चुकी है, जो स्पष्ट संकेत देता है कि Unmarried women अब अपने भविष्य की योजना खुद बना रही हैं।
धार्मिक और सांस्कृतिक पहलू: बदलाव की राह पर समाज
अरब समाज में धीरे-धीरे बदलाव हो रहा है। जहां पहले महिलाएं पारिवारिक दबाव में आकर 18-20 की उम्र में शादी कर लिया करती थीं, अब वैसा नहीं है। महिलाएं अब अपने व्यक्तिगत निर्णय खुद ले रही हैं।
इस्लामिक समाज में बदलाव:
इस्लाम में विवाह को एक पवित्र कर्तव्य माना जाता है, लेकिन बदलती सोच और हालात ने इस धार्मिक मान्यता पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं। अब धार्मिक मान्यताओं की व्याख्या व्यक्तिगत तरीके से की जा रही है।
समाधान की राह: शादी को सहज और सुरक्षित बनाना होगा
अगर अरब देशों में Unmarried women की संख्या को कम करना है, तो समाज को कई बदलाव लाने होंगे:
- सरल विवाह व्यवस्था को बढ़ावा देना होगा।
- दहेज प्रथा और महंगी रस्मों को हतोत्साहित करना होगा।
- महिलाओं की सुरक्षा और अधिकार सुनिश्चित करने होंगे।
- शिक्षा और जागरूकता के ज़रिए उन्हें आत्मनिर्भर बनाने की सोच को मजबूत करना होगा।
- पुरुषों को भी मानसिक रूप से तैयार करना होगा कि विवाह एक साझेदारी है, न कि प्रभुत्व का साधन।
शादी का फैसला अब महिलाओं के हाथ में
Unmarried women की बढ़ती संख्या कोई समस्या नहीं, बल्कि बदलते समाज का संकेत है। यह दर्शाता है कि महिलाएं अब खुद के फैसले खुद ले रही हैं। जहाँ पहले शादी ‘ज़रूरी’ मानी जाती थी, अब वह एक ‘विकल्प’ बन गई है।
अरब देशों में यह मानसिकता धीरे-धीरे ही सही, लेकिन मजबूत होती जा रही है। यह बदलाव आने वाले समय में महिलाओं को और अधिक आत्मनिर्भर और सशक्त बनाएगा।