हाइलाइट्स
- बच्चा स्कूल नहीं जाना चाहता – इस स्थिति का हल यूनिसेफ के स्मार्ट टिप्स में छिपा है।
- स्कूल के डर को समझना और उसका हल ढूंढना ही है सच्ची पेरेंटिंग।
- खेल-खेल में स्कूल रूटीन सिखाकर बढ़ाएं आत्मविश्वास।
- बाय-बाय के इमोशनल तरीकों से बचें, दें पॉजिटिव एनर्जी।
- स्कूल से लौटने के बाद की गतिविधियों से बनाएं पॉजिटिव जुड़ाव।
हर सुबह अगर आपका बच्चा स्कूल जाने से पहले रोने लगे, पेट दर्द की शिकायत करे या सिरदर्द का बहाना बनाए, तो चिंता करने की जरूरत नहीं है। यह एक आम व्यवहार है, खासकर नर्सरी या किंडरगार्टन की शुरुआत करने वाले बच्चों में। यह व्यवहार दिखाता है कि बच्चा स्कूल नहीं जाना चाहता – और इसके पीछे कई मनोवैज्ञानिक कारण हो सकते हैं।
यूनिसेफ ने इस चुनौती से निपटने के लिए कुछ वैज्ञानिक और व्यावहारिक सुझाव दिए हैं, जो न केवल बच्चे के डर को समझने में मदद करेंगे बल्कि उसे धीरे-धीरे स्कूल के लिए तैयार भी करेंगे।
क्यों बच्चा स्कूल नहीं जाना चाहता?
separation anxiety (जुदाई की चिंता)
अधिकांश छोटे बच्चों को पहली बार अपने माता-पिता से दूर रहना भावनात्मक रूप से कठिन लगता है। उन्हें यह डर होता है कि मां-पापा कहीं छोड़कर न चले जाएं।
नया माहौल, नया डर
क्लासरूम, नए दोस्त, टीचर, रूल्स – यह सब कुछ बच्चे के लिए नया और अनजान होता है। ऐसे में घबराना स्वाभाविक है।
पिछला कोई बुरा अनुभव
अगर पहले स्कूल में कोई बुरा अनुभव हुआ हो – जैसे डांट मिलना, चोट लगना या दोस्त नहीं बनना – तो बच्चा स्कूल से दूरी बनाना शुरू कर देता है।
यूनिसेफ के स्मार्ट टिप्स: जब बच्चा स्कूल नहीं जाना चाहता
1. बच्चे की बातों को हल्के में न लें
अगर बच्चा कह रहा है कि वह स्कूल नहीं जाना चाहता, तो यह सोचकर नजरअंदाज न करें कि वह सिर्फ नखरे कर रहा है। उसकी बातों को ध्यान से सुनें। उससे पूछें कि क्या उसे डर लग रहा है? क्या कोई उसे तंग करता है? क्या वह किसी कारण असहज महसूस कर रहा है?
2. स्कूल की पॉजिटिव इमेज बनाएं
बच्चे को यह दिखाएं कि स्कूल एक मजेदार जगह है। कहें कि वहां दोस्त बनेंगे, गेम खेलेंगे, कहानियां सुनेंगे। जब बच्चा स्कूल को मजेदार अनुभव के रूप में देखेगा, तब वह वहां जाने के लिए खुद उत्साहित होगा।
3. घर पर रिहर्सल करें
घर पर स्कूल का माहौल बनाएं – सुबह उठना, यूनिफॉर्म पहनना, टिफिन तैयार करना और गुड मॉर्निंग कहना। खेल-खेल में यह अभ्यास करवाएं ताकि बच्चा उस दिनचर्या से सहज हो जाए।
4. पहले स्कूल विजिट कराएं
स्कूल शुरू होने से पहले बच्चे को वहां घुमाएं, क्लासरूम दिखाएं, प्लेग्राउंड दिखाएं और टीचर से मिलवाएं। इससे स्कूल का डर कम होगा और बच्चा वहाँ अधिक सहज महसूस करेगा।
5. बाय-बाय कहने का तरीका बदलें
जब बच्चा स्कूल जा रहा हो, तब इमोशनल होकर गले लगने या बार-बार पीछे मुड़कर देखने से बचें। इसके बजाय हल्का स्माइली या शॉर्ट ‘बाय’ कहें। इससे बच्चा खुद को सुरक्षित महसूस करेगा।
लंबे समय तक काम आने वाले सुझाव
6. स्कूल के बाद का समय खास बनाएं
जब बच्चा स्कूल से लौटे तो उससे पूछें कि उसका दिन कैसा था। उसके फेवरेट स्नैक्स दें, खेलें या कहानी सुनें। इससे उसे स्कूल को एक दिन के मजेदार हिस्से की तरह देखने की आदत पड़ेगी।
7. रूटीन को फिक्स करें
सोने, उठने, नाश्ता करने और स्कूल जाने का एक तय समय रखें। जब दिनचर्या तय होती है तो बच्चा खुद को सिक्योर फील करता है और उसे स्कूल जाना एक सामान्य प्रक्रिया लगने लगता है।
8. माता-पिता की एनर्जी होती है सबसे बड़ी गारंटी
अगर आप तनाव में दिखेंगे, तो बच्चा भी तनाव में रहेगा। इसलिए शांत और आश्वस्त रहें। आप पॉजिटिव रहेंगे, तो आपका बच्चा भी स्कूल को लेकर आत्मविश्वास से भरा रहेगा।
कब लें विशेषज्ञ की मदद?
अगर आप महीनों तक कोशिश करने के बाद भी देखें कि बच्चा स्कूल नहीं जाना चाहता, और उसमें कोई सुधार नहीं हो रहा, तो एक बाल मनोचिकित्सक या स्कूल काउंसलर से सलाह लेना बेहतर होगा। कई बार बच्चे के डर का कारण गहरा होता है, जिसे पेशेवर मदद से ही समझा जा सकता है।
यह जरूरी है कि जब बच्चा स्कूल नहीं जाना चाहता, तब पेरेंट्स घबराने के बजाय समझदारी और संवेदनशीलता से काम लें। यूनिसेफ द्वारा बताए गए इन 8 उपायों को अपनाकर आप बच्चे की स्कूल से जुड़ी आशंकाओं को कम कर सकते हैं और उसके अंदर आत्मविश्वास भर सकते हैं। याद रखें, आपकी सकारात्मकता और समझ ही बच्चे को एक सफल स्कूल जीवन की ओर ले जा सकती है।