हाइलाइट्स
- उस देश में Second Wife बनने को भी तैयार हैं महिलाएं, स्थिति बेहद असामान्य
- जनसंख्या असंतुलन ने सामाजिक ढांचे को हिला कर रख दिया है
- पुरुषों की कमी के कारण विवाह दर में आई गिरावट
- महिलाएं खुद कर रही हैं बहुविवाह का समर्थन
- विशेषज्ञों ने दी चेतावनी – यह चलन समाज के लिए हो सकता है खतरनाक
उस देश की असामान्य स्थिति जिसने खड़ा किया वैश्विक बहस का मुद्दा
विश्व में कई देशों की जनसंख्या में असंतुलन की खबरें आती रही हैं, लेकिन एक ऐसा देश भी है जहां पुरुषों की इतनी भारी कमी है कि महिलाएं खुद को Second Wife बनने के लिए भी तैयार कर रही हैं। यह परिस्थिति केवल सामाजिक नहीं बल्कि सांस्कृतिक, आर्थिक और मनोवैज्ञानिक स्तर पर भी कई प्रश्न उठाती है।
कौन सा है यह देश और क्या है इसका कारण?
यह मामला दक्षिण कोरिया का है, जहां हालिया जनसंख्या आंकड़ों ने चौकाने वाला ट्रेंड सामने रखा है। वर्ष 2025 तक आते-आते पुरुषों की संख्या में गिरावट और महिलाओं की संख्या में बढ़ोतरी ने विवाह के समीकरण को ही बदल डाला है। कई क्षेत्रों में अब एक पुरुष पर दो या उससे अधिक महिलाओं का अनुपात सामने आ रहा है।
Second Wife बनने की इच्छा, कई महिलाओं की व्यक्तिगत पसंद नहीं, बल्कि सामाजिक दबाव और स्थितिजन्य समझौतों का नतीजा बनती जा रही है।
जनसांख्यिकीय आंकड़ों का खुलासा
दक्षिण कोरिया के सरकारी आंकड़ों के अनुसार:
- प्रत्येक 100 महिलाओं पर अब केवल 87 पुरुष उपलब्ध हैं
- 30 वर्ष से ऊपर की अविवाहित महिलाओं की संख्या 25% से अधिक
- 40% पुरुष शादी नहीं करना चाहते या आर्थिक रूप से तैयार नहीं हैं
- विवाह की औसत आयु बढ़कर 35 वर्ष हो गई है
इस असंतुलन का सीधा असर Second Wife की अवधारणा पर पड़ा है, जो अब बहस का विषय नहीं बल्कि एक व्यवहारिक स्थिति बनती जा रही है।
महिलाएं क्यों कर रही हैं Second Wife बनने का समर्थन?
जहां एक ओर भारत जैसे देशों में बहुविवाह को सामाजिक रूप से अस्वीकार्य माना जाता है, वहीं दक्षिण कोरिया में महिलाएं इस विषय में खुले विचार रख रही हैं। कई महिलाओं का मानना है कि:
- जीवनसाथी की उपलब्धता सीमित होने पर साझा करना ही विकल्प है
- मातृत्व की इच्छा के चलते विवाह को टालना नहीं चाहतीं
- आर्थिक रूप से स्थिर पुरुषों के साथ Second Wife बनने में कोई शर्म नहीं
- समाज धीरे-धीरे इस धारणा को स्वीकार रहा है
सोशल मीडिया पर बहस तेज
इस मुद्दे ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर उबाल ला दिया है। एक महिला ने ट्विटर पर लिखा,
“अगर एक अच्छा पुरुष पहले से शादीशुदा है, और मुझे जीवन में स्थिरता चाहिए, तो Second Wife बनने में मुझे कोई हिचक नहीं।”
वहीं दूसरी ओर, कई नारीवादियों ने इस ट्रेंड को महिलाओं के अधिकारों के खिलाफ बताया है। उनका मानना है कि यह एक तरह का सामाजिक शोषण है, जो महिलाओं को दोयम दर्जे की स्थिति में रखता है।
विशेषज्ञों की राय
सामाजिक वैज्ञानिकों और समाजशास्त्रियों का कहना है कि यह चलन अगर इसी तरह बढ़ता रहा, तो भविष्य में निम्नलिखित समस्याएं सामने आ सकती हैं:
पारिवारिक संघर्ष और अस्थिरता
Second Wife होने की स्थिति में पारिवारिक समीकरण बिगड़ सकते हैं और बच्चों पर मनोवैज्ञानिक प्रभाव पड़ सकता है।
विवाह का व्यवसायीकरण
एक स्थिर पुरुष के साथ विवाह अब “संपत्ति” जैसी हो सकती है, जो अमीरों तक सीमित रह जाएगी।
लिंग आधारित भेदभाव
महिलाएं अपनी इच्छाओं की बलि चढ़ाकर सिर्फ विवाह के लिए समझौता करेंगी।
सरकार की भूमिका और प्रस्तावित नीति
दक्षिण कोरिया की सरकार इस स्थिति से अवगत है और उसने कुछ उपाय सुझाए हैं:
- जनसंख्या नियंत्रण की बजाय विवाह प्रोत्साहन योजनाएं
- आर्थिक रूप से कमज़ोर युवाओं को विवाह हेतु सब्सिडी
- मानसिक स्वास्थ्य और परामर्श सेवाएं
- Second Wife जैसी स्थिति को रोकने हेतु सामाजिक जागरूकता
क्या अन्य देश भी इस राह पर हैं?
केवल दक्षिण कोरिया ही नहीं, बल्कि जापान, चीन और जर्मनी जैसे देश भी इस तरह के सामाजिक संकट की ओर बढ़ रहे हैं। चीन में “लॉस्ट गर्ल्स” समस्या पहले ही सामने आ चुकी है, जहां लड़कों की संख्या अधिक है और लड़कियों की भारी कमी है। वहीं, जापान में विवाह की रूचि तेजी से घट रही है।
Second Wife की अवधारणा यदि एक देश में सामाजिक समाधान बन सकती है, तो अन्य देशों को सतर्क रहने की आवश्यकता है।
दक्षिण कोरिया की यह स्थिति केवल विवाह और जनसंख्या असंतुलन की कहानी नहीं है, बल्कि यह एक वैश्विक चेतावनी भी है कि अगर सामाजिक ढांचे में लिंग अनुपात असंतुलित होता रहा, तो Second Wife जैसे विकल्प सामाजिक स्वीकृति प्राप्त कर सकते हैं। यह न केवल रिश्तों की परिभाषा बदल देगा बल्कि महिलाओं की भूमिका और स्थिति पर भी दीर्घकालिक प्रभाव डालेगा।