Period mood swings

हर महीने बदल जाता है महिलाओं का स्वभाव – आखिर क्यों? वैज्ञानिकों ने किया चौंकाने वाला खुलासा

Lifestyle

हाइलाइट्स

  • Period mood swings के पीछे छुपे हैं वैज्ञानिक और हार्मोनल कारण
  • हर महीने 90% से अधिक महिलाएं करती हैं मूड स्विंग्स का अनुभव
  • शरीर में एस्ट्रोजेन और प्रोजेस्टेरोन के उतार-चढ़ाव का बड़ा असर
  • तनाव, नींद की कमी और पोषण की कमी भी बढ़ाते हैं चिड़चिडापन
  • हालिया अध्ययन ने किया है एक नई न्यूरोलॉजिकल वजह का खुलासा

क्या हैं Period Mood Swings?

महिलाओं के व्यवहार में अचानक बदलाव का राज

हर महीने महिलाओं के जीवन में एक ऐसा समय आता है जो सिर्फ शारीरिक ही नहीं बल्कि मानसिक और भावनात्मक स्तर पर भी बड़ा असर डालता है – और यह है पीरियड्स का समय। इस दौरान बहुत-सी महिलाएं period mood swings का अनुभव करती हैं, जिसमें चिड़चिड़ापन, उदासी, गुस्सा, थकावट और कभी-कभी बेवजह रो देना शामिल है। यह स्थिति न केवल उनके व्यक्तिगत जीवन को प्रभावित करती है, बल्कि पेशेवर और पारिवारिक माहौल पर भी असर डाल सकती है।

हार्मोनल उतार-चढ़ाव है प्रमुख कारण

एस्ट्रोजेन और प्रोजेस्टेरोन की भूमिका

महिलाओं में मासिक धर्म चक्र के दौरान दो प्रमुख हार्मोन – एस्ट्रोजेन और प्रोजेस्टेरोन – में लगातार उतार-चढ़ाव होता है। यह बदलाव सीधे मस्तिष्क के न्यूरोट्रांसमीटर पर असर डालता है, खासकर सेरोटोनिन पर। सेरोटोनिन मूड को नियंत्रित करने वाला प्रमुख न्यूरोकेमिकल है। जैसे ही इसके स्तर में कमी आती है, वैसे ही period mood swings की शुरुआत हो सकती है।

 प्रीमेंस्ट्रुअल सिंड्रोम (PMS) और PMDD

PMS और PMDD यानी प्रीमेंस्ट्रुअल डिस्फोरिक डिसऑर्डर, दोनों ही स्थितियाँ period mood swings को और गंभीर बना सकती हैं। PMDD में मूड स्विंग्स इतने तीव्र हो सकते हैं कि डिप्रेशन और एंग्जायटी जैसे लक्षण दिखाई देने लगते हैं।

हालिया अध्ययन में हुआ चौंकाने वाला खुलासा

2024 में अमेरिकन साइकोलॉजिकल एसोसिएशन द्वारा प्रकाशित एक रिसर्च के अनुसार, पीरियड्स के समय महिलाओं के मस्तिष्क के “एमिगडाला” हिस्से में असामान्य गतिविधि देखी गई। यह हिस्सा भावनाओं के नियंत्रण के लिए जिम्मेदार होता है। अध्ययन से यह स्पष्ट हुआ कि period mood swings केवल हार्मोनल ही नहीं, बल्कि न्यूरोलॉजिकल स्तर पर भी जटिल हैं।

अन्य कारक जो बढ़ाते हैं मूड स्विंग्स

तनाव और लाइफस्टाइल का प्रभाव

हालांकि हार्मोन एक बड़ा कारण हैं, लेकिन आज की तेज़-रफ्तार जीवनशैली में तनाव, नींद की कमी और असंतुलित खान-पान भी period mood swings को और खराब बना सकते हैं। कैफीन का अत्यधिक सेवन, व्यायाम की कमी और समय पर न सोना भी इन मूड स्विंग्स को बढ़ावा देता है।

समाज में इसे लेकर जागरूकता की कमी

 “यह तो सामान्य है” कह कर टाल देना

दुख की बात है कि भारत सहित कई देशों में period mood swings को गंभीरता से नहीं लिया जाता। अक्सर महिलाएं खुद भी इसे ‘नॉर्मल’ मानकर चुप रह जाती हैं। समाज में इसे लेकर खुलकर बात नहीं होती, जिससे समस्या और बढ़ जाती है। यह आवश्यक है कि परिवार और कार्यस्थल पर महिलाएं इस मुद्दे पर खुलकर बात करें और सहयोग प्राप्त करें।

कैसे करें period mood swings का प्रबंधन?

योग, मेडिटेशन और खान-पान में सुधार

  1. योग और मेडिटेशन: प्राणायाम और ध्यान मन को शांत करने में सहायक होते हैं।
  2. संतुलित आहार: विटामिन B6, मैग्नीशियम और ओमेगा-3 फैटी एसिड mood को स्थिर रखने में मदद करते हैं।
  3. नींद का पूरा होना: रोज़ाना कम से कम 7-8 घंटे की नींद जरूरी है।
  4. व्यायाम: हल्का कार्डियो या वॉक हार्मोन संतुलन को बनाए रखता है।
  5. समय पर डॉक्टर से परामर्श: अगर mood swings असामान्य रूप से तीव्र हैं, तो विशेषज्ञ से सलाह अवश्य लें।

क्या कहते हैं विशेषज्ञ?

 गाइनकोलॉजिस्ट और मनोवैज्ञानिक की राय

दिल्ली की जानी-मानी महिला चिकित्सक डॉ. सुमन त्रिपाठी बताती हैं, “हर महिला का शरीर अलग होता है, लेकिन यदि किसी महिला को period mood swings रोजमर्रा की जिंदगी में बाधा पहुंचा रहे हैं, तो यह नजरअंदाज करने की बात नहीं है। आजकल हार्मोन टेस्ट, काउंसलिंग और दवाइयों की मदद से इसका समाधान संभव है।”

वहीं, मनोवैज्ञानिक डॉ. नीलिमा शाह का मानना है कि समाज को महिलाओं के मानसिक स्वास्थ्य को उतना ही महत्व देना चाहिए जितना कि शारीरिक स्वास्थ्य को।

समझ, सहयोग और स्व-देखभाल की जरूरत

Period mood swings एक वास्तविक, वैज्ञानिक और सामाजिक मुद्दा है जिसे नज़रअंदाज़ करना उचित नहीं। इसके पीछे केवल हार्मोन नहीं, बल्कि जीवनशैली, मानसिक स्वास्थ्य और समाज की सोच भी जिम्मेदार हैं। जरूरी है कि महिलाएं खुद को समझें, अपना ख्याल रखें और परिवार, समाज व कार्यस्थल पर उन्हें उचित सहयोग मिले।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *