हाइलाइट्स
- पितृ पक्ष हिंदू धर्म में पितरों की आत्मा की शांति और आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए विशेष काल माना जाता है।
- पितृ पक्ष में तर्पण, श्राद्ध और पिंडदान का विशेष महत्व होता है।
- इस दौरान कुछ वस्तुओं की खरीदारी करना अशुभ माना गया है और इससे पितृदोष का खतरा बढ़ सकता है।
- धार्मिक मान्यता है कि पितृ पक्ष में पूर्वज धरती पर आकर अपने वंशजों को आशीर्वाद देते हैं।
- पितृ मंत्र और विशेष नियमों का पालन करने से पितरों की कृपा प्राप्त होती है और जीवन में समृद्धि आती है।
पितृ पक्ष का महत्व
हिंदू धर्म में पितृ पक्ष को अत्यंत पवित्र और धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण माना गया है। यह काल भाद्रपद मास की पूर्णिमा से शुरू होकर आश्विन मास की अमावस्या तक चलता है। इसे श्राद्ध पक्ष भी कहा जाता है। इन 15 दिनों के दौरान लोग अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति और उनके आशीर्वाद की प्राप्ति के लिए तर्पण, पिंडदान और श्राद्ध करते हैं।
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, मृत्यु के बाद भी पूर्वज अपनी संतानों और वंशजों पर दृष्टि रखते हैं। पितृ पक्ष में वे धरती पर आकर अपने प्रियजनों को आशीर्वाद देते हैं। यही कारण है कि इस अवधि में धार्मिक नियमों का पालन करना आवश्यक माना गया है।
पितृदोष क्या है?
पितृ पक्ष और पितृदोष का संबंध
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, जब पितरों की आत्मा तृप्त नहीं होती या उन्हें विधि-विधान से श्राद्ध नहीं मिलता, तो वे वंशजों को कष्ट देने लगते हैं। इसे पितृदोष कहा जाता है।
धार्मिक मान्यता है कि पितृदोष के प्रभाव से परिवार में सुख-शांति बाधित हो सकती है, संतान सुख में समस्या आती है और आर्थिक तंगी बनी रहती है। इसीलिए पितृ पक्ष में विधिपूर्वक तर्पण और श्राद्ध करना आवश्यक माना गया है।
पितृ पक्ष में भूल से भी न करें ये खरीदारी
अशुभ वस्तुएं जिनसे बचना चाहिए
शास्त्रों में स्पष्ट उल्लेख है कि पितृ पक्ष के दौरान कुछ वस्तुएं नहीं खरीदनी चाहिए। माना जाता है कि ऐसा करने से पुण्य व्यर्थ हो जाता है और पितृदोष का भय बना रहता है।
- जूते-चप्पल – इस अवधि में नए जूते-चप्पल खरीदना अशुभ माना जाता है।
- नए वस्त्र – श्राद्ध पक्ष में नए कपड़े खरीदने या पहनने से बचना चाहिए।
- सोना-चांदी – इस समय की गई आभूषणों की खरीदारी से पितरों की कृपा नहीं मिलती।
- वाहन – पितृ पक्ष में वाहन खरीदना अपशकुन माना गया है।
- मांगलिक कार्यों की सामग्री – विवाह, सगाई या कोई अन्य शुभ कार्य इस अवधि में नहीं करना चाहिए।
पितृ पक्ष में आहार संबंधी नियम
क्या खाना चाहिए और क्या नहीं
पितृ पक्ष में आहार पर विशेष ध्यान देना चाहिए।
- प्याज, लहसुन, अंडा, मांस और मछली जैसे तामसिक भोजन से परहेज करना चाहिए।
- इस दौरान सात्विक भोजन ग्रहण करना चाहिए और ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए।
- भोजन शुद्ध, सरल और देवताओं को अर्पित करने योग्य होना चाहिए।
पितरों की कृपा पाने के उपाय
श्राद्ध और तर्पण का महत्व
पितृ पक्ष में तर्पण और श्राद्ध सबसे प्रमुख धार्मिक अनुष्ठान हैं। इन अनुष्ठानों से पूर्वजों की आत्मा तृप्त होती है और वे आशीर्वाद प्रदान करते हैं।
पितृ मंत्र और जाप
पितरों की कृपा प्राप्त करने और पितृदोष से मुक्ति पाने के लिए मंत्रों का जाप करना बेहद लाभकारी माना गया है।
- पितृ मंत्र – “ॐ श्री पितराय नमः”
- पितृ गायत्री मंत्र – “ॐ पितृगणाय विद्महे जगत धारिणी धीमहि तन्नो पित्रो प्रचोदयात्”
- पितृ नमन मंत्र – “ॐ देवताभ्यः पितृभ्यश्च महायोगिभ्य एव च। नमः स्वाहायै स्वधायै नित्यमेव नमो नमः”
- पितृ दोष निवारण मंत्र – “ॐ श्री सर्व पितृ देवताभ्यो नमो नमः”
पितृ पक्ष में पालन करने योग्य नियम
जीवन में सुख-शांति के लिए आवश्यक अनुशासन
- इस दौरान किसी से दुर्व्यवहार न करें।
- अपशब्दों का प्रयोग न करें।
- ब्राह्मण और गरीबों को भोजन कराना और दान करना शुभ माना जाता है।
- प्रतिदिन पितरों के नाम दीपदान करना लाभकारी होता है।
- धार्मिक ग्रंथों का पाठ और ध्यान करने से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है।
हिंदू धर्म में पितृ पक्ष का विशेष महत्व है। यह सिर्फ एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि अपने पूर्वजों के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने का अवसर है। यदि इस अवधि में नियमों का पालन किया जाए और अनुचित वस्तुओं की खरीदारी से परहेज किया जाए, तो पितरों की कृपा प्राप्त होती है। पितृ पक्ष में किए गए श्राद्ध, तर्पण और मंत्र-जाप से पितृदोष दूर होता है और परिवार में सुख-समृद्धि आती है।