one plate

पती पत्नी को एक ही थाली में खाना क्यों नहीं खाना चाहिए ? जानिए मनोविज्ञान के अनुसार 3 चौंकाने वाले कारण

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हाइलाइट्स

  •  one plate — महाभारत में भीष्म पितामह ने पति-पत्नी को one plate में भोजन करने से क्यों मना किया, इसके पीछे गहरा मनोवैज्ञानिक रहस्य है।
  • वैज्ञानिक, मनोवैज्ञानिक और आयुर्वेदिक दृष्टिकोण से भी इस परंपरा के मजबूत आधार हैं।
  • पति-पत्नी के अत्यधिक प्रेम से पारिवारिक जिम्मेदारियों में असंतुलन पैदा हो सकता है।
  • संक्रमण और रोग फैलने की संभावना भी one plate में भोजन से जुड़ी है।
  • परिवार और समाज के संतुलन को बनाए रखने के लिए यह व्यवहारिक और प्राचीन नियम आज भी प्रासंगिक है।

महाभारत का गूढ़ संदेश: क्यों मना है one plate में भोजन?

भारत की सांस्कृतिक विरासत में भोजन को केवल शरीर निर्वाह का साधन नहीं, बल्कि सामाजिक व्यवहार और मर्यादा का प्रतीक माना गया है। महाभारत जैसे ग्रंथों में इसके कई उदाहरण मिलते हैं। भीष्म पितामह द्वारा युधिष्ठिर को दिया गया एक सुझाव आज भी चर्चा का विषय है — पति-पत्नी को कभी भी one plate में भोजन नहीं करना चाहिए।

क्या कहा था भीष्म पितामह ने?

भोजन नहीं, यह विष के समान है!

भीष्म का यह कथन कि पति-पत्नी का one plate में भोजन करना विष के समान है, कोई अतिशयोक्ति नहीं। इस कथन के पीछे गहरी मनोवैज्ञानिक और सामाजिक समझ छिपी है। इसका तात्पर्य है कि यह व्यवहार भविष्य में कई जटिलताओं को जन्म दे सकता है।

आयुर्वेद और विज्ञान भी मानते हैं ये तथ्य

रोग और संक्रमण का बढ़ता खतरा

One plate से भोजन करने पर यदि किसी एक साथी को कोई संक्रामक रोग है, तो वह दूसरे तक आसानी से पहुँच सकता है। यही कारण है कि प्राचीन काल से ही अलग-अलग थालियों में भोजन की परंपरा रही है।

मनोवैज्ञानिक पक्ष: प्रेम भी हो सकता है हानिकारक

संतुलन बिगाड़ सकता है अत्यधिक प्रेम

पति-पत्नी के बीच प्रेम एक स्वस्थ संबंध की नींव है, लेकिन one plate जैसी आदतें उस प्रेम को असंतुलन में बदल सकती हैं। पति का अत्यधिक आसक्त होना अन्य पारिवारिक दायित्वों से उसे भटका सकता है।

पत्नी की जिम्मेदारियां भी हो सकती हैं प्रभावित

जब पत्नी का ध्यान पति पर ही केंद्रित हो जाए, तो वह अपने अन्य पारिवारिक दायित्वों को निभाने में चूक सकती है। इससे पारिवारिक ढांचे में तनाव उत्पन्न हो सकता है।

सामाजिक दृष्टिकोण: परंपराएं सिर्फ रस्में नहीं

मर्यादा में रहना ही संस्कार है

One plate से भोजन की मनाही केवल धार्मिक आदेश नहीं, बल्कि सामाजिक संतुलन बनाए रखने की रणनीति है। यह आदत संयम और मर्यादा की सीमा तय करती है जिससे परिवार में अनुशासन और सम्मान बना रहता है।

One plate से परहेज़ क्यों है जरूरी?

महाभारत के उपदेश आज भी प्रासंगिक हैं क्योंकि वे केवल धर्म नहीं, व्यवहार, मनोविज्ञान और सामाजिक नियमों की भी व्याख्या करते हैं। पति-पत्नी के रिश्ते में प्रेम आवश्यक है, लेकिन उसमें मर्यादा और संतुलन उतना ही जरूरी है। One plate से भोजन करने की यह मनाही कोई रूढ़िवाद नहीं, बल्कि एक चेतावनी है कि अति का अंत बुरा होता है।

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