हाइलाइट्स
- Mental Health को लेकर रिसर्च में चौंकाने वाला खुलासा, महिलाएं पुरुषों से ज्यादा दुखी क्यों होती हैं, सामने आई कई वजहें
- हार्मोनल बदलाव, सामाजिक अपेक्षाएं और पारिवारिक जिम्मेदारियां बढ़ा रही हैं मानसिक तनाव
- वैज्ञानिकों ने 2 लाख से अधिक लोगों पर किया अध्ययन, जिसमें पुरुषों और महिलाओं की भावनात्मक प्रतिक्रियाएं की गईं विश्लेषित
- विशेषज्ञों का कहना है – Mental Health पर चर्चा अब जरूरी, खासकर महिलाओं के मानसिक स्वास्थ्य को लेकर
- भारत में भी महिलाएं मानसिक तनाव से ज्यादा जूझ रही हैं, परामर्श लेने वालों में 70% महिलाएं शामिल
सामाजिक संरचना, हार्मोनल बदलाव और जिम्मेदारियों के ताने-बाने में उलझी महिलाओं की Mental Health
हाल ही में प्रकाशित एक अंतरराष्ट्रीय रिसर्च में यह चौंकाने वाला तथ्य सामने आया है कि दुनिया भर में महिलाएं पुरुषों की तुलना में ज्यादा दुखी रहती हैं। इस रिसर्च में 50 से अधिक देशों के आंकड़ों का विश्लेषण कर यह निष्कर्ष निकाला गया कि Mental Health के लिहाज से महिलाओं की स्थिति कहीं अधिक गंभीर है।
इस शोध का उद्देश्य था यह समझना कि आखिर क्यों महिलाएं अपने जीवन में अधिक तनाव, चिंता और अवसाद का अनुभव करती हैं, जबकि उनके सामाजिक संबंध पुरुषों से कहीं अधिक मजबूत होते हैं। इस रिपोर्ट में Mental Health से जुड़े कई पहलुओं की जांच की गई, जो आज के समय में बेहद प्रासंगिक है।
रिसर्च की प्रमुख बातें
2 लाख से अधिक प्रतिभागियों पर आधारित था अध्ययन
रिसर्च टीम ने 18 से 65 वर्ष की उम्र के 2,12,000 से ज्यादा लोगों पर सर्वे किया। इसमें यह पाया गया कि महिलाएं मानसिक रूप से अधिक थकी हुई, असुरक्षित, अवसादग्रस्त और दुखी महसूस करती हैं। खासतौर पर 25 से 45 वर्ष की आयु की महिलाएं Mental Health से संबंधित समस्याओं का अधिक सामना कर रही हैं।
हार्मोनल असंतुलन भी एक बड़ी वजह
वैज्ञानिकों ने यह भी पाया कि महिलाओं के शरीर में होने वाले हार्मोनल बदलाव, जैसे मासिक धर्म, गर्भावस्था और रजोनिवृत्ति (Menopause) के समय Mental Health पर गहरा असर डालते हैं। ये बदलाव केवल शारीरिक नहीं होते, बल्कि भावनात्मक और मानसिक स्थिति को भी काफी हद तक प्रभावित करते हैं।
भारत में Mental Health से जुड़ी महिला समस्याएं
मानसिक स्वास्थ्य की अनदेखी एक बड़ा कारण
भारत जैसे विकासशील देशों में Mental Health को अभी भी सामाजिक कलंक के रूप में देखा जाता है। खासतौर पर महिलाएं अपनी मानसिक स्थिति को लेकर खुलकर बात नहीं कर पातीं। समाज उन्हें “कमजोर” या “संवेदनशील” मान लेता है, जो उनके लिए परामर्श या उपचार लेने में एक बड़ी बाधा बनता है।
घरेलू जिम्मेदारियां और सामाजिक दबाव
भारतीय महिलाओं के जीवन में पारिवारिक जिम्मेदारियों का दबाव भी उनकी Mental Health पर भारी पड़ता है। घर, बच्चों, सास-ससुर, पति, नौकरी – इन सबके बीच खुद के लिए वक्त निकालना उनके लिए लगभग असंभव होता है। इसके परिणामस्वरूप वे लगातार मानसिक दबाव में रहती हैं।
विशेषज्ञों की राय: Mental Health को बनाएं प्राथमिकता
“महिलाएं अपने दर्द को छिपा लेती हैं”
प्रसिद्ध क्लिनिकल साइकोलॉजिस्ट डॉ. स्वाति शर्मा का कहना है कि महिलाएं आमतौर पर अपने मानसिक दर्द को छिपा लेती हैं। वे परिवार की भलाई के लिए अपनी भावनाओं को दबा देती हैं, जो धीरे-धीरे Mental Health पर नकारात्मक असर डालता है।
“महिलाओं को यह समझने की जरूरत है कि उनकी मानसिक स्थिति भी उतनी ही महत्वपूर्ण है जितनी शारीरिक सेहत।” – डॉ. स्वाति शर्मा
समाधान क्या है? कैसे सुधारे महिलाओं की Mental Health
1. खुलकर बात करने का माहौल बने
जरूरत है कि परिवार और समाज महिलाओं के लिए ऐसा माहौल बनाए जहां वे अपने मन की बात कह सकें। बातचीत के जरिए मानसिक दबाव को हल्का किया जा सकता है।
2. परामर्श लेना कोई शर्म की बात नहीं
अगर कोई महिला बार-बार चिंता, नींद न आना, रोने की इच्छा, या थकावट का अनुभव करती है, तो उसे मनोवैज्ञानिक परामर्श लेने से हिचकिचाना नहीं चाहिए। यह Mental Health सुधारने का पहला और महत्वपूर्ण कदम हो सकता है।
3. योग, ध्यान और मेडिटेशन का सहारा
भारतीय पारंपरिक पद्धतियां जैसे योग और ध्यान मानसिक संतुलन को सुधारने में कारगर साबित हुई हैं। नियमित ध्यान करने से मस्तिष्क की कार्यक्षमता बढ़ती है और मन स्थिर रहता है।
मीडिया और सरकार की भूमिका
सरकार को चाहिए कि वह Mental Health को लेकर विशेष महिला केंद्रित कार्यक्रम चलाए। साथ ही मीडिया को भी यह जिम्मेदारी लेनी होगी कि वह महिलाओं की मानसिक समस्याओं पर खुलकर बात करे और जागरूकता बढ़ाए।
Mental Health सिर्फ बात करने का विषय नहीं, बल्कि जीवन का अहम हिस्सा
इस शोध ने एक बार फिर स्पष्ट कर दिया है कि महिलाएं भावनात्मक रूप से अधिक संवेदनशील होती हैं और उनके जीवन के विभिन्न चरणों में उन्हें मानसिक चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। अगर समाज, परिवार और सरकार साथ मिलकर Mental Health पर ध्यान दें तो एक बड़ा बदलाव लाया जा सकता है।