हाइलाइट्स
- मेल मेनोपॉज पुरुषों में हार्मोनल बदलाव की वह स्थिति है जो महिलाओं के मेनोपॉज जैसी ही होती है
- यह टेस्टोस्टेरोन हार्मोन की कमी के कारण होता है, जो उम्र बढ़ने के साथ घटता जाता है
- इसके लक्षणों में थकान, मूड स्विंग्स, यौन क्षमता में गिरावट और नींद की समस्या शामिल हैं
- मेल मेनोपॉज को संतुलित डाइट, नियमित व्यायाम और योग-ध्यान से कंट्रोल किया जा सकता है
- जरूरत पड़ने पर टेस्टोस्टेरोन रिप्लेसमेंट थेरेपी और फिजियोथेरेपी से भी मिल सकती है राहत
जब हम मेनोपॉज की बात करते हैं, तो आमतौर पर ध्यान महिलाओं की ओर जाता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि मेल मेनोपॉज नाम की एक स्थिति पुरुषों में भी होती है, जिसे मेडिकल साइंस में “एंड्रोपॉज” कहा जाता है। यह समस्या चुपचाप आती है और धीरे-धीरे पुरुषों की शारीरिक, मानसिक और यौन स्वास्थ्य को प्रभावित करने लगती है।
पुरुषों में यह फेज महिलाओं की तरह अचानक नहीं आता, बल्कि उम्र के साथ धीरे-धीरे हार्मोनल बदलाव होते हैं, खासकर टेस्टोस्टेरोन के स्तर में गिरावट आने लगती है। इस लेख में हम विस्तार से जानेंगे कि मेल मेनोपॉज क्या है, इसके लक्षण क्या होते हैं और इसे किस तरह मैनेज किया जा सकता है।
मेल मेनोपॉज क्या है?
मेल मेनोपॉज यानी एंड्रोपॉज, एक ऐसी अवस्था है जब पुरुषों के शरीर में टेस्टोस्टेरोन नामक प्रमुख पुरुष हार्मोन का स्तर घटने लगता है। टेस्टोस्टेरोन पुरुषों की यौन क्षमता, मांसपेशियों की मजबूती, एनर्जी लेवल, आत्मविश्वास और मूड को नियंत्रित करता है।
40 साल की उम्र के बाद हर साल टेस्टोस्टेरोन का स्तर लगभग 1 प्रतिशत कम होता है। यह कमी धीरे-धीरे होती है, जिससे पुरुष इसे समय रहते पहचान नहीं पाते। इसीलिए इसे ‘साइलेंट मेनोपॉज’ भी कहा जाता है।
मेल मेनोपॉज के मुख्य कारण
उम्र बढ़ना
जैसे-जैसे उम्र बढ़ती है, शरीर में नेचुरल हार्मोन प्रोडक्शन कम होने लगता है।
खराब जीवनशैली
धूम्रपान, शराब का अधिक सेवन, नींद की कमी, और व्यायाम न करना टेस्टोस्टेरोन की कमी को तेज करता है।
तनाव और मानसिक दबाव
लगातार तनाव और डिप्रेशन भी मेल मेनोपॉज को ट्रिगर कर सकते हैं।
पुरानी बीमारियाँ
डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर और मोटापा जैसी स्थितियां टेस्टोस्टेरोन स्तर को प्रभावित करती हैं।
मेल मेनोपॉज के प्रमुख लक्षण
मानसिक और भावनात्मक लक्षण
- मूड स्विंग्स या डिप्रेशन
- आत्मविश्वास में गिरावट
- किसी काम में रुचि न लेना
- चिड़चिड़ापन और थकान
- नींद में खलल या नींद न आना
शारीरिक लक्षण
- वजन बढ़ना और पेट निकलना
- मसल्स में कमजोरी
- हड्डियों का कमजोर होना
- ब्रेस्ट का बढ़ना या सूजन
- बाल झड़ना
- शरीर में गर्मी लगना
यौन लक्षण
- इरेक्टाइल डिसफंक्शन
- यौन इच्छा में कमी
- शुक्राणु की गुणवत्ता और मात्रा में कमी
- टेस्टिकल्स का आकार घट जाना
मेल मेनोपॉज की जांच कैसे की जाती है?
अगर कोई पुरुष लगातार उपरोक्त लक्षणों का अनुभव कर रहा है, तो एंडोक्राइनोलॉजिस्ट या यूरोलॉजिस्ट से सलाह लेना जरूरी है। डॉक्टर निम्नलिखित टेस्ट्स की सलाह दे सकते हैं:
- ब्लड टेस्ट से टेस्टोस्टेरोन का स्तर जांचना
- थाइरॉइड और शुगर लेवल की जांच
- प्रोस्टेट हेल्थ चेकअप
- बोन डेन्सिटी टेस्ट
मेल मेनोपॉज को कैसे करें मैनेज?
1. डाइट में सुधार करें
फल, सब्जियाँ, साबुत अनाज, प्रोटीन और हेल्दी फैट को अपने आहार में शामिल करें।
2. नियमित व्यायाम करें
रोजाना 30 मिनट की एक्सरसाइज जैसे वॉकिंग, योग, वेट ट्रेनिंग से टेस्टोस्टेरोन लेवल संतुलित रहता है।
3. पर्याप्त नींद लें
रोजाना कम से कम 7 से 8 घंटे की गहरी नींद मेल मेनोपॉज के असर को कम करती है।
4. तनाव को करें दूर
मेडिटेशन, प्राणायाम, माइंडफुलनेस और हॉबीज़ अपनाकर तनाव को कंट्रोल किया जा सकता है।
5. शराब और धूम्रपान से दूरी बनाएं
ये दोनों ही आदतें टेस्टोस्टेरोन स्तर को तेज़ी से गिराती हैं।
क्या मेल मेनोपॉज का इलाज संभव है?
यदि टेस्टोस्टेरोन की कमी गंभीर हो जाए, तो डॉक्टर Hormone Replacement Therapy (HRT) की सलाह दे सकते हैं। हालांकि, इसके साइड इफेक्ट्स को ध्यान में रखते हुए यह निर्णय विशेषज्ञ की देखरेख में ही लेना चाहिए।
इसके अलावा यौन समस्याओं के लिए फिजियोथेरेपी, काउंसलिंग और दवाओं की मदद ली जा सकती है।
मेल मेनोपॉज को लेकर समाज में जागरूकता क्यों जरूरी है?
अभी भी हमारे समाज में मेल मेनोपॉज पर खुलकर बात नहीं की जाती। इसे कमजोरी या शर्म का विषय समझा जाता है, जबकि यह एक सामान्य जैविक प्रक्रिया है। पुरुषों को भी अपने शरीर में हो रहे बदलावों को समझना और स्वीकार करना चाहिए।
यह जरूरी है कि परिवार, डॉक्टर और समाज मिलकर पुरुषों को मानसिक, शारीरिक और यौन स्वास्थ्य के प्रति जागरूक करें ताकि वे समय रहते सही कदम उठा सकें।
मेल मेनोपॉज को पहचानें, समझें और समाधान करें
मेल मेनोपॉज कोई बीमारी नहीं, बल्कि उम्र के साथ होने वाला एक प्राकृतिक परिवर्तन है। सही जानकारी, समय पर जांच और संतुलित जीवनशैली के जरिए इसे पूरी तरह मैनेज किया जा सकता है।
इसलिए अगर आप या आपके आसपास कोई पुरुष इस तरह की समस्याओं से जूझ रहा है, तो इसे नजरअंदाज करने की बजाय समझदारी और साहस से सामना करें।