हाइलाइट्स
- Female Genital Mutilation को पॉप फ्रांसिस ने “मानवाधिकारों का उल्लंघन” बताया
- भारत में बोहरा समुदाय के बीच Female Genital Mutilation अब भी प्रचलित
- संयुक्त राष्ट्र ने 2030 तक Female Genital Mutilation समाप्त करने का लक्ष्य रखा है
- यह प्रथा नारी शरीर, सम्मान और आत्मा पर गंभीर चोट पहुंचाती है
- धार्मिक नेताओं के दोहरे रवैये पर फिर से बहस छिड़ी
खतना: परंपरा की आड़ में महिलाओं पर अत्याचार
महिलाओं के खतना या Female Genital Mutilation (FGM) एक बार फिर वैश्विक विमर्श का विषय बन गया है। इसकी वजह बना है पॉप फ्रांसिस का हालिया बयान जिसमें उन्होंने इसे अपराध करार दिया। सवाल यह है कि क्या यह वाकई केवल धार्मिक आस्था का मामला है, या फिर यह महिलाओं की आज़ादी, स्वास्थ्य और मानवीय गरिमा पर सीधा हमला है?
Female Genital Mutilation क्या है?
चिकित्सा और सामाजिक दृष्टिकोण से समझें
Female Genital Mutilation एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें महिलाओं के बाहरी जननांगों को आंशिक या पूर्ण रूप से काटा जाता है। यह एक गैर-चिकित्सीय प्रक्रिया है जिसका कोई वैज्ञानिक आधार नहीं है। इसे बच्चियों या किशोरियों पर बिना उनकी सहमति के जबरन किया जाता है, जिससे वे जीवनभर के लिए मानसिक और शारीरिक पीड़ा से गुजरती हैं।
धार्मिक और सांस्कृतिक परिप्रेक्ष्य
कुछ समुदायों में इसे धार्मिक परंपरा बताया जाता है, खासतौर पर अफ्रीका, मध्य पूर्व और एशिया के कुछ हिस्सों में। भारत में यह प्रथा मुख्यतः बोहरा मुस्लिम समुदाय के भीतर प्रचलित है, जहां इसे ‘ख़फ्ज़’ कहा जाता है।
इस प्रथा के समर्थकों का तर्क है कि यह परंपरा शुद्धता, पवित्रता और विवाह की योग्यता से जुड़ी हुई है, लेकिन आधुनिक वैज्ञानिक और मानवाधिकार संगठनों का मानना है कि यह महज एक अमानवीय और पितृसत्तात्मक सोच का प्रतीक है।
भारत में Female Genital Mutilation की स्थिति
भारत सरकार ने अब तक इस प्रथा पर कोई स्पष्ट राष्ट्रीय प्रतिबंध नहीं लगाया है, लेकिन कई मानवाधिकार संस्थाएं और सामाजिक कार्यकर्ता लंबे समय से इसके खिलाफ मुहिम चला रहे हैं।
प्रमुख तथ्य:
- भारत में लगभग 2 लाख से अधिक महिलाएं Female Genital Mutilation की पीड़ा से गुजर चुकी हैं।
- यह प्रक्रिया अधिकतर 6 से 12 वर्ष की उम्र की बच्चियों पर की जाती है।
- इसे पारंपरिक दाई या समुदाय की वृद्ध महिलाएं करती हैं, जो चिकित्सा शिक्षा नहीं रखतीं।
वैश्विक स्तर पर FGM: कहां-कहां प्रचलित?
देश | स्थिति |
---|---|
मिश्र | 2008 में प्रतिबंधित, फिर भी 70% महिलाएं इसका शिकार |
सोमालिया | लगभग 98% महिलाएं इससे प्रभावित |
इथियोपिया | धीरे-धीरे गिरावट लेकिन अब भी व्यापक |
इंडोनेशिया | सांस्कृतिक मान्यता के कारण अब भी प्रचलन में |
भारत | कानूनी स्पष्टता नहीं, सामाजिक संगठनों की लड़ाई जारी |
संयुक्त राष्ट्र और वैश्विक प्रयास
संयुक्त राष्ट्र ने Female Genital Mutilation को गंभीर मानवाधिकार उल्लंघन माना है और 2030 तक इसे समाप्त करने का संकल्प लिया है। हर वर्ष 6 फरवरी को International Day of Zero Tolerance for FGM मनाया जाता है, ताकि वैश्विक स्तर पर जनजागरूकता फैलाई जा सके।
क्या कहती हैं पीड़ित महिलाएं?
एक बोहरा महिला की गवाही:
“मुझे उस दिन का दर्द अब भी याद है। मेरी माँ ने कहा कि यह ज़रूरी है, लेकिन मुझे नहीं पता था कि मेरे शरीर से मेरी मर्जी को अलग किया जा रहा है।”
ऐसी कई महिलाएं हैं जो आज भी PTSD (Post-Traumatic Stress Disorder), अवसाद और रिश्तों में असुरक्षा की शिकार हैं, जिनकी जड़ में यही कुप्रथा है।
कानून बनाम परंपरा: क्या है रास्ता?
भारत जैसे लोकतांत्रिक देश में जहां महिलाओं के लिए तीन तलाक जैसे कानून बन चुके हैं, वहां Female Genital Mutilation के खिलाफ सख्त कानून अब तक न बन पाना चिंता का विषय है।
सुप्रीम कोर्ट में इस मुद्दे पर याचिकाएं दाखिल की जा चुकी हैं और केंद्र सरकार ने भी इस पर अपनी चिंता व्यक्त की है, लेकिन अंतिम निर्णय और कानून का इंतजार है।
मुस्लिम समाज में महिलाओं की आज़ादी: भ्रम या वास्तविकता?
तीन तलाक कानून से मुस्लिम महिलाओं को राहत जरूर मिली है, लेकिन Female Genital Mutilation जैसी प्रथाओं का जारी रहना यह सवाल खड़ा करता है कि क्या वाकई उन्हें पूरी आज़ादी प्राप्त है? कुछ धार्मिक नेता इसे “धार्मिक अधिकार” बताते हैं, तो कुछ इसे पूरी तरह खत्म करने की मांग करते हैं।
समाज की भूमिका: अब चुप रहना नहीं चलेगा
Female Genital Mutilation कोई धार्मिक या निजी मामला नहीं, बल्कि यह मानवता पर सीधा आघात है। समाज को अब आगे आकर आवाज उठानी होगी, जागरूकता फैलानी होगी और महिलाओं के अधिकारों की रक्षा करनी होगी।
Female Genital Mutilation एक ऐसी प्रथा है जो केवल महिलाओं के शरीर को नहीं, बल्कि उनके आत्मसम्मान, निर्णय लेने की क्षमता और जीवन के अधिकार को भी छीनती है। यह समय है कि समाज, सरकार और धार्मिक नेतृत्व मिलकर इस अमानवीय कुप्रथा को खत्म करने की दिशा में ठोस कदम उठाएं।
आपकी राय?
क्या आपको लगता है कि Female Genital Mutilation पर भारत को कानून बनाना चाहिए? क्या यह परंपरा की आड़ में महिलाओं पर अत्याचार नहीं है? अपनी राय हमें जरूर बताएं।