हाइलाइट्स
- Early Periods की समस्या अब 9-10 साल की बच्चियों में भी देखने को मिल रही है
- खराब लाइफस्टाइल और तनाव इसके प्रमुख कारण बन रहे हैं
- हार्मोनल इंबैलेंस और फास्ट फूड्स का अत्यधिक सेवन भी एक बड़ा कारक
- प्यूबर्टी के शुरुआती संकेत दिखने पर तुरंत डॉक्टर से परामर्श लेना चाहिए
- हेल्दी डाइट और फिजिकल एक्टिविटी से Early Periods को रोका जा सकता है
आजकल एक बेहद चिंताजनक ट्रेंड देखने को मिल रहा है — छोटी उम्र में लड़कियों को Early Periods आना। पहले जहां मासिक धर्म की शुरुआत औसतन 13 से 14 वर्ष की उम्र में होती थी, वहीं अब यह उम्र घटकर 9 से 10 साल तक पहुंच चुकी है। कुछ मामलों में तो बच्चियों को महज 6 या 7 साल की उम्र में ही प्यूबर्टी के लक्षण दिखने लगे हैं।
यह न सिर्फ शारीरिक बल्कि मानसिक और सामाजिक रूप से भी बच्चियों के लिए बड़ी चुनौती बनता जा रहा है। इस रिपोर्ट में हम Early Periods के कारण, प्रभाव और बचाव के उपायों पर गहराई से नजर डालेंगे।
क्या होता है Early Periods?
जब किसी लड़की को सामान्य उम्र से पहले ही मासिक धर्म शुरू हो जाए, तो उसे Early Periods या चिकित्सा भाषा में ‘Precocious Puberty’ कहा जाता है। आमतौर पर यह 8 साल से पहले होने पर चिंताजनक माना जाता है।
हालांकि, अब यह समस्या आम होती जा रही है और इसके पीछे कई सामाजिक, भौतिक और जैविक कारण छिपे हैं।
Early Periods के कारण
फिजिकल एक्टिविटी की कमी
आज की बच्चियां ज्यादातर समय मोबाइल या टीवी स्क्रीन के सामने बिताती हैं। शारीरिक गतिविधियों की कमी और बिस्तर पर पड़े रहना मेटाबॉलिज्म को प्रभावित करता है। इससे हार्मोनल असंतुलन होता है जो Early Periods का बड़ा कारण बनता है।
अत्यधिक तनाव
पढ़ाई, प्रतियोगिता, और सोशल प्रेशर के कारण बच्चों में आजकल तनाव का स्तर काफी बढ़ गया है। शोध बताते हैं कि मानसिक तनाव का सीधा असर हाइपोथैलेमस और पिट्यूटरी ग्लैंड पर पड़ता है, जो शरीर में हार्मोन्स के स्राव को नियंत्रित करते हैं।
गलत खानपान
फास्ट फूड, जंक फूड और प्रोसेस्ड फूड्स आज बच्चों की डाइट का अहम हिस्सा बन चुके हैं। ये फूड्स शरीर में एस्ट्रोजन लेवल को असामान्य रूप से बढ़ा सकते हैं, जिससे Early Periods की संभावना बढ़ जाती है।
हार्मोनल इंबैलेंस
कुछ बच्चियों में जैविक रूप से हार्मोन का स्तर असंतुलित हो सकता है। इसके पीछे कई कारण हो सकते हैं जैसे कि थायरॉइड डिसऑर्डर, ओवरी की कोई समस्या, या जेनेटिक कारण।
प्लास्टिक और कैमिकल एक्सपोजर
प्लास्टिक के कंटेनर में खाना गर्म करना या पॉल्यूशन की वजह से शरीर में ज़ेनोएस्ट्रोजन नामक हानिकारक केमिकल्स प्रवेश कर सकते हैं। ये शरीर में नकली एस्ट्रोजन जैसा व्यवहार करते हैं और Early Periods को ट्रिगर कर सकते हैं।
Early Periods के दुष्परिणाम
मानसिक अस्थिरता
छोटी उम्र में शारीरिक बदलावों को समझना और उन्हें स्वीकार करना बच्चों के लिए आसान नहीं होता। इससे उनमें घबराहट, अवसाद और आत्मग्लानि जैसी समस्याएं जन्म ले सकती हैं।
सामाजिक दिक्कतें
Early Periods की शिकार बच्चियां समाज में असहजता महसूस करती हैं। स्कूल में सहपाठियों के बीच उपहास और शर्मिंदगी भी उनके आत्मविश्वास को ठेस पहुंचा सकती है।
प्रजनन स्वास्थ्य पर असर
शोधों से पता चला है कि जिन लड़कियों को बहुत कम उम्र में पीरियड्स शुरू होते हैं, उनमें भविष्य में PCOS, फर्टिलिटी समस्याएं और यहां तक कि स्तन कैंसर तक का खतरा अधिक हो सकता है।
Early Periods से बचाव कैसे करें?
समय रहते चिकित्सकीय सलाह लें
अगर 6-7 साल की उम्र में ही बच्ची में प्यूबर्टी के संकेत दिखने लगें — जैसे ब्रेस्ट डेवलपमेंट, प्यूबिक हेयर, या मूड स्विंग्स — तो तुरंत बाल रोग विशेषज्ञ या एंडोक्रिनोलॉजिस्ट से परामर्श लें।
हेल्दी डाइट सुनिश्चित करें
बच्चों को पोषणयुक्त खाना दें जिसमें ताजे फल, हरी सब्जियां, दालें, दूध, नट्स और होल ग्रेन्स शामिल हों। प्रोसेस्ड फूड्स और कोल्ड ड्रिंक्स से दूरी बनाएं।
फिजिकल एक्टिविटी को बढ़ावा दें
रोजाना 30-60 मिनट की फिजिकल एक्टिविटी जैसे दौड़ना, खेलना या योग करने से मेटाबॉलिज्म संतुलित रहता है और हार्मोनल बैलेंस बना रहता है।
स्क्रीन टाइम पर लगाएं रोक
मोबाइल, टैबलेट और टीवी की लत न सिर्फ मानसिक बल्कि शारीरिक नुकसान भी पहुंचाती है। इसलिए बच्चों के स्क्रीन टाइम को सीमित करना जरूरी है।
Early Periods को रोकना संभव है
Early Periods एक गंभीर समस्या है, लेकिन जागरूकता और समय रहते कदम उठाकर इससे बचाव किया जा सकता है। पेरेंट्स को चाहिए कि वे बच्चों की आदतों पर नज़र रखें और हेल्दी लाइफस्टाइल को प्राथमिकता दें।
सिर्फ शरीर ही नहीं, मानसिक रूप से भी बच्चों को समझना और सहयोग देना बेहद जरूरी है। समाज और स्कूलों में भी इस विषय पर खुलकर बातचीत होनी चाहिए ताकि बच्चियां शर्म नहीं, समझदारी के साथ अपने शरीर में आए बदलावों को स्वीकार कर सकें।