फ़ोकस कीवर्ड: Doctor Life Expectancy
हाइलाइट्स
- Doctor Life Expectancy भारत में आम नागरिकों से लगभग 10 साल कम है, जो एक गंभीर चिंता का विषय है।
- इंडियन मेडिकल एसोसिएशन की रिपोर्ट के अनुसार डॉक्टरों की औसत उम्र 55-59 वर्ष के बीच है।
- मानसिक तनाव, अत्यधिक कार्यभार और निजी जीवन में संतुलन की कमी को मुख्य कारण माना जा रहा है।
- वरिष्ठ डॉक्टरों ने युवा चिकित्सकों के बढ़ते तनाव पर चिंता व्यक्त की।
- चिकित्सा पेशे को केवल नौकरी नहीं, बल्कि एक सेवा भाव वाली जिम्मेदारी बताया गया।
डॉक्टरों की जीवन प्रत्याशा: सेवा के बदले मिली सज़ा?
देश में डॉक्टरों को धरती पर भगवान का दर्जा दिया जाता है, लेकिन विडंबना यह है कि इन्हीं भगवानों की अपनी Doctor Life Expectancy अब आम नागरिकों से भी कम होती जा रही है। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) की हालिया रिपोर्ट ने पूरे चिकित्सकीय क्षेत्र को सोचने पर मजबूर कर दिया है।
रिपोर्ट में बताया गया है कि भारत में डॉक्टरों की औसत आयु मात्र 55 से 59 वर्ष के बीच है, जबकि आम भारतीय नागरिक की औसत आयु 69 से 72 वर्ष के बीच पाई गई है। यानी डॉक्टरों की Doctor Life Expectancy आम नागरिकों से करीब 10 साल कम है।
रिपोर्ट का विश्लेषण: कहां चूक हो रही है?
मानसिक और भावनात्मक दबाव
डॉक्टरों पर दिन-रात काम करने का दबाव, अत्यधिक मरीजों का भार, और प्रशासनिक जिम्मेदारियों का बोझ अब उनके मानसिक स्वास्थ्य को बुरी तरह प्रभावित कर रहा है। वरिष्ठ चिकित्सकों का कहना है कि यह मानसिक दबाव उनकी Doctor Life Expectancy को गंभीर रूप से प्रभावित कर रहा है।
निजी जीवन में असंतुलन
चिकित्सक वर्ग का जीवन अक्सर परिवार से दूर, मरीजों की देखभाल और अस्पताल की आपातकालीन ड्यूटी में ही बीतता है। यह असंतुलन उनकी शारीरिक और मानसिक ऊर्जा को लगातार खत्म करता जा रहा है। ऐसे में डॉक्टरों की Doctor Life Expectancy में गिरावट असामान्य नहीं मानी जा सकती।
वरिष्ठ डॉक्टरों की राय: समाधान क्या हो?
डॉक्टर नागेंद्र शर्मा का मत
जोधपुर स्थित एसोसिएशन ऑफ मेडिकल प्रैक्टिशनर्स के सचिव और संरक्षक डॉक्टर नागेंद्र शर्मा ने कहा कि युवा डॉक्टरों पर कार्य का बोझ अत्यधिक बढ़ चुका है। उन्हें कम उम्र में ही ICU, OT और इमरजेंसी सेवाओं जैसी जिम्मेदारियां दी जा रही हैं।
उन्होंने यह भी कहा कि डॉक्टरों की Doctor Life Expectancy में गिरावट के पीछे सबसे बड़ा कारण है—नींद की कमी, नियमित व्यायाम की अनुपस्थिति और अस्वस्थ खान-पान की आदतें।
डॉक्टर जगमोहन माथुर की टिप्पणी
वरिष्ठ चिकित्सक डॉक्टर जगमोहन माथुर ने कहा कि चिकित्सा पेशा अब सेवा की जगह व्यवसाय बनता जा रहा है, और इससे युवा डॉक्टरों में तनाव और हताशा बढ़ रही है। उन्होंने कहा, “जो डॉक्टर दिन-रात दूसरों की जान बचाने में लगे हैं, अगर उनकी खुद की Doctor Life Expectancy गिरती जा रही है, तो यह एक राष्ट्रीय संकट है।”
युवा डॉक्टरों के लिए खतरे की घंटी
सेवा भावना या आर्थिक दबाव?
युवा डॉक्टरों पर सेवा भावना से अधिक वित्तीय लक्ष्यों को प्राथमिकता देने का दबाव बढ़ता जा रहा है। इससे उनकी कार्यशैली मशीनों जैसी होती जा रही है, जहां भावना की जगह सिर्फ प्रदर्शन और आउटपुट को महत्व मिलता है।
इससे Doctor Life Expectancy पर सीधा असर पड़ता है, क्योंकि युवा चिकित्सक अपने स्वास्थ्य को पीछे छोड़कर केवल कार्य में लगे रहते हैं।
शारीरिक बीमारियां और आत्महत्याएं
IMA की रिपोर्ट के अनुसार, डॉक्टरों में हाइपरटेंशन, हृदय रोग और मानसिक बीमारियां आम होती जा रही हैं। कई युवा डॉक्टर आत्महत्या जैसे चरम कदम भी उठा रहे हैं, जो उनकी गिरती हुई Doctor Life Expectancy का सबसे भयावह पहलू है।
सरकार और संस्थानों की भूमिका
नीतिगत हस्तक्षेप की आवश्यकता
स्वास्थ्य मंत्रालय और मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया को अब डॉक्टरों के कार्य घण्टों, ड्यूटी पैटर्न और मानसिक स्वास्थ्य पर गंभीरता से विचार करना चाहिए। अगर यही हालात रहे, तो देश में डॉक्टरों की Doctor Life Expectancy और भी घट सकती है।
हेल्थकेयर वर्कर्स के लिए विशेष नीतियां
डॉक्टरों के लिए अलग से हेल्थ इंश्योरेंस, मानसिक स्वास्थ्य काउंसलिंग, और योग/मेडिटेशन जैसी योजनाएं लागू करनी चाहिए, ताकि उनकी Doctor Life Expectancy को बढ़ाया जा सके।
इलाज करते-करते खुद बीमार हो गए भगवान
डॉक्टर वह वर्ग है, जो दूसरों की जान बचाता है, लेकिन दुखद यह है कि अपनी जान को बचाने के लिए उसके पास समय, साधन और सहयोग नहीं है। आज आवश्यकता है कि हम डॉक्टरों को सिर्फ मरीजों का सेवक न समझें, बल्कि उनके स्वास्थ्य और मानसिक स्थिति को भी उतना ही महत्व दें।
अगर हम डॉक्टरों की Doctor Life Expectancy को सुधारना चाहते हैं, तो उनके लिए एक स्वस्थ, सहयोगी और संवेदनशील कार्य परिवेश बनाना होगा—जहां वे खुद को भी एक इंसान समझ सकें।