दिन में दो बार गायब हो जाता है भगवान शिव का यह रहस्यमयी मंदिर, जानिए आखिर क्यों होता है ऐसा चमत्कार

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हाइलाइट्स

  • गुजरात का Disappear Temple दिन में दो बार समुद्र में डूबता और उभरता है, जिससे यह रहस्यमयी मंदिर कहलाता है।
  • यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है और इसका पौराणिक उल्लेख स्कंद पुराण में भी मिलता है।
  • ताड़कासुर वध के बाद भगवान कार्तिकेय ने यहां शिवलिंग स्थापित किया था।
  • मंदिर का अद्भुत दृश्य देखने के लिए देश-विदेश से श्रद्धालु यहां आते हैं।
  • सावन के महीने में हजारों भक्त यहाँ दर्शन के लिए उमड़ पड़ते हैं।

भारत का अनोखा मंदिर: समुद्र की लहरों में छुपता और फिर प्रकट होता है स्तंभेश्वर मंदिर

भारत एक धार्मिक और आध्यात्मिक देश है, जहां हर कोने में आस्था की कोई न कोई कहानी बसती है। लेकिन कुछ स्थान ऐसे होते हैं, जिनका रहस्य विज्ञान भी पूरी तरह नहीं सुलझा पाता। ऐसा ही एक स्थल है गुजरात के वडोदरा जिले के पास स्थित स्तंभेश्वर मंदिर, जिसे दुनियाभर में Disappear Temple के नाम से जाना जाता है।

यह मंदिर दिन में दो बार पूरी तरह समुद्र की लहरों में डूब जाता है और फिर कुछ घंटों बाद वापस प्रकट हो जाता है। यह नज़ारा न केवल अद्भुत होता है, बल्कि भक्तों के लिए आस्था का केंद्र भी।

स्तंभेश्वर मंदिर का पौराणिक इतिहास

स्कंद पुराण में भी उल्लेखित

स्तंभेश्वर मंदिर का उल्लेख स्कंद पुराण में मिलता है, जो इसे धार्मिक और पौराणिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण बनाता है। कथा के अनुसार, राक्षस ताड़कासुर को वरदान प्राप्त था कि उसे केवल शिव के छह दिन के पुत्र द्वारा ही मारा जा सकता है। जब ताड़कासुर अत्याचार करने लगा, तब भगवान शिव ने अपने तीसरे नेत्र की ज्वाला से भगवान कार्तिकेय की उत्पत्ति की।

भगवान कार्तिकेय ने ताड़कासुर का वध यहीं किया था और उसी स्थान पर एक शिवलिंग स्थापित किया गया। यही शिवलिंग आज Disappear Temple के रूप में प्रसिद्ध स्तंभेश्वर मंदिर में पूजा जाता है।

कहां स्थित है यह रहस्यमयी मंदिर?

वडोदरा से केवल 40 किलोमीटर दूर

यह मंदिर गुजरात राज्य के भरूच जिले की जम्बूसर तहसील के कवि कंबोई गांव में स्थित है, जो वडोदरा से लगभग 40 किलोमीटर दूर है। यह अरब सागर के किनारे बना हुआ है और इसका स्थान बेहद शांत, सुंदर और आध्यात्मिक ऊर्जा से भरपूर है।

गायब होने का रहस्य: विज्ञान बनाम चमत्कार

समुद्र की ज्वार-भाटा से होता है दृश्य परिवर्तन

Disappear Temple कहलाने का कारण यह है कि यह मंदिर दिन में दो बार पूरी तरह से समुद्र में समा जाता है। इसका कारण है समुद्र में आने वाली प्राकृतिक ज्वार-भाटा। जब समुद्र में ज्वार आता है तो लहरें इतनी ऊंची हो जाती हैं कि पूरा मंदिर पानी में छिप जाता है। फिर जैसे ही भाटा आता है, जलस्तर कम हो जाता है और मंदिर फिर से दिखाई देने लगता है।

भले ही विज्ञान इसे ज्वार-भाटा की सामान्य प्रक्रिया बताए, लेकिन आम जनमानस में यह एक चमत्कार ही माना जाता है। श्रद्धालु इसे भगवान शिव की लीला के रूप में देखते हैं।

मंदिर दर्शन के लिए सर्वोत्तम समय

सावन में होती है विशेष भीड़

यह मंदिर सालभर भक्तों के लिए खुला रहता है, लेकिन सावन के पवित्र महीने में यहां सबसे ज्यादा भीड़ होती है। इस दौरान हजारों श्रद्धालु जल चढ़ाने और पूजा-अर्चना के लिए पहुंचते हैं।

अगर आप इस मंदिर के डूबने और उभरने का दृश्य देखना चाहते हैं, तो समुद्र की ज्वार-भाटा की समय-सारणी देखकर ही जाएं। मंदिर प्रशासन और पर्यटक विभाग समय-समय पर इन जानकारियों को वेबसाइट्स या स्थानीय नोटिस के माध्यम से साझा करते हैं।

श्रद्धालुओं की आस्था और अनुभव

मनोकामना पूर्ति के लिए विख्यात

स्थानीय लोगों का मानना है कि Disappear Temple में सच्चे मन से की गई प्रार्थना हमेशा सफल होती है। यहां आने वाले भक्त भगवान शिव से जीवन की समस्याओं से मुक्ति, सुख-शांति और समृद्धि की कामना करते हैं।

मंदिर में नियमित रूप से आरती, भजन और शिव अभिषेक का आयोजन होता है। यहां का वातावरण शुद्ध, शांत और आंतरिक ऊर्जा से भरपूर होता है, जिससे भक्तों को मानसिक और आत्मिक शांति मिलती है।

पर्यटन और पर्यावरणीय पहलू

सरकार कर रही है पर्यटन को बढ़ावा

गुजरात सरकार और भारतीय पर्यटन विभाग इस रहस्यमयी Disappear Temple को विश्व पटल पर पहचान दिलाने के लिए कई योजनाएं चला रहे हैं। मंदिर के आसपास स्वच्छता अभियान, बुनियादी सुविधाएं और सड़कें बेहतर की जा रही हैं।

पर्यावरणीय संतुलन बनाए रखने के लिए सरकार और स्थानीय प्रशासन श्रद्धालुओं से अपील करते हैं कि समुद्र किनारे प्लास्टिक या कचरा न फैलाएं और प्राकृतिक संतुलन को सुरक्षित रखें।

एक अलौकिक अनुभव

स्तंभेश्वर मंदिर, जिसे लोग प्रेम से Disappear Temple कहते हैं, केवल एक धार्मिक स्थल नहीं है, बल्कि यह हमारे देश की सांस्कृतिक और पौराणिक धरोहर का प्रतीक है। इसकी रहस्यमयी प्रकृति, पौराणिक महत्ता और समुद्र से जुड़ा अनोखा संबंध इसे अद्वितीय बनाता है।

अगर आप भी आस्था और रहस्य के संगम का अनुभव करना चाहते हैं, तो गुजरात स्थित स्तंभेश्वर मंदिर की यात्रा अवश्य करें। यह यात्रा न केवल आपके मन को शांति देगी, बल्कि आपको भारतीय संस्कृति की उस गहराई से भी रूबरू कराएगी, जो विज्ञान से परे है।

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