Bestiality

इंसान क्यों करता है जानवरों से हैवानियत? जानिये इसके पीछे छिपे वो राज़ जो सबको चौंका देंगे

Lifestyle

हाइलाइट्स 

  • Bestiality के मामलों में हाल के वर्षों में अप्रत्याशित वृद्धि देखी गई है।
  • यह मानसिक विकृति कई बार बचपन की यौन हिंसा या घरेलू तनाव से जुड़ी होती है।
  • भारत में Bestiality एक दंडनीय अपराध है, लेकिन इसके खिलाफ़ जागरूकता बेहद कम है।
  • यौन कुंठा और सेक्शुअल फैंटसी इसे बढ़ावा देने वाले प्रमुख कारण हैं।
  • पशुओं के साथ यौन संबंध रखने वालों के अलग-अलग मानसिक प्रोफाइल भी सामने आए हैं।

जानवरों के साथ सेक्स क्यों करता है इंसान? 

इंसान का जानवरों के साथ यौन संबंध बनाना जितना अमानवीय है, उतना ही जघन्य और चिंताजनक भी। इसे अंग्रेजी में Bestiality कहा जाता है और यह न सिर्फ भारत बल्कि दुनियाभर में एक अपराध के रूप में देखा जाता है। लेकिन इसके बावजूद आए दिन ऐसी घटनाएं सामने आती हैं जहाँ इंसान बकरी, कुत्ते, गाय या अन्य जानवरों के साथ शारीरिक संबंध बनाता है।

ये घटनाएं समाज की उस भयावह हकीकत की ओर इशारा करती हैं, जिसे अक्सर नज़रअंदाज़ कर दिया जाता है—मानसिक विकृति और यौन कुंठा।

Bestiality की परिभाषा और कानूनी स्थिति

ऑक्सफोर्ड डिक्शनरी के अनुसार, किसी इंसान और जानवर के बीच यौन संबंध को Bestiality कहा जाता है। यह एक अमानवीय और अस्वाभाविक कृत्य है, जिसमें जानवरों की मर्ज़ी या समझ की कोई भूमिका नहीं होती।

भारतीय कानून में Bestiality

भारतीय दंड संहिता की धारा 377 (हालांकि इसमें अब संशोधन हो चुका है) के अंतर्गत Bestiality एक अपराध है। इसके लिए आरोपी को जेल और जुर्माना दोनों का प्रावधान है। इसके अलावा, पशु क्रूरता अधिनियम के तहत भी ऐसे मामलों में कार्रवाई की जाती है। लेकिन जागरूकता की कमी और सामाजिक शर्मिंदगी के कारण ऐसे केस अक्सर रिपोर्ट ही नहीं होते।

Bestiality के पीछे की मानसिकता

इस विषय पर मनोवैज्ञानिकों द्वारा किए गए शोधों से यह स्पष्ट होता है कि Bestiality का कोई एक कारण नहीं होता। यह एक मानसिक विकृति है, जो कई परतों में छिपी होती है।

यौन कुंठा और फैंटसी

बचपन में यौन शिक्षा की कमी, पारिवारिक दबाव, सामाजिक घुटन और इंटरनेट पर अश्लील सामग्री की सहज उपलब्धता के कारण व्यक्ति में यौन कुंठा पनपने लगती है। जब उसे इंसानी संबंधों से संतुष्टि नहीं मिलती, तब वह Bestiality जैसे अकल्पनीय रास्तों की ओर बढ़ जाता है।

असंतुलित जीवन और बचपन का ट्रॉमा

एक अध्ययन के अनुसार, जिन लोगों ने बचपन में घरेलू हिंसा देखी है या खुद यौन शोषण का शिकार हुए हैं, उनमें Bestiality की प्रवृत्ति अधिक देखने को मिलती है। इसके अलावा, अकेलापन, अवसाद और सामाजिक अलगाव भी इसे बढ़ावा देने वाले कारक हैं।

Bestiality के प्रकार और मनोवैज्ञानिक वर्गीकरण

मनोचिकित्सा में इस व्यवहार को Paraphilia यानी असामान्य यौन रुचियों की श्रेणी में रखा गया है। इसके विभिन्न प्रकार हैं:

1. पशु-स्पर्शक (Touch-Oriented)

ये लोग जानवरों को गले लगाते हैं, उनके अंगों को गलत तरीके से छूते हैं लेकिन यौन संबंध नहीं बनाते।

2. उत्तेजित दर्शक (Voyeuristic)

ऐसे लोग जानवरों के यौन व्यवहार को देखकर यौन उत्तेजना महसूस करते हैं। वे स्वयं प्रत्यक्ष रूप से शामिल नहीं होते लेकिन मानसिक रूप से सक्रिय रहते हैं।

3. नियमित संबंध बनाने वाले (Habitual)

ये लोग लगातार जानवरों के साथ संबंध बनाते हैं और मानवीय सेक्स की अपेक्षा इसमें अधिक रुचि रखते हैं।

4. हिंसक व्यवहारकर्ता (Violent)

ऐसे व्यक्ति जानवरों को नुकसान पहुँचाते हैं या उनके साथ जबरदस्ती करते हैं। कई मामलों में तो वे जानवरों की हत्या के बाद भी यौन संबंध बनाते हैं।

5. पूर्ण रूप से पशु-प्रेमी (Exclusive Zoophiles)

ये लोग सिर्फ़ और सिर्फ़ जानवरों में ही यौन आकर्षण महसूस करते हैं और इंसानों से कोई दिलचस्पी नहीं रखते।

 क्या है इलाज?

आज के समय में Bestiality को एक मानसिक बीमारी के रूप में देखा जाता है, और इसका इलाज संभव है। हालांकि उपचार की प्रक्रिया लंबी और जटिल होती है।

एवरसिव थेरेपी

बीते समय में एक पद्धति थी जिसमें व्यक्ति को ऐसी परिस्थितियों में रखा जाता था जहाँ वह यौन कल्पना करे और उसे उसी समय दर्द दिया जाए जैसे बिजली का झटका, जिससे वह मानसिक रूप से उस कल्पना से घृणा करने लगे। लेकिन यह तरीका अब प्रचलन में नहीं है।

समकालीन मनोचिकित्सा

अब इस प्रकार के व्यवहार का इलाज थेरपी, काउंसलिंग और दवाओं की मदद से किया जाता है। CBT (Cognitive Behavioural Therapy) और DBT (Dialectical Behaviour Therapy) जैसी तकनीकें इसमें मदद करती हैं। लेकिन इस प्रक्रिया में परिवार और समाज का सहयोग बेहद जरूरी है।

समाज की भूमिका और ज़रूरत जागरूकता की

Bestiality पर चुप्पी एक अपराध से भी बड़ा अपराध है। जब समाज इस विषय पर खुलकर बात नहीं करता, तब यह मानसिक विकृति और भी गहराई तक पैठ जाती है।

स्कूलों में यौन शिक्षा, मीडिया में सही रिपोर्टिंग, और परिवारों में संवाद की संस्कृति ऐसे मुद्दों को रोकने में बड़ी भूमिका निभा सकते हैं। साथ ही, कठोर कानून और त्वरित न्याय भी अपराधियों के मन में डर पैदा कर सकते हैं।

Bestiality सिर्फ़ एक अपराध नहीं बल्कि एक गहरी मानसिक बीमारी है। इससे लड़ने के लिए सख्त कानून के साथ-साथ समाजिक और मानसिक स्तर पर भी सजगता जरूरी है। हमें यह समझना होगा कि ऐसे मामलों की अनदेखी करके हम आने वाली पीढ़ियों को और बड़ी मानसिक समस्याओं की ओर धकेल रहे हैं।

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