हाइलाइट्स:
- तीसरे विश्व युद्ध की आशंका ने World War 3 को ग्लोबल चिंता का केंद्र बना दिया है
- रूस-यूक्रेन, इजराइल-हमास और एशियाई देशों के बीच संघर्ष ने हालात को और जटिल बना दिया है
- अमेरिका और रूस के नेतृत्व में दो संभावित गुटों की तस्वीर उभरकर सामने आ रही है
- कई देश तटस्थ रहकर भी युद्ध में रणनीतिक भूमिका निभा सकते हैं
- भारत समेत कुछ राष्ट्र मध्यस्थता की भूमिका में नजर आ सकते हैं
वैश्विक टकराव का नया अध्याय?
आज के वैश्विक परिदृश्य में World War 3 की चर्चा सिर्फ काल्पनिक कल्पना नहीं रह गई है, बल्कि एक डरावनी हकीकत की संभावना बन चुकी है। जहां एक ओर रूस-यूक्रेन युद्ध तीसरे साल में प्रवेश कर चुका है, वहीं इजराइल और हमास के बीच खूनखराबा पश्चिम एशिया को युद्ध के मुहाने पर खड़ा कर रहा है। इसके अलावा एशिया में भारत-पाकिस्तान और चीन-ताइवान के बीच तनावपूर्ण हालात ने अंतरराष्ट्रीय राजनीति को अस्थिर कर दिया है।
कहां-कहां जारी है संघर्ष?
रूस-यूक्रेन युद्ध: शुरुआत से अंत तक?
2022 में शुरू हुआ रूस-यूक्रेन युद्ध World War 3 की सबसे प्रमुख आधारशिला माना जा रहा है। नाटो देशों के समर्थन से यूक्रेन को सैन्य और आर्थिक सहायता मिल रही है, जिससे रूस भड़क उठा है। राष्ट्रपति पुतिन ने खुलेआम चेतावनी दी है कि पश्चिमी हस्तक्षेप से ‘सभ्यता का विनाश’ संभव है।
इजराइल-हमास संघर्ष और मिडिल ईस्ट की तबाही
2023 के अक्टूबर में हमास ने इजराइल पर रॉकेटों की बौछार की, जिसके जवाब में इजराइल ने गाजा पट्टी पर व्यापक सैन्य कार्रवाई शुरू कर दी। यह संघर्ष धीरे-धीरे पूरे मिडिल ईस्ट को हिंसा के दलदल में धकेल रहा है। ईरान, लेबनान और अन्य अरब राष्ट्रों की भागीदारी World War 3 के संभावित विस्तार की कहानी कहती है।
अफ्रीका, एशिया और लैटिन अमेरिका: उबाल पर भू-राजनीतिक हालात
अफ्रीका: गृहयुद्ध की आग
सूडान, माली, बुर्किना फासो और नाइजर जैसे देशों में चल रही सैन्य और जातीय हिंसा ने अफ्रीका को गंभीर संकट में डाल दिया है। हथियारों की तस्करी और विदेशी हस्तक्षेप World War 3 की नींव को और मजबूत कर रहे हैं।
एशिया में टकराव: भारत-पाकिस्तान और चीन-ताइवान
भारत और पाकिस्तान के बीच दशकों पुराना कश्मीर विवाद अब फिर से गर्माने लगा है। वहीं, ताइवान को लेकर चीन और अमेरिका के बीच तनातनी एक खतरनाक मोड़ ले सकती है। अमेरिकी रक्षा विभाग के अनुसार, अगर ताइवान पर हमला हुआ, तो अमेरिका सैन्य जवाब दे सकता है — और यहीं से World War 3 की चिंगारी भड़क सकती है।
इतिहास से सबक: पहले और दूसरे विश्व युद्ध की भूमिका
प्रथम विश्व युद्ध (1914-1918)
पहला विश्व युद्ध मित्र राष्ट्रों (ब्रिटेन, फ्रांस, रूस, अमेरिका) और केंद्रीय शक्तियों (जर्मनी, ऑस्ट्रिया-हंगरी, ओटोमन साम्राज्य) के बीच हुआ। इसमें करीब 2 करोड़ लोग मारे गए थे।
द्वितीय विश्व युद्ध (1939-1945)
इस युद्ध में करीब 8 करोड़ लोगों की जान गई। धुरी राष्ट्र (जर्मनी, इटली, जापान) और मित्र राष्ट्र (अमेरिका, ब्रिटेन, सोवियत संघ, चीन) के बीच यह संघर्ष हुआ। इन दोनों युद्धों ने दुनिया की भू-राजनीतिक संरचना को पूरी तरह से बदल दिया।
World War 3 की स्थिति: किस ओर झुकेगा कौन?
दो गुटों में विभाजन संभव
World War 3 की आशंका के अनुसार, दुनिया दो प्रमुख गुटों में बंट सकती है:
गुट-1: अमेरिका और नाटो नेतृत्व
- अमेरिका
- यूनाइटेड किंगडम
- फ्रांस
- जर्मनी
- इटली
- कनाडा
- जापान
- ऑस्ट्रेलिया
- दक्षिण कोरिया
- इजराइल
गुट-2: रूस और पूर्वी सहयोगी
- रूस
- चीन
- उत्तर कोरिया
- ईरान
- बेलारूस
- सीरिया
- वेनेजुएला
- क्यूबा
इन गुटों के बीच तनाव और तकनीकी प्रतिस्पर्धा World War 3 को और अधिक विनाशकारी बना सकती है।
भारत की स्थिति: तटस्थता या सक्रिय भूमिका?
भारत अभी तक किसी भी पक्ष में खुलकर नहीं आया है। पारंपरिक रूप से गुटनिरपेक्षता की नीति अपनाने वाला भारत शायद इस बार एक ‘मध्यस्थ शक्ति’ की भूमिका निभा सकता है। ब्रिक्स देशों (भारत, ब्राजील, रूस, चीन, दक्षिण अफ्रीका) में भारत की प्रमुख भूमिका इस बात का संकेत है कि वह युद्ध को टालने के प्रयासों में शामिल हो सकता है।
अगर छिड़ा World War 3, तो क्या होंगे परिणाम?
परमाणु हथियारों का खतरा
अब जबकि दुनिया के पास परमाणु हथियारों का विशाल भंडार है, World War 3 का मतलब होगा ‘Mutually Assured Destruction’ (MAD) — यानी दोनों पक्षों का संपूर्ण विनाश।
वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला पर असर
तेल, गैस, अनाज, दवा जैसी आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति ठप हो जाएगी। इससे महंगाई, भुखमरी और महामारी फैलने की आशंका है।
मानवता का सबसे बड़ा संकट
अगर World War 3 हुआ, तो यह सिर्फ देशों का युद्ध नहीं होगा, यह मानवता के अस्तित्व पर सवाल खड़ा करेगा।
क्या बचा सकती है दुनिया खुद को?
इस समय जरूरत है कूटनीति, संवाद और वैश्विक सहयोग की। संयुक्त राष्ट्र, जी20, ब्रिक्स जैसे मंचों को सक्रिय भूमिका निभानी होगी ताकि World War 3 को सिर्फ एक कल्पना तक सीमित रखा जा सके। हर देश को यह समझना होगा कि युद्ध किसी समस्या का हल नहीं, बल्कि समस्याओं की जननी है।